Saturday, 20 October 2018

Part -1 सामाजिक हिंसा ,ड्रग ,शराब ,सिगरेट इन सारी नशे की लत कैसे लगती है और इसे कैसे छुड़ाएं सहज योग ध्यान विधि by H.H. Shree mata ji

















*आदि शक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*अभी सिख लोगों का बताऊं आपको ....लंडन में सिख लोगों ने बड़ा भारी अपोजिशन कर दिया ...क्योंकि उनको अपने सर में वह घमेला बाँधना पड़ता है .....और एक चीज जो पूरी तरह से मोहम्मद साहब ने और नानक साहब ने मना किया है कि कोई भी तरह का नशा.... शराब सिगरेट कोई भी तरह का नशा मना है ...उसमें सबसे नंबर एक हैं। और मुसलमान जितनी शराब पीते हैं उसके बारे में तो कहना ही क्या। इतना ही नहीं उन्होंने कविता भी लिख रखा है।....राक्षस है बिल्कुल शराब*।
(2-1977)


*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*कोई जरूरत नहीं है किसी को पीने की;यह भी एक गलतफहमी है कि;बिजनेस के लिए करना पड़ता है।जो आदमी अपने आप को धोखा देना चाहता है,उसको कोई नहीं बचा सकता।.......हमारे पति भी आप जानते हैं, सरकारी नौकरी में रहे;उन्होंने बहुत बड़ी शिपिंग कंपनी चलाई,उसके बाद आज भी बहुत बड़ी जगह पर पहुंचे हुए हैं,मैंने उनसे एक ही बात कही थी कि;शराब मेरे बस की नहीं;और उन्होंने पूरी जिंदगी एक बूंद भी नहीं पी;और भगवान की कृपा से बहुत सक्सेसफुल रहे;सब उनको मानते हैं;सब उनकी इज्जत करते हैं*।
(लक्ष्मी तत्व,दिल्ली सेमिनार,790309)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*हमारे यहां शिपिंग कॉर्पोरेशन में सभी ड्राइवरों की तनख्वाह बढ़ाई गई,उनको एक-एक को हजार- हजार रुपए तनख्वाह मिलने लग गई,थोड़े दिन में उनकी सबकी पत्नियाँ आई,और कहने लगी कि माता जी,साहब ने सबकी तनख्वाह क्यों बढ़ा दी?मैंने कहा क्यों?कहने लगी पहले 400 कमाते थे;तो सुख में थे,अब ये सब लोग शराब पीने लग गए हैं,और इन्होंने औरतें रख ली हैं,अब वह अड्डे पर ही पड़े रहते हैं,घर पर आतेे ही नहीं पहले बेहतर थी।400 तक तो वो बैलेंस कर पाए उसके बाद जरा सा ज्यादा पैसा हो गया तो शराब पीने लग गए,इसका मतलब बिल्कुल ही नहीं है कि उनको 400 ही दिया जाए,पर उनको वह बैलेंस दिया जाए,जिसके कारण वह उस लक्ष्मी को सँवार सकें,नहीं तो पैसे वाले हो जाएंगे राक्षस, पर लक्ष्मीपति नहीं होंगे*।
(1978-0131रजोगुण)



 नीचे बहुत से उपाय श्री माताजी ने  सहयोगीयों को बताए हैं

 पहला उपाय

इस पहले उपाय को वाइब्रेट इड जेल के माध्यम से  वीडियो में बताया गया है




दूसरा उपाय

संबंधित परेशानी के लिए नियमित शू बिट करें । यदि आप sahaj yoga में नए  हैं और आपको शू बिट के विषय में कोई जानकारी नहीं है तो अपने से कोशिश ना करें । पहले नजदीकी सहज योग सेंटर में संपर्क करें । क्योंकि शू बिट  से पहले ही रिलाइजेशन लेेेना आवश्यक है। चौबीसों घंटे हाथों से शीतल चैतन्य का निकलना बहुत ही आवश्यक है  नियमित फूट शोक और   नियमित सामूहिक का बहुत ही जरूरी है 1 सप्ताह में एक सेंटर जाना बहुत ही जरूरी है  मैंने सहज योग के पते के लिए एक    वेबसाइट की  लिंक दे दी है जिससे आप अपने नजदीकी सहज योग सेंटर का पता प्राप्त कर सकते हैं


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www.freemeditation.com
www.sahajayoga.org
नशे से संबंधित समस्या के लिए आपको अपने नियरेस्ट कोऑर्डिनेटर से बता कर इससे संबंधित समाधान प्राप्त कर सकते हैं। श्री माता जी की कृपा से आप निश्चित रूप से नशे से मुक्त एक बहुत ही अच्छा जीवन यापन कर पाएंगे । सारी समस्या को श्री माताजी के चरण कमल में छोड़ दीजिए । 



तीसरा उपाय :-
 यह तीसरे उपाय को
यह उपाय वाराणसी से सहयोगिनी वर्षा प्रधान जी ने लिखा है  जो कि श्री माताजी द्वारा बताया गया है

 सहज योग ध्यान के माध्यम से खुद के अहंकार और किसी भी प्रकार के नशे को कैसे छुड़ाएं..........

 सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएंगे अपनी दोनों हथेलियों  कोअपने घुटनों पर रखेंगे धीरे-धीरे अपनी आंखों को बंद करेंगे और अपने मन को अपने मध्य हृदय में ले जाएंगे,हृदय में महसूस करेंगे  अपने ईश्वर को,अपने इष्ट को,और थोड़ी देर अपने चित्त को अपने हृदय में ही रखेंगे,अपने अनुभवों को महसूस करते जाएंगे और फिर धीरे-धीरे अपने मन को,अपने चित्त को सिर् के तालू भाग पर ले जाएंगे और अपने शरीर के चारों ओर की ऊर्जा को अपने सिर के तालू भाग पर अनुभव करेंगे।धीरे-धीरे अपने मन को आकाश की ओर ले जाएंगे , थोड़ी देर तक अपने चित्त  को आकाश में स्थापित करेंगे आकाश की ऊर्जा को महसूस करेंगे और फिर धीरे-धीरे अपने चित को  अंतरिक्ष की ओर ले चलेंगे अंतरिक्ष से अपने चित को शून्य की ओर ले जाएंगे शून्यमें स्थापित अपने ईश्वर को अपने परमात्मा को महसूस करेंगे अनुभव करेंगे शून्य में विराजमान हमारे ईश्वर के श्री चरणों से माँ गंगा का प्रेम एक पानी की धारा के रूप में परम चैतन्य के रूप में शून्य से अंतरिक्ष,अंतरिक्ष से आकाश,आकाश से सिर का तालू भाग,सिर के तालू भाग से इस परम चैतन्य को,इस पानी की धारा को अपने मध्य हृदय में ले जाएंगे ,मध्य हृदय से इस पानी की धारा को अपनी नाभि पर ले जाएंगे,नाभि के चारो ओर इस पानी की धारा को 10 बार पर घड़ी की सुई की दिशा के अनुसार गोल-गोल घुमाएंगे,थोड़ी देर अपने चित्त को अपने नाभि पर ही रखेंगे और ईश्वर से प्रार्थना करेंगे हे प्रभु मेरे अंदर संतोष को जागृत कर दीजिए फिर अपने चित्त  को सिर के तालू भाग पर लाएंगे और सिर के तालू भाग से एक पानी की धारा को अपने बाएं दिमाग पर ले जाएंगे,दो बार पानी की धारा को बायें दिमाग पर,घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाएंगे और दो बार पानी की धारा को घड़ी की सुई की दिशा में घुमाएंगे,थोड़ी देर बाद अपने बाएं दिमाग पर अनुभव करते जाएंगे कि हमारे अंदर क्या प्रक्रिया हो रही है और फिर धीरे-धीरे अपने पूरे चित्त को अपने सिर के तालू भाग पर रखेंगे और अनुभव करते जाएंगे कि शून्य से आने वाली पानी की धारा सीधे हमारे सिर के तालू भाग से हमारे हृदय और नाभि पर जा रही है थोड़ी देर इसी अवस्था में अपने आपको ध्यानस्थ अवस्था में रखेंगे। और अपने शरीर की ऊर्जा को अनुभव करते जाएंगे परमात्मा की शक्ति को अपने पूरे शरीर पर आत्मसात करते जायेगे।

 इस प्रकार के ध्यान से अत्यधिक मिलने वाले लाभ........
1.... इस प्रकार ध्यान के माध्यम से हम अपने शारीरिक,मानसिक,आध्यात्मिक भावनात्मक असुरक्षा को दूर कर सकते है।
2.... इस प्रकार के ध्यान से हमारी युवा पीढ़ी अपनी समस्त आकांक्षाओं इच्छाओं और असंतुष्टि की भावना को दूर कर सकते हैं और हम अपने अंदर संतुष्टि की भावना को लाते हैं।
3...... इस प्रकार के ध्यान के माध्यम से युवा वर्ग में आने वाले सामाजिक हिंसा ,ड्रग ,शराब ,सिगरेट  इन सारी नशे की जो आदतें हैं उनको सुधारा जा सकता है।

4......... इस प्रकार के ध्यान के माध्यम से हमारी असुरक्षा की भावना खत्म हो जाती है हमारे अंदर आत्मविश्वास और हमारे अंदर संतुष्टि की भावना उत्पन्न होने लगती है और धीरे-धीरे हम सामाजिक, आर्थिक मानसिक ,और भावनात्मक रूप से संतुष्ट हो जाते हैं और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने लगते हैं।



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और भी बहुत से उपाय श्री माताजी ने बताए हुए हैं जिसे आप नजदीकी सहज योग सेंटर से प्राप्त कर सकते हैं

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