Friday, 22 December 2017

अबोध व्यक्ति का कोई भी शोषण नहीं कर सकता ......



अबोध व्यक्ति का कोई भी शोषण नहीं कर सकता ......

(परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी, 22/09/2001, श्री गणेश पूजा, निर्मल टैम्पल इटली) 

 मैंने आपसे कहा है कि आप लोगों को अपने बच्चों पर बिल्कुल भी नाराज नहीं होना चाहिये। आपको उन्हें सजा भी नहीं देनी है। बच्चों पर हमारे स्नेहपूर्ण चित्त का होना ही हमारी मुख्य उपलब्धि है। विश्व भर में चाहे आपके परिवार का बच्चा हो या किसी और के परिवार का .... वे एकदम अबोध होते हैं और उनको बचाने के लिये सभी प्रयास करते हैं। ये आश्चर्यचकित कर देने वाला है कि जब बच्चों की अबोधिता पर किसी प्रकार का आक्रमण होता है तो लोग किस प्रकार से अपना जीवन दाँव पर लगाने को तैयार हो जाते हैं? बच्चों पर कभी भी आक्रमण नहीं किया जाना चाहिये। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनके पास स्वयं को बचाने की शक्ति होती है, परंतु आपको अपनी ऊर्जा ऐसी चीजों पर बरबाद नहीं करनी चाहिये जो बिल्कुल भी शुभ न हो.... एकदम क्रूरतापूर्ण और बेहूदी हो। 

यदि आप बच्चों को प्रेम नहीं कर सकते तो फिर किसी भी चीज से प्रेम नहीं कर सकते हैं। भाग्यवश अभी तक मुझे कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसने कहा हो कि उसे बच्चों से प्रेम नहीं है। यदि ऐसा है तो फिर आप किसी को भी प्रेम नहीं कर सकते। हो सकता है कुछ लोग कहें कि मुझे फूलों से प्रेम है क्यों? आप क्यों फूलों से प्रेम करते हैं? क्योंकि वे एकदम अबोध हैं .... क्योंकि उनके अंदर अबोधिता की सुंदरता है। आप क्यों प्रकृति से प्रेम करते हैं? क्योंकि ये एकदम अबोध हैं। लेकिन सबसे अधिक अबोधिता तो सहजयोगियों के अंदर देखने को मिलती है। चालाक होना आसान है ..... चालाक होना बहुत आसान है। चतुर होना बहुत आसान है लेकिन बुद्धिमान होने के लिये  अबोध होने की सुंदरता को समझना चाहिये। हो सकता है कि कोई कहे कि "माँ, यदि कोई अबोध हैं, तो लोग इसका फायदा उठा सकते हो। कोई भी अबोध व्यक्ति का शोषण नहीं कर सकता। वे मान सकते हैं कि उन्होंने यह किया है, वे बहुत आक्रामक रहे हैं और यह सब किया, लेकिन वे नहीं कर सकते .... वे मान सकते हैं कि वे बच्चों के प्रति काफी उग्र रहे हैं.... लेकिन वे अबोध व्यक्ति का शोषण नहीं कर सकते।


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