...... जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
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ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।
कुंडलिनी की जागृति, दिव्य ऊर्जा को उन छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति देती है, जो शरीर के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं,
यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है
प.पू.श्रीमाताजी
मुम्बई, 03/09/1973
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