......... ध्यान देने से आपको पता लगेगा की आपके अंदर कौन से चक्र की पकड़ है, उसे आपको साफ करना है। इसको प्रत्याहार कहते हैं, माने इसकी सफाई होनी चाहिये। प॰ पू॰ श्रीमाताजी .
......... मध्य के पांचों चक्र मूलतः भौतिक तत्वों के बने हैं तथा पांचों तत्वों से इन चक्रों का शरीर बना है। हमें पूर्ण सावधानी से इन पांचों चक्रों का संचालन करना चाहिये। जिन तत्वों से ये चक्र बने हैं उन्हीं में इनकी अशुद्धियों को निकाल कर इन चक्रों का शुद्धीकरण करना है। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, 18.1.1983
........चक्र कुप्रभावित होने पर सम्बन्धित देवता वहाँ से स्थान त्याग कर देते हैं, अतः उस चक्र का मंत्र उच्चारण करके परम्पूज्य श्रीमाताजी के नाम की शक्ति से उस देवता का आवाहन किया जाता है। उपचार के लिये विपरीत पाश्वॅ का हाथ प्रभावित चक्र पर रखें और प्रभावित पाश्वॅ का हाथ फोटो की ओर फैलायेँ। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, निर्मला योग, जुलाई-अगस्त, 1983 .
........ ऐसा नहीं है कि सहजयोग में आने के बाद आपको कोई बीमारी ही नहीं होती है, कारण यह है कि सहजयोग में आने के बाद जो ध्यान-धारणा और प्रगति आपने करनी होती है, वो आप नहीं करते। फिर भी आपके कष्ट घट जाते हैं। .
....... सहजयोग में आने के बाद एक महीने में ही आप पूरी तरह से सहजयोग को समझ सकते हैं और उसमें उतर भी सकते हैं, पर जिस प्रकार रोज हम लोग स्नान करके अपने शरीर को साफ करते हैं, उसी प्रकार रोज अपने चक्रों को भी आपको साफ करना पड़ेगा। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, दिल्ली, 2.3.1991
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