आपको विचार स्वाधिष्ठान चक्र से आते हैं .......
(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, 13-10-2007)
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स्वाधिष्ठान को संतुष्ट करने के लिये आपको मौन धारण करना होगा और स्वयं को देखना होगा कि आपको कौन सी चीज परेशान कर रही है और आपके विचार कहाँ से आ रहे हैं। ये विचार स्वाधिष्ठान से आते हैं। कुछ लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं। उनको कोई समस्या न भी हो तो भी वे स्वाधिष्ठान से अपने लिये कोई भी समस्या सोच लेते हैं और उस बात को लेकर खुद को परेशान करते रहते हैं।
आपका स्वाधिष्ठान तब बड़ा प्रसन्न और उल्लासमय रहता है, जब आप हँसते खिलखिलाते रहते हैं और किसी बेकार की बात की चिंता नहीं करते हैं। हम बेकार की बातों पर कितना समय बरबाद करते हैं। हमें इन बेकार की बातों की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। सहजयोगियों को इसकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। बेकार बातों से केवल अनात्मसाक्षात्कारी लोग परेशान होते हैं। वे स्वयं तो परेशान होते ही हैं परंतु आपको भी परेशान करते हैं। परंतु आपको इन बातों को हँसी में उड़ा देना चाहिये और ऐसे लोगों को क्षमा कर देना चाहिये। वे लोग ऐसा कर रहे हैं कि क्योंकि वे अज्ञानी हैं .... वे नहीं जानते हैं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। उनका स्वाधिष्ठान चक्र उनको इतना परेशान करता है कि वे इसमें कुछ भी नहीं कर पाते हैं।
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अपने दिमाग को फालतू बातों और विचारों से परेशान मत होने दीजिये। अनेक प्रकार के फालतू विचार जिनसे आपका कोई भी लेना-देना नहीं है, पर फिर भी ऐसे विचार आपको परेशान करते रहते हैं। ये श्रीमान स्वाधिष्ठान का ही कार्य है। ये आपको भटकाने का प्रयास कर रहा है। आपको मौन धारण कर लेना चाहिये। एक बार जब आप शांत हो जायेंगे तो फिर ये आपको परेशान नहीं करेगा।
मेरा पूरा चित्त आपके देश पर है क्योंकि आप लोग बहुत अच्छे सहजयोगी हैं। सहजयोगी पूरे विश्व में फैले हुये हैं। वे हजारों की संख्या में हैं लेकिन ऑस्ट्रिया के सहजयोगियों जैसे कोई नहीं हैं। मुझे लगता है कि वे लोग विश्व की समस्याओं के लिये गहनता से सोचते हैं तो फिर आप लोगों को क्या करना चाहिये। आपको स्वाधिष्ठान से किसी प्रकार का सरोकार नहीं रखना चाहिये। आप लोग सहजयोगी हैं और आपको अपने स्वाधिष्ठान से मतलब नहीं रखना चाहिये।
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❣ जी श्री माताजी ❣
(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, 13-10-2007)
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स्वाधिष्ठान को संतुष्ट करने के लिये आपको मौन धारण करना होगा और स्वयं को देखना होगा कि आपको कौन सी चीज परेशान कर रही है और आपके विचार कहाँ से आ रहे हैं। ये विचार स्वाधिष्ठान से आते हैं। कुछ लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं। उनको कोई समस्या न भी हो तो भी वे स्वाधिष्ठान से अपने लिये कोई भी समस्या सोच लेते हैं और उस बात को लेकर खुद को परेशान करते रहते हैं।
आपका स्वाधिष्ठान तब बड़ा प्रसन्न और उल्लासमय रहता है, जब आप हँसते खिलखिलाते रहते हैं और किसी बेकार की बात की चिंता नहीं करते हैं। हम बेकार की बातों पर कितना समय बरबाद करते हैं। हमें इन बेकार की बातों की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। सहजयोगियों को इसकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। बेकार बातों से केवल अनात्मसाक्षात्कारी लोग परेशान होते हैं। वे स्वयं तो परेशान होते ही हैं परंतु आपको भी परेशान करते हैं। परंतु आपको इन बातों को हँसी में उड़ा देना चाहिये और ऐसे लोगों को क्षमा कर देना चाहिये। वे लोग ऐसा कर रहे हैं कि क्योंकि वे अज्ञानी हैं .... वे नहीं जानते हैं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। उनका स्वाधिष्ठान चक्र उनको इतना परेशान करता है कि वे इसमें कुछ भी नहीं कर पाते हैं।
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अपने दिमाग को फालतू बातों और विचारों से परेशान मत होने दीजिये। अनेक प्रकार के फालतू विचार जिनसे आपका कोई भी लेना-देना नहीं है, पर फिर भी ऐसे विचार आपको परेशान करते रहते हैं। ये श्रीमान स्वाधिष्ठान का ही कार्य है। ये आपको भटकाने का प्रयास कर रहा है। आपको मौन धारण कर लेना चाहिये। एक बार जब आप शांत हो जायेंगे तो फिर ये आपको परेशान नहीं करेगा।
मेरा पूरा चित्त आपके देश पर है क्योंकि आप लोग बहुत अच्छे सहजयोगी हैं। सहजयोगी पूरे विश्व में फैले हुये हैं। वे हजारों की संख्या में हैं लेकिन ऑस्ट्रिया के सहजयोगियों जैसे कोई नहीं हैं। मुझे लगता है कि वे लोग विश्व की समस्याओं के लिये गहनता से सोचते हैं तो फिर आप लोगों को क्या करना चाहिये। आपको स्वाधिष्ठान से किसी प्रकार का सरोकार नहीं रखना चाहिये। आप लोग सहजयोगी हैं और आपको अपने स्वाधिष्ठान से मतलब नहीं रखना चाहिये।
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JAI SHREE Mataji
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