🙏चक्रो के स्थान🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र---- त्रिकोणाकार अस्थि के नीचे, हाथ मे कलाई के पास पैर मे एड़ी
(2)स्वाधिष्ठान चक्र ---- कमर के रीड़ का भाग , हाथ का अंगूठा,पैर की बीच की उँगली
(3) नाभि --- नाभि के पीछे ,हाथ के बीच की उँगली , पैर का अंगूठा
(4) अनहद् चक्र --- छाती का मध्य भाग, स्टनर्म बोन के पीछे , हाथ मे कनिष्ठिका उँगली ,पैर की छोटी ऊँगली
(5) विशुध्दि चक्र --- गर्दन -- गला,हाथ मे तर्जनी , पैर मे अंगूठे के बगल वाली ऊँगली
(6) आज्ञा चक्र --- मस्तक का मध्य भाग , हाथ मे अनामिका ऊँगली , पैर मे छोटी ऊँगली के पास की ऊँगली
(7) सहस्त्रार चक्र --- तालु-- क्षेत्र , हथेली का मध्य भाग , पैर का तलुवा
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🙏चक्रो की अभिव्यक्ति🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- पेल्विक प्लेक्सस --- चार पंखुड़याँ
(2)स्वाधिष्ठान चक्र ---- महाधमनी चक्र , छः पखुडियाँ
(3) नाभि चक्र --- सूर्य चक्र, दस पंखुडियाँ
(4) अनहद् चक्र ---- कार्डियाक प्लेक्सस , बारह पंखुडियाँ
(5) विशुध्दि चक्र ---- सरवायकल प्लेक्सस, सोलह पंखुडियाँ
(6) आज्ञा चक्र --- पीनियल और पिटयूटरी ग्रन्थी , दो पंखुड़ियाँ
(7) सहस्त्रार चक्र --- लिम्बिक क्षेत्र ,एक हजार पंखुडियाँ
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🙏 चक्रो के नियंत्रित अंग ए
वं कार्य🙏🏼
(1)मूलाधार चक्र --- गर्भाशय , प्रोस्टेट,यौन गतिविधि , उत्सर्जन
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ----- यकृत , आमाशय, प्लीहा, गुदा, लिवर, पैनक्रियाज
(3) नाभि चक्र ---- पेट,आंतडियाँ , लिवर का कुछ भाग, पाचन---' क्रिया
(4)अनहद् चक्र --- ह्रदय, फेफड़ा श्वास क्रिया , बाहरी एवं अंदर के दुष्प्रभावो से लड़ने की क्षमता , बारह वर्ष की उम्र तक शरीर में एंटीबायोटिक पैदा करना
(5) विशुव्दि चक्र ---- जीभ,नाक,कान, दाँत, मुह, आँख, कंठ, हाथ आदि सोलह अंग
(6) आज्ञा चक्र ---- दृष्टि, विचार ,दृष्टि-- तंत्रिका की देखभाल
(7) सहस्त्रार चक्र --- मस्तिष्क संचालन
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🙏🏼चक्रो मे दोष पैदा होने के कारण🙏🏼(1) मूलाधार चक्र --- व्याभिचार , समलैंगिक कामुकता, तंत्र विधा, माता--- पिता व्दारा बच्चो कास् दुरूपयोग
(2) स्वाधिष्ठान चक्र --- अतिविचार,अतिकर्मी, असंतुलन
(3) कट्टरता, धर्मान्धता , कंजूसी, पारिवारिक कलह,चालबाजी , आलोचनात्मक स्वभाव
(4) अनहद् चक्र --- अमर्यादित जीवन ,स्वार्थ ,माता -- पिता से अलगाव , असुरक्षा की भावना , मोह
(5) विशुध्दि चक्र ---- अपराधी भाव , धूम्रपान, तम्बाकू--- सिगरेट का सेवन, गलत मंत्र जाप, अपवित्र संबंध ,सामुहिकता में अरूचि , कर्कश वाणी
(6) आज्ञा चक्र --- ईश्वर के प्रति घलत धारणा, अहंकार, बंधन, दूषित नजर, अनाविकृत गुरू के सामने झुकना , गलत पंडितो से माथे पर तिलक लगवाना
(7) सहस्त्रार चक्र --- नास्तिकता , परम पूज्य श्रीमाता जी को न पहचानना
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🙏🏼चक्रो के शासक देव एवं गुण 🙏
(1) मूलाधार चक्र ----
शासक देव ---- श्री गणेश
गुण --- अबोधिता ,पवित्रता , संतुलन , बुध्दि ,चुम्बकीय शक्ति
(2) स्वाधिष्ठान चक्र -----
शासक देव --- श्री ब्रह्रादेव - सरस्वति
गुण --- सृजनात्मकता , सौन्दर्य बोध , कला
(3)नाभि चक्र ------
शासक देव --- श्री लक्ष्मी ---- नारायण
गुण ---- संतोष, औदार्य ,करूणा , गरिमा , उदारता , धार्मिकता , सेवाभाव
(4) शासक देव --- श्री सीता--राम,श्री जगदम्बा,श्री शिव -- पार्वती
गुण --- निडरता, आत्मविश्वास ,सुरक्षा ,प्रेम , कर्तव्य परायणता, धैर्य
(5) शासक देव ---
श्रीराधा --- कृष्ण , श्री विष्णुमाया ,श्री रूकमणि -- विठ्ठल
गुण ---- सामुहिकता , साक्षीभाव, ईश्वरीय चातुर्य , माधुर्य , मिठास
(6) आज्ञा चक्र ---
शासक देव --- श्री जीजस क्राइस्ट, माता मेरी, श्री बुध्द , श्री महावीर
गुण --- क्षमा ,तपस्या, उत्थान
(7) सहस्त्रार चक्र ----
शासक देव --- आदिशक्ति श्री माताजी, श्री कल्की
गुण --- ठण्डी चैतन्य लहरी , निर्विचारता, सभी चक्रो का समन्वय, निरानंद , शांति
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[🙏चक्रो के तत्व 🙏
(1) मूलाधार चक्र------- ' भूमि (पृथ्वी) '
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---'अग्रि '
(3) नाभि चक्र ------ 'जल '
(4) अनहद् चक्र ---- 'वायु '
(5) विशुध्दि चक्र ---- 'आकाश '
(6)आज्ञा चक्र ---- ' प्रकाश '
(7) सहस्त्रार चक्र --- 'परम चैतन्य
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[🙏चक्रो के बीज मंत्र🤝🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- 'लं '
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---- ' वं '
(3) नाभि चक्र --------- ' रं '
(4) अनहद् चक्र ------ ' यं '
(5) विशुध्दि चक्र --------- ' हं '
(6) आज्ञा चक्र ------------' क्षम '
(7) सहस्त्रार चक्र --------- 'ऊँ'
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[🙏चक्रो के ग्रह 🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र ------ ' मगल'
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---- 'बुध '
(3) नाभि चक्र ----- ' गुरू '
(4) अनहद् चक्र --- ' शुक्र '
(5) विशुध्दि चक्र ----- 'शनि '
(6) आज्ञा चक्र --- 'रवि ' नेपच्यून
(7)सहस्त्रार चक्र ---' प्लूटो '
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