😄😄Sahaj yoga meditation😄😄
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परम चैतन्य की सहाय्यता से सब कार्य होते हैं। चैतन्य के प्रकाश से ही सृष्टि का निर्माण हुआ । चैतन्य ही सारे सृष्टि में कण कण में विराजता है। चैतन्य का प्रकाश मतलब आत्मा का प्रकाश उस से हम जान सकते है सत्य और असत्य क्या है। चैतन्य के प्रकाश से मिथ्या अपने आप नष्ट होता है। चैतन्य की भाषा प्रेम की और परमात्मा की भाषा होती है। जो लोग बुरे कार्य करते है उन्हें चैतन्य दण्डित करता है। बुराई का नाश परमचैतन्य करता है और सत्य को विजय दिलाता है। जो लोग चैतन्य के प्रकाश के आशीर्वाद में होते हैं उनके साथ स्वयं श्री गणेश और श्री हनुमान रहते हैं। सारे देवीदेवता उनकी पवित्रता की, उनकी रक्षा करते हैं। चैतन्य सहजयोगी को बताता है कि किस मार्ग पर चलना है। किस प्रकार कार्य करने से सहजयोगी की विजय हो सकती है उनका भला हो सकता है। सहजयोगी को जिद्द कभी नही करनी चाहिए । जो मार्ग परमचैतन्य बताता है उस मार्ग पर हमेशा चलना चाहिये। चैतन्य स्वयं अपने आप कार्य करता है सिर्फ आपका चित्त शुद्ध होना चाहिए। आपकी इच्छा शुद्ध होनी चाहिये।
किसी चीज से डरने की सहजयोगी को आवश्यकता नहीं। चैतन्य मतलब शक्ति का प्रकाश मतलब माँ दुर्गा स्वयं सहजयोगी के साथ रहती हैं। अत्यंत आनंदमय स्थिति में रहना चाहिए। परेशान होनेकी जरुरत नहीं। परम चैतन्य के शक्ति का महत्व सहजयोगी को जानना चाहिए। अगर सहजयोगी बुराई की रास्ते पर जाये तो वही चैतन्य उस सहजयोगी को दण्डित भी कर सकता है। हर कार्य अत्यंत आत्म विश्वास के साथ सहजयोगी को करना चाहिए। सहजयोगी का मतलब होता है "शक्ति के पुजारी"। आप हर कार्य से शक्ति को प्रसन्न करें। सारे ही देवी देवता आपके साथ खड़े होंगे। सारे सृष्टि में परम चैतन्य की (पावनता की) शक्ति को फैलाने का का कार्य सहजयोगी को करना है।
सब कुछ बदल डालो और एक नया व्यक्ति बनो। फूल की तरह आप फूलते हैं, फिर वृक्ष बनता है और फिर आप स्थान ग्रहण करते हैं। सहजयोगी बनकर स्थान ग्रहण करें। ये आसान है। मुझे प्रसन्न करना होगा। क्योंकि मैं ही चित हूँ। मैं प्रसन्न हो गयी तब आपका काम होगा। पर भौतिक चीजों से या चर्चा करने से मैं प्रसन्न नहीं हो सकती। मैं प्रसन्न होती हूँ। आपकी तरक्की से। इस लिये स्वयं की तलाश करो।
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परम पूज्य श्रीमाताजी श्री निर्मला देवी
21.5.1984
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