Saturday, 1 December 2018

Part-2 ड्रग ,शराब ,सिगरेट इन सारी नशे की लत कैसे लगती है और इसे कैसे छुड़ाएं सहज योग ध्यान विधि by H.H. Shree mata ji










ड्रग्स
यदि आप भांग या किसी मादक पदार्थ का सेवन करते हैं तब आप इड़ा नाड़ी पर खींच लिये जाते हैं और कुछ समय के लिये आपका अहंकार पीछे की ओर धकेल दिया जाता है। सभी प्रकार की ड्रग्स आपको आपकी चेतना से दूर ले जाती हैं। मादक पदार्थ लेने वालों के साथ मेरा अनुभव काफी दुखद है। जो इसमें आये उन्होंने काफी धीमी गति से प्रगति की। वे बांयी ओर के आक्रमणों के लिये काफी कमजोर और संवेदनशील थे। ड्रग्स लेने वालों के लिये मैं काफी दुखी हूं, उन्हें चुनौती स्वीकार करने के लिये अपनी इच्छाशक्ति का प्रयोग करना पड़ेगा और मादक पदार्थों के लिये अपनी दासता या गुलामी को त्यागना पड़ेगा।
(Letter to Jeremy, 1982, printed in Nirmala Yoga
no.12)

ड्रग्स आपकी बांयी नाभि को प्रभावित करती हैं या दांयी नाड़ी को भी। जो आपकी बांयी नाड़ी को प्रभावित करती हैं वे आपको काफी दूर अंधकार में ले जाती हैं। कई बार आप काफी उग्र हो जाते हैं, जब कि आपने बांयी नाड़ी प्रधान ड्रग ली होती है। यह काफी आश्चर्यजनक है, ड्रग लेने वाले व्यक्ति को कुछ भी हो सकता है, आपको आश्चर्य होगा कि वह पागल भी हो सकता है।
(Advice on the treatment of virus infections, Pune, 1/12/87)

13. तंबाकू
हमारी उत्क्रांति के समय कई पौधे व जानवर नष्ट हो गये क्योंकि वे मध्य में नहीं थे….. अतः वे सामूहिक अवचेतन में चले गये और उत्थान करने वाले लोगों को हानि पंहुचाने के लिये सूक्ष्म जीवों के रूप में वापस आ गये। जैसे आजकल वाइरस के आक्रमण काफी होते हैं। ये वे पौधे हैं जो सर्कुलेशन से बाहर चले गये थे। कुछ समय बाद आप देखेंगे कि तंबाकू और कई अन्य ड्रग्स सर्कुलेशन से बाहर चले गये हैं।
(Ekadesha Rudra Puja, Austria, 8/6/88)
यदि आप सिगरेट पीते हैं तो विष्णुमाया क्रोघित हो जाती हैं। वही कैंसर का कारण बनती हैं। वह आपका गला खराब कर देती हैं। सिगरेट पीने से गले, नाक व कान की कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं क्योंकि उन्हें सिगरेट पीना अच्छा नहीं लगता। सिगरेट से गले के कैंसर के प्रति आप काफी संवेदनशील हो जाते हैं।
(Vishnumaya Puja, New York, 19/7/92)

14. एल्कोहल या शराब
विश्व के सभी संतों ने शराब को स्वास्थ्य के लिये हानिकारक बताया है क्योंकि यह आपकी चेतना के विरोध में जाती है। यह सत्य है कि शराब पीने के बाद हमारी चेतना धुंधली और उत्तेजित हो जाती है। यह सामान्य नहीं रह पाती। यही कारण है कि संतों ने इसका सेवन करने से मना किया था।
(2nd Sydney Talk 27/3/81)

आपके ऊपर आपकी मां का अनिवार्य बंधन कार्य करता है। यदि आप शराब पीते हैं तो आप उल्टी कर देंगे।
(Nirmala Yoga no.12, p25)
जैसा आप सभी जानते हैं कि एल्कोहल कई प्रकार का होता है। यह इसलिये खराब है कि यह आपके लिवर को और आपकी चेतना को चौपट या नष्ट कर देता है। यह आपको फूहड़ भी बना देता है, आपका चित्त धुंधला हो जाता है। शराब आपको धर्म से भी दूर ले जाती है।
(Advice on the treatment of virus infections, Pune, 1/12/87)

शराब हमारे आत्मसाक्षात्कार की सबसे बड़ी दुश्मन है। जो लोग शराब पीते हैं वे उसके गुलाम बन जाते हैं, उनका मस्तिष्क खराब हो जाता है। मैं समझती हूं उनका सहस्त्रार भी शराब के कारण खराब हो जाता है। शराब उनकी सबसे बड़ी दुश्मन है।

(Sahasrara Puja 2001)


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Saturday, 27 October 2018

मूलाधार चक्र में ध्यान सहजयोग ध्यान विधि by H.H. Shree mata ji






जय श्रीमाताजी
🌹
मूलाधार चक्र की चार पंखुडियां
इन पंखुडियो से हम श्री माताजी से हमारे सहस्रार से बहने वाले प्रणव को सोखते है।
ये तभी संभव है जब हमारी ग्रहण शक्ति पूर्णतया जागृत हो।
आज हम इस ग्रहण शक्ति को ध्यान में पूर्णतया जागृत करेंगे, हर पंखुडी में माँ के आशीर्वाद हैं।

पहली पंखुडी :
1.प्रकृति के साथ एकाकारिता (शांति), संतुलन
2. दिशाओ का ज्ञान
3. निष्पाप innocence

मूलाधार की पहली पंखुडी धरती माँ की तरफ हें। इस पंखुडी से माँ हमें ब्रह्मानंद प्रदान करती है।
प्रार्थना : श्री माताजी कृपया हमें अबोधिता से निर्मित होंने वाला आनंद प्रदान करें। पवित्रता से एकरूपता प्रदान करे ।सुन्दर घटनाओ का अनुभव महसूस कराएँ।
ॐ त्वमेव साक्षात् श्री ब्रह्मानंद साक्षात् .......मन्त्र लेंगे
दूसरी पंखुडी में तीन आशिर्वाद हैं।
1. स्वाभिमान
2.राजसी तत्व
3. आत्मिक समाधान

दूसरी पंखुडी- बायीं तरफ- लेफ्ट साइड : प्रार्थना : श्री माताजी कृपया हमारे अन्दर श्री गणेश तत्त्व जागृत करें। आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में आने वाली सभी प्रकार की बाधाये श्री गणेश तत्त्व द्वारा दूर करके हमें आध्यात्मिक जीवन प्रदान करे।

तीसरी पंखुडी में तीन आशीर्वाद हँ।
1.श्री गणेश जी का संपूर्ण समर्पण अनन्य भक्ति, विनम्रता
2.परमेश्वर पर श्रद्दा
3.परमेश्वरी ज्ञान

तीसरी पंखुडी- दायीं तरफ-राईट साइड : प्रार्थना :
श्रीमताजी कृपया हमें शुद्ध आत्मा की भव्यता, दिव्यता, श्रेष्ठता प्रदान करें जिससे हमारे शरीर के अणू रेणु में परमात्मा के प्रति श्रद्धा, शुद्व ज्ञान (परमेश्वरी) ज्ञान से एकरूपता,चातुर्यता(श्री गणेश जी का समय सूचक पॉवर )यानि अभी इस वक्त क्या करना ह (present) वाला ज्ञान प्रदान करें।

चौथी पंखुडी ऊपर की तरफ सहस्रार की तरफ है।
तीन आशीर्वाद:
1. निर्भयता
2.सामूहिक चेतना
3.सहस्त्रार से बहता हुआ अमृत इकट्ठा करने की शक्ति

प्रार्थना : श्री माताजी कॄपया हमें श्री गणेश जी की निर्भयता प्रदान करें, श्री गणेश जी का सम्यक ज्ञान प्रदान करें।
माँ कृपया मेरे रोम रोम में आपका निर्वाज्य प्रेम भर जाये।
अपने मूलाधार चक्र का अहंकार दूर करने के लिए प्रार्थना :
श्री माँ ये सारा ज्ञान आप ही से आ रहा ह, मैं तो अज्ञानी हूँ ।

जय श्री माताजी



Saturday, 20 October 2018

Part -1 सामाजिक हिंसा ,ड्रग ,शराब ,सिगरेट इन सारी नशे की लत कैसे लगती है और इसे कैसे छुड़ाएं सहज योग ध्यान विधि by H.H. Shree mata ji

















*आदि शक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*अभी सिख लोगों का बताऊं आपको ....लंडन में सिख लोगों ने बड़ा भारी अपोजिशन कर दिया ...क्योंकि उनको अपने सर में वह घमेला बाँधना पड़ता है .....और एक चीज जो पूरी तरह से मोहम्मद साहब ने और नानक साहब ने मना किया है कि कोई भी तरह का नशा.... शराब सिगरेट कोई भी तरह का नशा मना है ...उसमें सबसे नंबर एक हैं। और मुसलमान जितनी शराब पीते हैं उसके बारे में तो कहना ही क्या। इतना ही नहीं उन्होंने कविता भी लिख रखा है।....राक्षस है बिल्कुल शराब*।
(2-1977)


*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*कोई जरूरत नहीं है किसी को पीने की;यह भी एक गलतफहमी है कि;बिजनेस के लिए करना पड़ता है।जो आदमी अपने आप को धोखा देना चाहता है,उसको कोई नहीं बचा सकता।.......हमारे पति भी आप जानते हैं, सरकारी नौकरी में रहे;उन्होंने बहुत बड़ी शिपिंग कंपनी चलाई,उसके बाद आज भी बहुत बड़ी जगह पर पहुंचे हुए हैं,मैंने उनसे एक ही बात कही थी कि;शराब मेरे बस की नहीं;और उन्होंने पूरी जिंदगी एक बूंद भी नहीं पी;और भगवान की कृपा से बहुत सक्सेसफुल रहे;सब उनको मानते हैं;सब उनकी इज्जत करते हैं*।
(लक्ष्मी तत्व,दिल्ली सेमिनार,790309)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*हमारे यहां शिपिंग कॉर्पोरेशन में सभी ड्राइवरों की तनख्वाह बढ़ाई गई,उनको एक-एक को हजार- हजार रुपए तनख्वाह मिलने लग गई,थोड़े दिन में उनकी सबकी पत्नियाँ आई,और कहने लगी कि माता जी,साहब ने सबकी तनख्वाह क्यों बढ़ा दी?मैंने कहा क्यों?कहने लगी पहले 400 कमाते थे;तो सुख में थे,अब ये सब लोग शराब पीने लग गए हैं,और इन्होंने औरतें रख ली हैं,अब वह अड्डे पर ही पड़े रहते हैं,घर पर आतेे ही नहीं पहले बेहतर थी।400 तक तो वो बैलेंस कर पाए उसके बाद जरा सा ज्यादा पैसा हो गया तो शराब पीने लग गए,इसका मतलब बिल्कुल ही नहीं है कि उनको 400 ही दिया जाए,पर उनको वह बैलेंस दिया जाए,जिसके कारण वह उस लक्ष्मी को सँवार सकें,नहीं तो पैसे वाले हो जाएंगे राक्षस, पर लक्ष्मीपति नहीं होंगे*।
(1978-0131रजोगुण)



 नीचे बहुत से उपाय श्री माताजी ने  सहयोगीयों को बताए हैं

 पहला उपाय

इस पहले उपाय को वाइब्रेट इड जेल के माध्यम से  वीडियो में बताया गया है




दूसरा उपाय

संबंधित परेशानी के लिए नियमित शू बिट करें । यदि आप sahaj yoga में नए  हैं और आपको शू बिट के विषय में कोई जानकारी नहीं है तो अपने से कोशिश ना करें । पहले नजदीकी सहज योग सेंटर में संपर्क करें । क्योंकि शू बिट  से पहले ही रिलाइजेशन लेेेना आवश्यक है। चौबीसों घंटे हाथों से शीतल चैतन्य का निकलना बहुत ही आवश्यक है  नियमित फूट शोक और   नियमित सामूहिक का बहुत ही जरूरी है 1 सप्ताह में एक सेंटर जाना बहुत ही जरूरी है  मैंने सहज योग के पते के लिए एक    वेबसाइट की  लिंक दे दी है जिससे आप अपने नजदीकी सहज योग सेंटर का पता प्राप्त कर सकते हैं


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नशे से संबंधित समस्या के लिए आपको अपने नियरेस्ट कोऑर्डिनेटर से बता कर इससे संबंधित समाधान प्राप्त कर सकते हैं। श्री माता जी की कृपा से आप निश्चित रूप से नशे से मुक्त एक बहुत ही अच्छा जीवन यापन कर पाएंगे । सारी समस्या को श्री माताजी के चरण कमल में छोड़ दीजिए । 



तीसरा उपाय :-
 यह तीसरे उपाय को
यह उपाय वाराणसी से सहयोगिनी वर्षा प्रधान जी ने लिखा है  जो कि श्री माताजी द्वारा बताया गया है

 सहज योग ध्यान के माध्यम से खुद के अहंकार और किसी भी प्रकार के नशे को कैसे छुड़ाएं..........

 सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएंगे अपनी दोनों हथेलियों  कोअपने घुटनों पर रखेंगे धीरे-धीरे अपनी आंखों को बंद करेंगे और अपने मन को अपने मध्य हृदय में ले जाएंगे,हृदय में महसूस करेंगे  अपने ईश्वर को,अपने इष्ट को,और थोड़ी देर अपने चित्त को अपने हृदय में ही रखेंगे,अपने अनुभवों को महसूस करते जाएंगे और फिर धीरे-धीरे अपने मन को,अपने चित्त को सिर् के तालू भाग पर ले जाएंगे और अपने शरीर के चारों ओर की ऊर्जा को अपने सिर के तालू भाग पर अनुभव करेंगे।धीरे-धीरे अपने मन को आकाश की ओर ले जाएंगे , थोड़ी देर तक अपने चित्त  को आकाश में स्थापित करेंगे आकाश की ऊर्जा को महसूस करेंगे और फिर धीरे-धीरे अपने चित को  अंतरिक्ष की ओर ले चलेंगे अंतरिक्ष से अपने चित को शून्य की ओर ले जाएंगे शून्यमें स्थापित अपने ईश्वर को अपने परमात्मा को महसूस करेंगे अनुभव करेंगे शून्य में विराजमान हमारे ईश्वर के श्री चरणों से माँ गंगा का प्रेम एक पानी की धारा के रूप में परम चैतन्य के रूप में शून्य से अंतरिक्ष,अंतरिक्ष से आकाश,आकाश से सिर का तालू भाग,सिर के तालू भाग से इस परम चैतन्य को,इस पानी की धारा को अपने मध्य हृदय में ले जाएंगे ,मध्य हृदय से इस पानी की धारा को अपनी नाभि पर ले जाएंगे,नाभि के चारो ओर इस पानी की धारा को 10 बार पर घड़ी की सुई की दिशा के अनुसार गोल-गोल घुमाएंगे,थोड़ी देर अपने चित्त को अपने नाभि पर ही रखेंगे और ईश्वर से प्रार्थना करेंगे हे प्रभु मेरे अंदर संतोष को जागृत कर दीजिए फिर अपने चित्त  को सिर के तालू भाग पर लाएंगे और सिर के तालू भाग से एक पानी की धारा को अपने बाएं दिमाग पर ले जाएंगे,दो बार पानी की धारा को बायें दिमाग पर,घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाएंगे और दो बार पानी की धारा को घड़ी की सुई की दिशा में घुमाएंगे,थोड़ी देर बाद अपने बाएं दिमाग पर अनुभव करते जाएंगे कि हमारे अंदर क्या प्रक्रिया हो रही है और फिर धीरे-धीरे अपने पूरे चित्त को अपने सिर के तालू भाग पर रखेंगे और अनुभव करते जाएंगे कि शून्य से आने वाली पानी की धारा सीधे हमारे सिर के तालू भाग से हमारे हृदय और नाभि पर जा रही है थोड़ी देर इसी अवस्था में अपने आपको ध्यानस्थ अवस्था में रखेंगे। और अपने शरीर की ऊर्जा को अनुभव करते जाएंगे परमात्मा की शक्ति को अपने पूरे शरीर पर आत्मसात करते जायेगे।

 इस प्रकार के ध्यान से अत्यधिक मिलने वाले लाभ........
1.... इस प्रकार ध्यान के माध्यम से हम अपने शारीरिक,मानसिक,आध्यात्मिक भावनात्मक असुरक्षा को दूर कर सकते है।
2.... इस प्रकार के ध्यान से हमारी युवा पीढ़ी अपनी समस्त आकांक्षाओं इच्छाओं और असंतुष्टि की भावना को दूर कर सकते हैं और हम अपने अंदर संतुष्टि की भावना को लाते हैं।
3...... इस प्रकार के ध्यान के माध्यम से युवा वर्ग में आने वाले सामाजिक हिंसा ,ड्रग ,शराब ,सिगरेट  इन सारी नशे की जो आदतें हैं उनको सुधारा जा सकता है।

4......... इस प्रकार के ध्यान के माध्यम से हमारी असुरक्षा की भावना खत्म हो जाती है हमारे अंदर आत्मविश्वास और हमारे अंदर संतुष्टि की भावना उत्पन्न होने लगती है और धीरे-धीरे हम सामाजिक, आर्थिक मानसिक ,और भावनात्मक रूप से संतुष्ट हो जाते हैं और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने लगते हैं।



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और भी बहुत से उपाय श्री माताजी ने बताए हुए हैं जिसे आप नजदीकी सहज योग सेंटर से प्राप्त कर सकते हैं

Wednesday, 17 October 2018

*�श्री माताजी से प्रश्न-* *चैतन्य लहरियाँ आती कहाँ से हैं? आपसे, ब्रह्माण्ड से या वातावरण से?*


*�श्री माताजी से प्रश्न-*
*चैतन्य लहरियाँ आती कहाँ से हैं? आपसे, ब्रह्माण्ड से या वातावरण से?*

*श्री माताजी का उत्तर-* चैतन्य लहरियाँ हर तरफ से आती हैं, इन्हें प्रवाहित करने वाली शक्ति मैं हूँ। ठीक है, ये बात आपको स्वीकार है? यह जीवन-प्रदायिनी शक्ति है। ये आपको पूर्ण सन्तुलन प्रदान करती है, आपके शरीर को सुधारती है, आपकी मानसिकता को सुधारती है, भावनात्मक रूप से आपको सुधारती है, परमात्मा से आपको पूर्ण आध्यात्मिक एकरूपता प्रदान करती है। ये आपको पूर्णतः समन्वित करती है। जहाँ तक मेरा सम्बन्ध है मुझे बिल्कुल भी पश्चाताप नहीं है।
मैं ये भी नहीं जानती पश्चाताप क्या होता है। मैं नहीं जानती कि प्रलोभन (Temptation) क्या होता है? इन चीज़ों को मैं इसलिए नहीं समझती क्योंकि मैं अपने आप से पूर्णतः एकरूप हूँ। एक उंगली जो मैं हिलाती हूँ, एक हाथ मैं जो हिलाती हूँ उसका भी कोई अर्थ होता है। बिना सोचे ये सब होता है परन्तु इसके पीछे बहुत बड़ा विचार छिपा होता है। मैं कहती हूँ, 'हाँ'। 'हाँ' का अर्थ ये है कि वृत्त की रचना हो चुकी है और ये वृत्त कार्य करता है। इसकी व्याख्या करना कठिन है क्योंकि मेरी तकनीक आपकी तकनीक से भिन्न है। अतः मैं अपने कार्यों की व्याख्या नहीं कर सकती। आपके अन्दर वो तकनीकी ज्ञान नहीं है। परन्तु बात यही है। जब मैं कहती हूँ 'हीं', 'हूँ', 'हाँ', 'हीं' ये सारे शब्द शक्तिशाली हैं। ये एक प्रकार की शक्ति का सृजन करते हैं, ऐसी शक्ति का सृजन करते हैं जो सारी नकारात्मकता, को सारे राक्षसों आदि को निगल जाती है और आप उन्हें बाहर भी खींच सकते हैं । अभी मैंने एक मटके के अन्दर अपने श्वास दिये हैं। ये अपने आप में पूर्ण प्रणव है। रात्रि को जब ये लोग सोये हुए होंगे तो ये प्रणव बाहर आ जायेगा और शनैः शनैः आपके अन्दर की बुराइयों को निकाल फेंकेगा और इन्हें बाँधकर अन्दर (मटके में) डाल देगा। आपने देखा होगा कि इस प्रकार से कितने ही पागल लोगों का इलाज हुआ है।
*प0पू0श्री माताजी, भारतीय विद्या भवन, मुंबई, 22.03.1977*

Monday, 3 September 2018

सिर्फ 6 मिनट *ऊँ* का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं


Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

यह vedio केवल पूराने ( old )साधको के लिए है
 please watch this video🎋🎋🎋👇



***माताजी श्री निर्मलादेवी के नाम के साथ ऊँ की ध्वनि का महत्व जानिये***


*क्या ऐसा हो सकता है कि 6 मि. में किसी साधन से करोडों विकार दूर हो सकते हैं।*

उत्तर है *हाँ हो सकते हैं*

वैज्ञानिक शोध करके पता चला है कि......



सिर्फ 6 मिनट *ऊँ* का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं जो दवा से भी इतनी जल्दी ठीक नहीं होते.........
छः मिनट ऊँ का उच्चारण करने से मस्तिष्क मै विषेश वाइब्रेशन (कम्पन) होता है

.... और औक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है।
कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं

... स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है,,,, मैमोरी पावर बढती है..।
लगातार सुबह शाम 6 मिनट ॐ के तीन माह तक उच्चारण से रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में औक्सीजन लेबल बढता है।
रक्त चाप , हृदय रोग, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक हो जाते हैं....।


विशेष ऊर्जा का संचार होता है

 ......... मात्र 2 सप्ताह दोनों समय ॐ के उच्चारण से
घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी जैसे रोग दूर होते हैं।
कंठ में विशेष कंपन होता है मांसपेशियों को शक्ति मिलती है..।

थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है और स्वर दोष दूर होने लगते हैं..।

पेट में भी विशेष वाइब्रेशन और दबाव होता है....। एक माह तक दिन में तीन बार 6 मिनट तक ॐ के उच्चारण से
पाचन तन्त्र , लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है, और डाइजेशन सही होता है, सैकडौं उदर रोग दूर होते हैं..।
उच्च स्तर का प्राणायाम होता है, और फेफड़ों में विशेष कंपन होता है..।

फेफड़े मजबूत होते हैं, स्वसनतंत्र की शक्ति बढती है, 6 माह में अस्थमा, राजयक्ष्मा (T.B.) जैसे रोगों में लाभ होता है।
आयु बढती है।

ये सारे रिसर्च (शोध) विश्व स्तर के वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं।

*जरूरत है छः मिनट रोज करने की....।*


*नोट:- ॐ का उच्चारण त्वमेव साक्षात श्री आदिशक्ति माताजी श्री निर्मलादेवी नमो नमः के साथ करने से और भी त्वरित,स्थाई चमत्कारी प्रभाव होते है ।।।*
मेहर श्री माताजी

*जय श्री माताजी।*
*बिजमन्त्र और बीजाक्षर द्वारा ध्यान*
*"जब तक आप संस्कृत में श्लोक उच्चारण करते नही तबतक मेरे चक्र प्रतिक्रिया नही करते"*
परमपूज्य श्री माताजी (निर्मल सुरभि पा.नं.63)
*अ ऊ म* (तीन बार)
*अ ऊ ओ म* (तीन बार)
*अ ऊ ओ ओं* (नाक में उच्चार) *म* (तीन बार)
*ओ ओं म्*
*ॐ* ( एक श्वास में बोलिए)
*ॐ ॐ* (एक श्वास में कहे)
*ॐ ॐ ॐ ॐ* ( एक श्वास में कहे) ( चार बार)
*ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ*
(8 बार एक दम में )
*१)मूलाधार;-*
बीजमंत्र- *ॐ लं लं लं लं ॐ*
(4 पंखुड़िया)
बीजाक्षर - *ॐ वं शं षं सं ॐ*
*२)स्वाधिष्ठान;-*
*ॐ वं वं वं वं वं वं ॐ*
( 6 पंखुड़ीया)
*ॐ बं भ मं यं र लं ॐ*
*३)नाभि;-*
*ॐ रं रं रं रं रं रं रं रं रं रं ॐ*
(10 पंखुडिया)
*ॐ डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं ॐ*
*४)अनाहत;-*
*ॐ यं यं यं यं यं यं यं यं यं यं यं यं यं यं यं यं ॐ*
(12 पंखुड़िया)
*ॐ कं खं गं घं ङं चं छं जं झं ञं टं ठं ॐ*
*५)विशुध्दि;-*
*ॐ हं हं हं हं हं हं हं हं हं हं हं हं हं हं हं हं ॐ*
(16 पंखुड़िया)
*ॐ अं आं इं ई उं ऊं ऋं ऋृ लृं लॄएं ऐं ओं औ अं अ:ॐ*
*६)आज्ञा;-*
*ॐ ॐ ॐ*
(2 पंखुड़िया)
*ॐ हम् क्षम् ॐ*
*७)सहस्त्रार;-*( 1000पंखुड़िया)
*ॐ सर्व मंगल मांगल्ये।*
*शिवे सर्वाथे साधिके।*
*शरण्ये त्र्यंबके गौरी।*
*नारायणी नमोस्तुते।।*
*जय श्री माताजी।*

Saturday, 1 September 2018

समस्याओं को देखना प्रारंभ कर दे , फिर आप समस्याओं से घबराते नहीं हैं। साक्षी अवस्था की शक्ति अत्यंत जबरदस्त है। by H.H. Shree mata ji


Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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श्री कृष्ण के आशीर्वाद फलस्वरूप हम साक्षी रूप होते है। साक्षी स्वरूप होना अर्थात जो कुछ भी आपको परेशान करने वाला है, दुख देने वाला है। उन सभी समस्याओं को आप देखना प्रारंभ कर देते हैं। उनको साक्षी अवस्था में देखना प्रारंभ कर देते हैं और फिर आप उन समस्याओं से बिल्कुल भी घबराते नहीं हैं। इस देखने की अवस्था या साक्षी अवस्था की शक्ति अत्यंत जबरदस्त है। बिना कुछ सोचे हुये जो कुछ भी आप देखते हैं


.... तो आपकी वह समस्या ही समाप्त हो जाती है। आपकी यदि कोई भी समस्या है तो एक बार यदि आप साक्षी अवस्था में चले जाये, इसे तटस्थ भाव कहते हैं, इसका अर्थ है कि आप समुद्र के किनारे पर खड़े होकर लहरों के उतार चढ़ाव को देखने लगते हैं और इसके बाद आपको मालूम हो जाता है कि उस समस्या को किस प्रकार से हल करना है? अतः आपको साक्षी भाव विकसित करना है। कई बार मैंने देखा है कि इसको विकसित करने के लिये लोगों को कुछ कठिनाइयों का सामना भी करना है।

.....ये अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एक बार जब आपकी कुंडलिनी सहस्त्रार से नीचे की ओर ऊर्जा का संचरण करने लगती है और आपके चक्रों पर गतिमान होकर विशुद्धि चक्र को प्लावित करने लगती है जहाँ पर इसको विश्राम करना है तब आपको कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है और आप सोचने लगते हैं कि "जरा देखिये मेरा जीवन कितना शांत और आनंदमय था।" मुझे कितने आशीर्वाद प्राप्त होने लगे थे और अब अचानक से न जाने क्या हो गया है? इसी समय आपको तटस्थ रहने की जरूरत है मतलब कि आपको साक्षी भाव में रहना है। यदि आप साक्षी अवस्था में रहते हैं तो प्रत्येक चीज में सुधार होने लगता है।"
प.पू. श्री माताजी निर्मला देवी
6/08/1988, कृष्ण पूजा, कोमो, इटली

Tuesday, 28 August 2018

तत्वों प्रभाव इडा नाड़ी की पकड़ {कमजोरियां} दाई ओर के पतन की खाई तक ले जा सकती है


Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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जो लोग बेईमान हैं जो लोग अत्यन्त चालाक  है । चालाकी आप लोगों को दाई ओर के पतन की खाई तक ले जा सकती है ।
**********************
यह स्थिति अत्यन्त दण्डनीय है क्योकि इसके कारण लोगो मे भिन्न प्रकार के शारीरिक रोग हो जाते है ।उनके हाथों और पैरों मे लकवा भी मार सकता है ।उन्हे जिगर के रोग भी हो सकते है ।ऐसी समस्यायें उत्पन्न होने की स्थिति मे जब लोग दाई ओर के विकारो के कारण कष्ट उठाते है तब उन्हे श्री गणेश की पूजा करनी चाहिये ।श्री गणेश जी को स्मरण करने के सुगम तरीका है कि उनके (श्रीमाताजी) के फोटोग्राफ के सम्मुख बैठकर उनसे चैतन्य लहरियाॅ प्राप्त करें स्यंम को संतुलित करने की यह सर्वोत्तम विधि है ।
परम पूज्य श्रीमाताजी
कबैला 25/9/1999

Friday, 17 August 2018

जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। by H.H. Shree mata ji

........ जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं। प॰ पू॰ श्रीमाताजी .

......... ध्यान देने से आपको पता लगेगा की आपके अंदर कौन से चक्र की पकड़ है, उसे आपको साफ करना है। इसको प्रत्याहार कहते हैं, माने इसकी सफाई होनी चाहिये। प॰ पू॰ श्रीमाताजी .

......... मध्य के पांचों चक्र मूलतः भौतिक तत्वों के बने हैं तथा पांचों तत्वों से इन चक्रों का शरीर बना है। हमें पूर्ण सावधानी से इन पांचों चक्रों का संचालन करना चाहिये। जिन तत्वों से ये चक्र बने हैं उन्हीं में इनकी अशुद्धियों को निकाल कर इन चक्रों का शुद्धीकरण करना है। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, 18.1.1983

........चक्र कुप्रभावित होने पर सम्बन्धित देवता वहाँ से स्थान त्याग कर देते हैं, अतः उस चक्र का मंत्र उच्चारण करके परम्पूज्य श्रीमाताजी के नाम की शक्ति से उस देवता का आवाहन किया जाता है। उपचार के लिये विपरीत पाश्वॅ का हाथ प्रभावित चक्र पर रखें और प्रभावित पाश्वॅ का हाथ फोटो की ओर फैलायेँ। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, निर्मला योग, जुलाई-अगस्त, 1983 .

........ ऐसा नहीं है कि सहजयोग में आने के बाद आपको कोई बीमारी ही नहीं होती है, कारण यह है कि सहजयोग में आने के बाद जो ध्यान-धारणा और प्रगति आपने करनी होती है, वो आप नहीं करते। फिर भी आपके कष्ट घट जाते हैं। .

....... सहजयोग में आने के बाद एक महीने में ही आप पूरी तरह से सहजयोग को समझ सकते हैं और उसमें उतर भी सकते हैं, पर जिस प्रकार रोज हम लोग स्नान करके अपने शरीर को साफ करते हैं, उसी प्रकार रोज अपने चक्रों को भी आपको साफ करना पड़ेगा। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, दिल्ली, 2.3.1991

Saturday, 21 April 2018

आखिर यह नाम दान / गुरू मन्त्र है क्या ? क्यों दिया जाता है ? क्यों लेना चाहिए ? कबतक प्रभावी है ?



*नाम दान / गुरू मन्त्र*

आखिर यह नाम दान / गुरू मन्त्र है क्या ?
क्यों दिया जाता है ? क्यों लेना चाहिए ?
कबतक प्रभावी है ?
*सबसे बड़ा सवाल* गुरू मन्त्र किस से लें

हम मे से बोहोत सारे लोग आज यह जानते हैं कि हमारे शरीर में 7 चक्र और 3 नाड़िया होती है .... कुछ एक कुण्डलिनि शक्ति के बारे मे भी जानते हैं ..... जो नहि जानते उनके लिए बता देते हैं

मानव शरीर में परमात्मा द्वारा स्थापित एक सुक्ष्म शरीर भी होता है जिसमे प्रमुख 3  नाड़ियां ईड़ा पिंगला व सुषुम्ना हैं
ईड़ा बायीं तरफ पिंगला दायीं तरफ व सुषुम्ना मध्य में स्थापित की गई (रीढ़ की हड्डी के बीच मे) अब ईस नाड़ी पर 7 चक्र स्थापित हैं क्रमश:
1. मूलाधार चक्र रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से मे
2. स्वाधिष्ठान चक्र कमर में
3. मणिपूर चक्र नाभी में
4. अनहत चक्र हृदय में
5. विशुद्धि चक्र कण्ठ में
6. अगन्य चक्र माथे में
7. सहस्त्रार चक्र सर के तालू भाग में

जैसा कि आपने जाना कि कौन कौन से चक्र व नाड़ियां हमारे शरीर में स्थापित हैं

*अब सवाल यह है कि यह काम क्या करते हैं*

छोटा सा उत्तर दूंगा कि अपनी जद मे आने वाले अंगों को सुचारू रूप से न केवल चलाते है बल्कि नुक्सान की भरपाई तक करते हैं और भी आध्यात्मिक गुण हैं वह कभी बाद में चर्चा करेंगे आज हम नामदान की बात करते हैं

तो आपने नाड़ी , चक्र जान लिए
कुण्डलिनि क्या है ?
कुण्डलिनि परमात्मा की वह शक्ति हेै जो गर्भ मे पल रहे 2 से 3 महीने के भ्रूण में तालू भाग से प्रवेश कर नाड़ियों व चक्रों की स्थापना कर के हृदय में श्री शिव स्वरूप आत्मा को स्थापित कर रीढ़ की हड्डी के सबसे नीचे त्रिकोणाकार अस्थि पर जाकर 3.5 कुण्डल मार कर बैठ जाती है या सो जाती है ईसके पास हमारे सभि जन्मों का लेखा जोखा सुरक्षित रहता है और उसी के मुताबिक हमे आगे के जन्म मिलते हैं
तो यह सोई हुई शक्ति एक वरदान है परमात्मा का यदि यह जाग जाए तो परमीत्मा से जीते जी सम्पर्क जोड़ देती है व न केवल कर्मों से मुक्ति मिल सकती है बल्कि असाध्य रोग समस्याएं ठीक होने लगती हैं
और भी बोहत फायदे होते हैं
यग खुद भी यहि चाहती है कि ईसे जगाया जाए और जिस तालू भाग से यह शरीर में प्रवेश हुई थी उसी दशम द्वार को भेद कर यह परमात्मा से एकाकार हो जाए

ईस क्रिया में कई सारे फायदे भी होते है व कई सारी समस्याएं भी आती है
जैसे कि चक्र की खराबी
हमारे जो चक्र हैें वह देवी देवताओं द्वारा संचालित हैं चक्र मे खराबी या किसी कारणवश जब देवता चक्र से चले जाते हैं तो चक्र बन्द हो जाता है जिसके कारण कुण्डलिनि उस चक्र से निचले स्तर पर रूक जाती है

*नाम दान* एक एसा व्यक्ति जो स्वयं आत्मसाक्षातकारी हो वह आपके चक्रों को देख कर/ महसूस कर के आपको उस चक्र से सम्बन्धित दोवता को प्रसन्न करने वाले शब्द / क्रिया या मन्त्र बता देता है
जिसे आम भाषा में गुरू जी से नाम दान या गुरू मन्त्र लेना कहा जाता है
ईस सब में वह मन्त्र देने वाला व्यक्ति एक सन्देशवाहक की भूमिका निभाता है कि आपको आपके चक्र के देवता का सानिध्य प्राप्त हो व आपकी कुण्डलिनि आप को भवसागर पार करा कर परमात्मा से जोड़ दे

(भवसागर भी हमारे शरीर के अन्दर ही होता है )

तो अब सवाल यह है कि नाम दान कब तक रहे अगर देवता आ गए और आप फिर भी मन्त्र पढ़ते रहे तो फिर तो वे नाराज हो कर चले जाएंगे कि यह तो बस बुलाने मे लगा है और ईसको कोई काम नहि
यह कैसे पता चले कि देवता आए कि नहि या मन्त्र उसी चक्र का दिया गया है जो खराब है
कौनसा चक्र खराब है
यह एक बड़ी उलझन का विषय है क्योंकि आजकल लोग पैसे के लिए कुछ भी कर जाते हैं
तो परख करना आना चाहिए

अब परख करना कैसे सीखें
आसान है
सहजयोग नाम की संस्था हर शहर में हर सप्ताह कम से कम एक *निषुल्क* कुण्डलिनि जागरण , ध्यान योग का कार्यक्रम चलाती है
किसी भी उम्र का महिला या पुरूष वहा जाकर सीख सकता है
वहा जाईये, सीखिये व परख कीजिए

*स्वयं के गुरू बनिए*

SahAj yoga meditation

Friday, 20 April 2018

चक्रो के स्थान/चक्रो की अभिव्यक्ति/चक्रो के नियंत्रित अंग ए वं कार्य/चक्रो मे दोष पैदा होने के कारण/. चक्रो के शासक देव एवं गुण / चक्रो के तत्व


🙏चक्रो के स्थान🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र---- त्रिकोणाकार अस्थि के नीचे, हाथ मे कलाई के पास पैर मे एड़ी
(2)स्वाधिष्ठान चक्र ---- कमर के रीड़ का भाग , हाथ का अंगूठा,पैर की बीच की उँगली
(3) नाभि --- नाभि के पीछे ,हाथ के बीच की उँगली , पैर का अंगूठा
(4) अनहद् चक्र --- छाती का मध्य भाग, स्टनर्म बोन के पीछे , हाथ मे कनिष्ठिका उँगली ,पैर की छोटी ऊँगली
(5) विशुध्दि चक्र --- गर्दन -- गला,हाथ मे तर्जनी , पैर मे अंगूठे के बगल वाली ऊँगली
(6) आज्ञा चक्र ---  मस्तक का मध्य भाग , हाथ मे अनामिका ऊँगली , पैर मे छोटी ऊँगली के पास की ऊँगली
(7) सहस्त्रार चक्र --- तालु-- क्षेत्र , हथेली का मध्य भाग , पैर का तलुवा
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🙏चक्रो की अभिव्यक्ति🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- पेल्विक प्लेक्सस --- चार पंखुड़याँ
(2)स्वाधिष्ठान चक्र ---- महाधमनी चक्र , छः पखुडियाँ
(3) नाभि चक्र --- सूर्य चक्र, दस पंखुडियाँ
(4) अनहद् चक्र ---- कार्डियाक प्लेक्सस , बारह पंखुडियाँ
(5) विशुध्दि चक्र ---- सरवायकल प्लेक्सस, सोलह पंखुडियाँ
(6) आज्ञा चक्र --- पीनियल और पिटयूटरी ग्रन्थी , दो पंखुड़ियाँ
(7) सहस्त्रार चक्र --- लिम्बिक क्षेत्र ,एक हजार पंखुडियाँ
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🙏 चक्रो के नियंत्रित अंग ए
वं कार्य🙏🏼
(1)मूलाधार चक्र --- गर्भाशय , प्रोस्टेट,यौन गतिविधि , उत्सर्जन
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ----- यकृत , आमाशय, प्लीहा, गुदा, लिवर, पैनक्रियाज
(3) नाभि चक्र ---- पेट,आंतडियाँ , लिवर का कुछ भाग, पाचन---' क्रिया
(4)अनहद् चक्र --- ह्रदय, फेफड़ा श्वास क्रिया , बाहरी एवं अंदर के दुष्प्रभावो से लड़ने की क्षमता , बारह वर्ष की उम्र तक शरीर में एंटीबायोटिक पैदा करना
(5) विशुव्दि चक्र ---- जीभ,नाक,कान, दाँत, मुह, आँख, कंठ, हाथ आदि सोलह अंग
(6) आज्ञा चक्र ---- दृष्टि, विचार ,दृष्टि-- तंत्रिका की देखभाल
(7) सहस्त्रार चक्र --- मस्तिष्क संचालन
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🙏🏼चक्रो मे दोष पैदा होने के कारण🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- व्याभिचार , समलैंगिक कामुकता, तंत्र विधा, माता--- पिता व्दारा बच्चो कास्  दुरूपयोग
(2) स्वाधिष्ठान चक्र --- अतिविचार,अतिकर्मी, असंतुलन
(3) कट्टरता, धर्मान्धता , कंजूसी, पारिवारिक कलह,चालबाजी , आलोचनात्मक स्वभाव
(4) अनहद् चक्र --- अमर्यादित जीवन ,स्वार्थ ,माता -- पिता से अलगाव , असुरक्षा की भावना , मोह
(5) विशुध्दि चक्र ---- अपराधी भाव , धूम्रपान, तम्बाकू--- सिगरेट का सेवन, गलत मंत्र जाप, अपवित्र संबंध ,सामुहिकता में अरूचि , कर्कश वाणी
(6) आज्ञा चक्र --- ईश्वर के प्रति घलत धारणा, अहंकार, बंधन,  दूषित नजर, अनाविकृत गुरू के सामने झुकना , गलत पंडितो से माथे पर तिलक लगवाना
(7) सहस्त्रार चक्र --- नास्तिकता , परम पूज्य श्रीमाता जी को न पहचानना
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🙏🏼चक्रो के शासक देव एवं गुण 🙏
(1) मूलाधार चक्र ----
शासक देव ---- श्री गणेश
गुण --- अबोधिता ,पवित्रता , संतुलन , बुध्दि ,चुम्बकीय शक्ति
(2) स्वाधिष्ठान चक्र -----
शासक देव --- श्री ब्रह्रादेव - सरस्वति
गुण --- सृजनात्मकता , सौन्दर्य बोध , कला
(3)नाभि चक्र ------
शासक देव --- श्री लक्ष्मी ---- नारायण
गुण ---- संतोष, औदार्य ,करूणा , गरिमा , उदारता , धार्मिकता , सेवाभाव
(4) शासक देव --- श्री सीता--राम,श्री जगदम्बा,श्री शिव -- पार्वती
गुण --- निडरता, आत्मविश्वास ,सुरक्षा ,प्रेम , कर्तव्य परायणता, धैर्य
(5) शासक देव ---
श्रीराधा --- कृष्ण , श्री विष्णुमाया ,श्री रूकमणि -- विठ्ठल
गुण ---- सामुहिकता , साक्षीभाव, ईश्वरीय चातुर्य , माधुर्य , मिठास
(6) आज्ञा चक्र ---
शासक देव --- श्री जीजस क्राइस्ट, माता मेरी, श्री बुध्द , श्री महावीर
गुण --- क्षमा ,तपस्या, उत्थान
(7) सहस्त्रार चक्र ----
शासक देव --- आदिशक्ति श्री माताजी, श्री कल्की
गुण --- ठण्डी चैतन्य लहरी , निर्विचारता, सभी चक्रो का समन्वय, निरानंद , शांति
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[🙏चक्रो के तत्व 🙏
(1) मूलाधार चक्र------- ' भूमि (पृथ्वी) '
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---'अग्रि '
(3) नाभि चक्र ------ 'जल '
(4) अनहद् चक्र ---- 'वायु '
(5) विशुध्दि चक्र ---- 'आकाश '
(6)आज्ञा चक्र ---- ' प्रकाश '
(7) सहस्त्रार चक्र --- 'परम चैतन्य
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[🙏चक्रो के बीज मंत्र🤝🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- 'लं '
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---- ' वं '
(3) नाभि चक्र ---------   ' रं '
(4) अनहद् चक्र ------    ' यं '
(5) विशुध्दि चक्र --------- ' हं '
(6) आज्ञा चक्र ------------'  क्षम '
(7)  सहस्त्रार चक्र --------- 'ऊँ'
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[🙏चक्रो के ग्रह 🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र ------ ' मगल'
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---- 'बुध '
(3) नाभि चक्र -----  ' गुरू '
(4) अनहद् चक्र --- ' शुक्र '
(5) विशुध्दि चक्र ----- 'शनि '
(6) आज्ञा चक्र --- 'रवि ' नेपच्यून
(7)सहस्त्रार चक्र ---' प्लूटो '

छठा चक्र जिसे इस्लाम में पुल-सीरत कहा जाता है /देवदूत के साथ पैगम्बर मोहम्मद को मिलने के लिये आये









अध्याय 4
इस्लाम एनलाइटैन्ड ......
क्षमा की शक्ति
(लेखक सहजयोगी जावेद खान)

छठा चक्र जिसे इस्लाम में पुल-सीरत कहा जाता है वह सातवें चक्र में जाकर खुलता है। जब स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं तो साधक को परमानंद की प्राप्ति होती है और जैसा कि पूर्व के अध्यायों में बताया गया है कि परम पिता परमेश्वर का प्रेम उसके अंदर से बहने लगता है। इसका रहस्य केवल (लोगों को और स्वयं को) क्षमा कर देना है। पैगम्बर मोहम्मद ने अपने उदाहरण से क्षमा का सार बताया। उनके इसी क्षमा के गुण के कारण उनके अनुयायियों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होने लगी। वे अपने सभी अनुयायियों को शिक्षा देते थे कि अपने उत्थान के लिये उनको सबको क्षमा करना चाहिये। एक बार पैगम्बर मोहम्मद अल्लाह का संदेश का प्रचार करने के लिये तैफ नाम के गाँव गये जो मक्का के पास एक पहाड़ी स्थान था।

 उस गाँव के मुखिया ने उनको झूठा कहते हुये उनका मज़ाक उड़ाया कि अल्लाह को क्या तुम्हारे अलावा कोई और खुदा का बंदा नहीं मिला पैगम्बर बनाने को। पैगम्बर उसकी बात सुन कर उदास हो गये और वे तैफ गाँव को छोड़ कर चले गये। तैफ के लोगों ने उन पर पत्थर बरसाने के लिये छोटे छोटे बच्चों को भेजा जो उन पर बेरहमी से पत्थर बरसाने लगे। उनके शरीर से खून बहने लगा और वे गाँव छोड़ कर चले आये। वे अल्लाह से प्रार्थना करने लगे और रोने लगे। अल्लाह ने जब ये सब देखा तो वे बहुत खफा हुये। देवदूत गैब्रियल और एक अन्य देवदूत के साथ पैगम्बर मोहम्मद को मिलने के लिये आये। वह दूसरा देवदूत पर्वतों तक को जीत सकता था। 
तैफ गाँव पर्वतों के बीच बसा हुआ था। देवदूतों ने हज़रत मोहम्मद से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम तैफ को पर्वतों के बीच दबाकर चकनाचूर कर दें। उन्होंने उत्तर दिया या मेरे परवरदिगार मैं आपसे इन लोगों की शिकायत करता हूँ। हे दया और करूणा के सागर आप तो गरीबों के और मेरे भी परवरदिगार हो। मैं आपके अलावा और किसके पास जाकर ऐसे लोगों की शिकायत करूँ। अगर आप मुझसे खफा न हों क्योंकि मेरे अंदर वैसी शक्ति ही नहीं है जैसी आपके अंदर है और उन्होंने तैफ के लोगों को क्षमा कर दिया। ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनसे उनकी क्षमाशीलता के बारे में मालूम होता है। 

एक दूसरे उदाहरण के अनुसार जब भी पैगम्बर मोहम्मद एक यहूदी स्त्री के घर के सामने से गुजरा करते थे तो वह उनके ऊपर कूड़ा करकट फेंक देती थी। एक दिन जब वे उसके घर के सामने से गुजर रहे थे लेकिन उस दिन उनके ऊपर उस स्त्री ने कूड़ा नहीं फेंका। वे बड़े हैरान हुये कि क्या बात है? जब उन्होंने इस बारे में पूछताछ शुरू की तो मालूम हुआ कि वह स्त्री तो बीमार है। पैगम्बर तुरंत उस स्त्री को देखने के लिये उसके घर गये। उनको अपने घर पर देख कर उस स्त्री को बहुत शर्मिंदगी का अनुभव हुआ। पैगम्बर मोहम्मद की दयालुता से वह बड़ी प्रभावित हुई। इसके बाद उसने इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया।

मुसलमानों द्वारा लड़े गये पहले युद्ध को बदर का युद्ध कहा जाता है क्योंकि इस युद्ध को बदर के कुँओं के पास लड़ा गया था। इस युद्ध में बड़ा संख्या में उन लोगों पर जीत हासिल की गई जो मोहम्मद साहब के विरोध में थे। इस युद्ध में मुसलमान सेना ने अनेकों लोगों को कैद कर लिया। जब उन कैद लोगों के भाग्य का फैसला किया जा रहा था, उस समय अबू बक्र नाम के शख्स ने राय दी कि चूँकि मुसलमानों और मक्का के बाशिंदों की रगों में एक ही खून बह रहा था अतः मुसलमानों को मक्का के लोगों से कुछ रकम हासिल करके उनको छोड़ देना चाहिये। दूसरी ओर ओमर नाम के शख्स ने कहा कि इन कैदियों ने मुसलमानों पर अनेकों ज़ुल्म ढाये हैं और इन्हीं के कारण पैगम्बर मोहम्मद को देश निकाला दे दिया गया था। अतः उसने अपना फैसला सुनाया कि इन कैदियों को बर्बरता से मार डाला जाय।
अबू बक्र और ओमर की राय मानने वालों की संख्या बराबर थी। पैगम्बर साहब ने अबू बक्र का साथ दिया। उन्होंने आदेश दिया कि सभी कैदियों के साथ मानवता का व्यवहार किया जाना चाहिये। उन्होंने उन सभी कैदियों को रिहा कर दिया। उनका आदेश ऐसा होता था कि मुसलमानों ने कैदियों के प्राणों की रक्षा के लिये अपना खाना भी छोड़ दिया और खुद सूखे छुहारे खा कर जीवित रहे।

उनकी रिहाई के बदले में जो रकम रखी गई वह प्रत्येक कैदी की धन संपत्ति अनुसार निश्चित की गई थी। पैगम्बर साहब के चाचा अब्बास को सबसे ज्यादा रकम देनी पड़ी। जबकि कई लोगों को तो बिना कोई रकम लिये हुये ही छोड़ दिया गया। उनको छोड़ने से पहले एक शर्त रखी गई कि जो भी कैदी पढ़ना लिखना जानते हों वे दो अन्य अनपढ़ मुसलमानों को पढ़ना लिखना सिखायेंगे।


Wednesday, 4 April 2018

भदोही जिला के जंगीगंज में रामदेव पी .जी. कॉलेज में सहजयोग ध्यान का कार्यक्रम हुआ ।इस कार्यक्रम बी. टी .सी और बी.एड.के छात्र छात्राओं एवमं कॉलेज के अध्यापकों ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को महसूस किया।





यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है 


. जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी


पावनता ही हमारे अंदर की सबसे बड़ी शक्ति है।
हमे अपना चित्त इधर उधर व्यर्थ चीजों में नही लगाना चाहिए।उसे सहस्त्रार पर लगाना बहुत आवश्यक है।
By
H.H. Shree mata ji


😆😄😃 Sahaj yoga meditation😆😄😃
😆😄











 भदोही जिला के जंगीगंज में रामदेव पी .जी. कॉलेज में सहजयोग ध्यान का कार्यक्रम हुआ ।इस कार्यक्रम बी. टी .सी और बी.एड.के छात्र छात्राओं एवमं कॉलेज के अध्यापकों ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को महसूस किया।
Self realisation nd meditational program in RAMDEV P.G. COLLEGE  JANGIGANJ DISS.BHADOHI. WITH Sanjay pradhan,,shruti nd kokil Srivastav.
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International Sahaja Yoga Research & Health Centre,
Plot.1, Sector 8, H.H. Shri Nirmala Devi Marg, CBD, Belapur
Navi Mumbai - 400614.
Tel 91- 022 - 27571341/27576922, between 10 am and 4 pm (India time)
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गेरू-शीत पित्ती त्वचा रोग हेतु , सिन्दूर - आज्ञा चक्र हेतु /त्वचा पर सफेद पपड़ियाँ नाभि चक्र के कारण होती हैं।








2- बाँया नाभि चक्र
(डॉ0 संदीप राय)
त्वचा पर सफेद पपड़ियाँ नाभि चक्र के कारण होती हैं।

इसके लिये आपको अपनी दाँई नाभि को साफ करना चाहिये। त्वचा की सफेद पपड़ियों के लिये दाँई नाड़ी का स्वच्छ कीजिये। इसका अर्थ है कि आपके लिवर में समस्या है। बाँई नाड़ी को स्वच्छ करने के लिये या शांत रहने के लिये तथा दाँई विशुद्धि को ठीक करने के लिये या मधुर भाषी बनने के लिये आपको क्या करना चाहिये?
जैसा कि मैंने आपको बताया कि कैंडल से बाँई नाभि को ठीक किया जा सकता है। दाँये स्वाधिष्ठान की गर्मी दाँई विशुद्धि पर आती है और ऊपर की ओर जाने लगती है। अतः दाँई नाड़ी को ठंडा करने से दाँई विशुद्धि भी ठीक हो जाती है। इसके लिये श्रीराधाकृष्ण और विठ्ठल रूक्मिमी का मंत्र लिया जा सकता है। इसके लिये श्रीमाताजी से प्रार्थना भी की जा सकती है कि माँ मुझे श्रीकृष्ण की तरह मधुर वाणी दे दीजिये। ये प्रार्थना बहुत उपयोगी है और बहुत सरल भी है। आप हृदय से जो भी प्रार्थना करते हैं श्रीमाताजी उसे अवश्य स्वीकार करती हैं।
त्वचा की सभी परेशानियाँ बाँई नाभि को स्वच्छ करने से ठीक हो जाती हैं। त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिये बाँई नाड़ी को स्वच्छ कीजिये। इसके लिये आप एक कैंडल को अपने सामने रख लीजिये और अपनी बाँई नाभि की उंगली को उसकी लौ के ऊपर रख दीजिये। अपना दाँया हाथ धरती या बाँई नाभि पर रख दीजिये और ध्यान में चले जाँय। आपकी त्वचा की समस्यायें समाप्त हो जायेंगी।यदि आपकी त्वचा पर खुजली आदि हो रही हो तो ये लिवर के कारण हो सकता है। आपके शरीर में लिवर की गर्मी से खुजली हो सकती है। हाइपोथाइरॉयड बाँई विशुद्धि की समस्या के कारण होता है। इसके बाद पेट में गड़गड़ाहट या रंबलिंग होना एक और समस्या है। ये भी भि के कारण होता है। यदि आप फुट सोक करें और नाभि को साफ करें तो ये दूर हो सकती है।

H.H. Shri Mataji about children/कुछ बच्चे एकदम दुबले पतले होते हैं और उनका वजन भी बहुत कम होता है।




1990 Shri Mataji about children, Diwali



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छोटे बच्चों के लिये लिवर ट्रीटमेंट ---->>>
(छोटे बच्चों को सलाह, वियेना ऑस्ट्रिया, 9 जुलाई 1986.)


मैंने ये भी देखा है कि कुछ बच्चे एकदम दुबले पतले होते हैं और उनका वजन भी बहुत कम होता है। अतः हमें तुरंत देखना चाहिये कि क्या बच्चे का लिवर खराब है? हो सकता है कि बच्चे का लिवर अस्पताल में ही खराब हो गया हो क्योंकि ये बच्चे जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी होते हैं और अस्पताल में हो सकता है उस समय कोई हिपेटाइटिस का रोगी भर्ती रहा हो या कोई और रोगी रहा हो। बच्चे इसको कैच कर लेते हैं और उनको जॉन्डिस जैसे रोग हो जाते हैं। ऐसे बच्चों के लिये सबसे अच्छी दवाई मूली के पत्तों को उबालकर उसमें थोड़ा शक्कर डालना है और फिर उसको दवा के रूप में बच्चे को देना है।
बहुत छोटे बच्चों यानी छः महीने से छोटे बच्चों को ये पानी न दें। इस पानी को थोड़ा गरम कर लें और बच्चे को पीने के लिये दें। इसमें गुड़ भी डाल सकते हैं। हो सकता है इसका स्वाद ज्यादा अच्छा न हो परंतु ये दवा छोटे बच्चों और के लिये बहुत अच्छी होती है। यदि आप उऩको बचपन में ये दवा नहीं देंगे तो उऩको हमेशा लिवर की समस्या रहेगी। उनके लिवर को चंद्रमा का मंत्र पढ़कर शांत रखें। अपना बाँया हाथ उनके लिवर पर रखें और उसको शांत या ठंडा करें। मेरे फोटो से चैतन्य ग्रहण करें और देखें कि बच्चे का लिवर शांत हो गया है। जब बच्चों को लिवर खराब हो जाता है तो वे ठीक से दूध नहीं पीते और एकदम कमजोर हो जाते हैं। उनका चेहरा भी पीला पड़ जाता है। जब उनका लिवर इनैक्टिव या सुस्त हो जाता है तो उनके शरीर पर बहुत जल्दी रैशेज या छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। जैसे ही लिवर सुस्त पड़ जाता है तो बच्चों को कैलशियम देना शुरू कर दें। यदि उनके शरीर पर दाने या रैशेज हो जाँय तो उन्हें किसी भी रूप में कैलशियम देना शुरू कर दें। रैशेज होने पर उऩको विटामिन ए और डी भी देना चाहिये।...

Mrs.Earth Shweta Chaudhry और वहाँ उपस्थित सभी teachers,professors ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को आत्मसात किया,और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया।



यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है 

.... मानव की सभी समस्यायेँ उनके चक्रों के कारण हैं। किसी तरह से यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकें तो आपकी सारी समस्यायों का समाधान हो जाएगा। यह इतना साधारण है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, चिकित्सा सम्मेलन, 25.3.93

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वाराणसी में Mrs.Earth 2018  Shweta Chaudhary का एक कार्यक्रम में आना हुआ ।कार्यक्रम बहुत ही अच्छे टॉपिक पर था   IS..... LEAVE NECESSARY DURING PERIODS.? वाराणसी के कई डिग्री कॉलेज की teachers,professor ने इस topic पर अपने अपने विचार रखे।वहाँ सहजयोग ध्यान के माध्यम से इस परिस्थिति में कैसे लाभ मिलेगा इस पर विचार व्यक्त करने के लिए बुलाया गया था।
साथ ही साथ Mrs.Earth Shweta Chaudhry और  वहाँ उपस्थित सभी teachers,professors ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को आत्मसात किया,और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया।
Program organized by  
ALKA GUPTA       (HOD....Political science) U.P. College,Varanasi








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Tuesday, 3 April 2018

Sahaj yoga meditation सूक्ष्म यंत्र के चक्र (शक्ति केंद्र) एक विशेष गति/चक्रों में दोष के कारण





चक्रों में दोष के कारण एवं उनका शुद्धीकरण
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(जिस प्रकार पृथ्वी अपनी धुरी के चारों ओर घूमती है उसी प्रकार हमारे सूक्ष्म यंत्र के चक्र (शक्ति केंद्र) एक विशेष गति से समतल सतह पर दक्षिणावर्त (clock wise) दिशा में अपने-अपने स्थानों पर चक्कर लगाते हैं। ये चक्र स्थूल केन्द्रों (plexuses) का निर्माण करते हैं, जो अपने चारों ओर के अंगों पर नियंत्रण रखते हैं। जब ये चक्र सुचारु रूप से अपनी गति द्वारा अपने अंगों को आवश्यकतानुसार शक्ति प्रदान करते हैं तभी शरीर के सारे अंग अपने निर्धारित कार्य सही तरह से कर पाते हैं। इन चक्रों की शक्ति हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कार्यों में निरंतर खर्च होती रहती है इसलिए चक्रों में शक्ति का सतत प्रवाह होना अत्यन्त आवश्यक है। किसी बाधा या रुकावट के कारण यदि शक्ति का प्रवाह कम हो जाता है तो चक्र अंगों पर नियंत्रण नहीं रख पाते। अंग भी शक्ति के अभाव के कारण क्षीण होने लगते हैं तो उनके निर्धारित कार्य रुक जाते हैं या ठीक प्रकार से नहीं हो पाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप शारीरिक रोग एवं मानसिक, भावनात्मक समस्यायेँ पैदा हो जाती हैं।)
........ मानव की सभी समस्यायेँ उनके चक्रों के कारण हैं। किसी तरह से यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकें तो आपकी सारी समस्यायों का समाधान हो जाएगा। यह इतना साधारण है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, चिकित्सा सम्मेलन, 25.3.93
......... जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
.......... ध्यान देने से आपको पता लगेगा की आपके अंदर कौन से चक्र की पकड़ है, उसे आपको साफ करना है। इसको प्रत्याहार कहते हैं, माने इसकी सफाई होनी चाहिये।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
.......... मध्य के पांचों चक्र मूलतः भौतिक तत्वों के बने हैं तथा पांचों तत्वों से इन चक्रों का शरीर बना है। हमें पूर्ण सावधानी से इन पांचों चक्रों का संचालन करना चाहिये। जिन तत्वों से ये चक्र बने हैं उन्हीं में इनकी अशुद्धियों को निकाल कर इन चक्रों का शुद्धीकरण करना है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, 18.1.1983
........चक्र कुप्रभावित होने पर सम्बन्धित देवता वहाँ से स्थान त्याग कर देते हैं, अतः उस चक्र का मंत्र उच्चारण करके परम्पूज्य श्रीमाताजी के नाम की शक्ति से उस देवता का आवाहन किया जाता है। उपचार के लिये विपरीत पाश्वॅ का हाथ प्रभावित चक्र पर रखें और प्रभावित पाश्वॅ का हाथ फोटो की ओर फैलायेँ।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, निर्मला योग, जुलाई-अगस्त, 1983
......... ऐसा नहीं है कि सहजयोग में आने के बाद आपको कोई बीमारी ही नहीं होती है, कारण यह है कि सहजयोग में आने के बाद जो ध्यान-धारणा और प्रगति आपने करनी होती है, वो आप नहीं करते। फिर भी आपके कष्ट घट जाते हैं।
........ सहजयोग में आने के बाद एक महीने में ही आप पूरी तरह से सहजयोग को समझ सकते हैं और उसमें उतर भी सकते हैं, पर जिस प्रकार रोज हम लोग स्नान करके अपने शरीर को साफ करते हैं, उसी प्रकार रोज अपने चक्रों को भी आपको साफ करना पड़ेगा।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, दिल्ली, 2.3.1991
........यदि आपकी विशुद्धि चक्र में कोई पकड़ है तो अपना दायाँ हाथ फोटो कि ओर करें और बाँया हाथ बाहर कि ओर कर दें। जब आपको लगे कि इसमें चैतन्य लहरियाँ आ रही हैं तब अपना बाँया हाथ फोटो कि ओर कर लें और दायाँ हाथ बाहर कि ओर, आपका पूरा चक्र स्वच्छ हो जाएगा।
अपनी खुली आंखो से यदि आप मेरी फोटो को देखते हैं और अपने दोनों हाथ हथेलियाँ ऊपर की ओर करके फोटो की ओर फैलाते हैं या कभी-कभी आकाश की ओर उठाते हैं, तो आपकी दृष्टि में बहुत सुधार होगा।
पृथ्वी माँ भी, यदि आप अपना सिर पृथ्वी माँ पर रखे, केवल अपना माथा पृथ्वी पर टेक लें और कहें,
“हे पृथ्वी माँ, मैं आपको अपने पैरों से छूता हूँ, इसके लिये मुझे क्षमा करें।“ वो दादी माँ हैं, जो भी कुछ आप उनसे मांगेंगे वो आपको मिल जायेगा। सब आपकी इच्छानुरूप आपको देने के लिये प्रतीक्षा कर रहे हैं।
आप श्री हनुमान और श्री गणेश की सहायता भी माँग सकते हैं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, मुंबई, 22.3.1977

ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।
कुंडलिनी की जागृति, दिव्य ऊर्जा को उन छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति देती है, जो शरीर के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं, 


ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।





...... जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
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ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।





कुंडलिनी की जागृति, दिव्य ऊर्जा को उन छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति देती है, जो शरीर के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं, 


यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है 




,,......जो डीपर मेडिटेशन में आपको करना है वह अपने चित्तवृत्ति का expansion और उसका खिंचाव। यह खिंचाव और expansion जब आप करने लग जायेंगे, तो आपको आश्चर्य होगा कि आपकी गहराई जो है वो बढ़ती है। एक ऐसा सोचिए, गेहूं गर खूब सारा यहाँ फैला दिया, उसका फैलाव ज्यादा हो गया, फिर गेहूं इकठ्ठा करके उसको ऐसे बडा़ कर दिया, उसकी ऊँचाई बढ़ गई कि नहीं बढ़ गयी? तो उसी तरह से जब आपने अपने को सारा का सारा समेट लिया, अपने चित्त को, तो आप देखिये अन्दर की गहराई बढ़ेगी .......अब चित्त कहीं उलझेगा ही नहीं , आप कोशिश करें, चित्त कहीं नहीं उलझेगा। ये deep Meditation में आप प्रयत्न करें। कोई सा भी बड़ा प्रश्न आये, आप उसकी तरफ देखें और देखते ही आपको आश्चर्य होगा कि चित्त वहाँ जाता है और लौट आता है। चित्त कहीं उलझ नहीं सकता ।

प.पू.श्रीमाताजी
मुम्बई, 03/09/1973
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International Sahaja Yoga Research & Health Centre,
Plot.1, Sector 8, H.H. Shri Nirmala Devi Marg, CBD, Belapur
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Monday, 2 April 2018

डायबिटीज का इलाज केवल सहज योग #डॉक्टर संदीप राय














1- डायबिटीज रोग
(डॉ0 संदीप राय)
डायबिटीज बहुत ही कॉमन रोग है। इस रोग का मुख्य कारण अधिक सोच विचार या बहुत अधिक योजनायें बनाना है। इसका अर्थ है कि आपके दाँये स्वाधिष्ठान में कोई परेशानी है। माँ ने कहा है कि जब आपकी दाँई नाड़ी का बहुत ज्यादा उपयोग होता है तो फिर आपकी बाँई नाड़ी भी पूरी तरह से ड्रेन या एक्जॉस्ट हो जाती है। तब आपकी लेफ्ट नाभि और दाँया स्वाधिष्ठान कैच करने लगते हैं। बहुत अधिक सोचने के कारण आपका आज्ञा भी खराब होने लगता है। अतः आपको I सबको क्लियर करना चाहिये।
डायबिटीज से आपकी आँखे भी कमजोर होने लगती हैं क्योंकि बैक आज्ञा पर आपका स्वाधिष्ठान आज्ञा को घेर लेता है। यदि स्वाधिष्ठान ब्लॉक हो जाता है या अधिक सक्रिय हो जाता है तो ये आज्ञा पर प्रेशर डालता है या यह आज्ञा को संकुचित कर देता है। इसलिये आँखे कमजोर होने लगती हैं और आपको देखने में परेशानी होने लगती है। डायबिटीज से आपका दाँया स्वाधिष्ठान, लेफ्ट नाभि और आज्ञा तीन चक्र प्रभावित होते हैं। अतः इन तीनों चक्रों को साफ कीजिये।




- डॉक्टर्स अपने मरीजों को किस प्रकार से आत्मसाक्षात्कार दें ....
(डॉक्टर संदीप राय)
देखिये मैं न्यूरोलॉजिकल रोगों के अस्पताल में कार्य करता हूँ। मैं किस प्रकार से अपने रोगियों पर सहजयोग तकनीकों का उपयोग करता हूँ। मैं जब अपने रोगियों की जाँच करता हूँ जो मॉडर्न मेडिसिन्स के रोगी होते हैं। मैं उनको बताता हूँ क्या आपको तनाव या स्ट्रैस है वे कहते हैं कि हाँ है ................
.................मै उन्हें बताता हूँ कि हम लोगों ने सहजयोग ध्यान पद्धति पर बहुत सा शोध कार्य किया हुआ है। आप इसको भी आजमा कर देख सकते हैं। मैं भी सहजयोग की पद्धति से ध्यान किया करता हूँ। मुझे ये बहुत ही उपयोगी लगा है।
रोगी मुझसे पूछते हैं कि डॉक्टर आप भी सहजयोग ध्यान किया करते हैं? मैं कहता हूँ..... हाँ मैं भी यही किया करता हूँ। वे कहते हैं कि हम कहाँ जाकर इसके बारें में सीखें। तो या तो आप स्वयं उनको आत्मसाक्षात्कार दें या आप उनको किसी अन्य दिन बुलाकर उन्हें साक्षात्कार दे सकते हैं। कभी-कभी मैं उन सबको एक साथ मिसेज राय के पास भेज देता हूँ क्योंकि वह इसी हॉस्पिटल के बाहरी भाग में काम करती हैं। जब आप उनको आत्मसाक्षात्कार दें तो ज्याद आध्यात्मिकता की बातें न करें। उन्हें थोड़ा बहुत ही बतायें। आप उनसे कह सकते हैं कि यदि आपको तनाव है तो इस संसार में सभी को किसी न किसी प्रकार का तनाव है। इसलिये यदि आप सहजयोग ध्यान करेंगे तो आपके बहुत से रोग स्वयमेव ही ठीक हो जायेंगे। यदि आप किसी अस्पताल में कार्य कर रहे हैं तो उन्हें ये अवश्य बतायें कि आप भी इसी ध्यान पद्धति से ध्यान धारणा किया करते हैं।

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Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

यह vedio केवल पूराने ( old )साधको के लिए है
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श्री माँ की ममता को feelकर ने के लिए video को पूरा देखें कुण्डलिनी जागरित अवस्था में आ जाएगी

कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि |

इसका उल्लेख गुरु नानक, शंकराचार्य, कबीर और संत ज्ञानेश्वर के प्रवचनों में मिलता है। यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मि...