ध्यान क्या है?
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—निर्विचार का एक क्षण। निर्विचार की एक दशा, एक अंतराल। और यह सदा ही घट रहा है, लेकिन तुम इसके प्रति सजग नहीं हो; वरना तो इसमें कोई समस्या नहीं है। एक विचार आता है, फिर दूसरा आता है, और उन दो विचारों के बीच में सदा एक छोटा सा अंतराल होता है। और वह अंतराल ही दिव्य का द्वार है, वह अंतराल ही ध्यान है। यदि तुम उस अंतराल ही ध्यान है। यदि तुम उस अंतराल में गहरे देखो, तो वह बड़ा होने लगता है।
मन ट्रैफिक से भरी हुई एक सड़क की तरह है; एक कार गुजरती है फिर दूसरी कार गुजरती है फिर दूसरी कार गुजरती है। और तुम कारों से इतने ज्यादा ग्रसित हो कि तुम्हें वह अंतराल तो दिखाई ही नहीं पड़ता जो दो कारों के बीच सदा मौजूद है। वरना तो कारें आपस में टकरा जाएंगी। वे टकराती नहीं; उनके बीच में कुछ है जो उन्हें अलग रखता है। तुम्हारे विचार आपस में नहीं टकराते, एक दूसरे पर नहीं चढ़ते, एक दूसरे में नहीं मिल जाते। वे किसी भी तरह एक दूसरे पर नहीं चढ़ते। हर विचार की अपनी सीमा होता है, हार विचार परिभाष्य होता है। लेकिन विचारों का जुलूस इतना तेज होता है, इतना तीव्र होता है कि अंतराल को तुम तब तक नहीं देख सकते, जब तक कि तुम उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहे हो। उसकी खोज नहीं कर रहे हो।....
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—निर्विचार का एक क्षण। निर्विचार की एक दशा, एक अंतराल। और यह सदा ही घट रहा है, लेकिन तुम इसके प्रति सजग नहीं हो; वरना तो इसमें कोई समस्या नहीं है। एक विचार आता है, फिर दूसरा आता है, और उन दो विचारों के बीच में सदा एक छोटा सा अंतराल होता है। और वह अंतराल ही दिव्य का द्वार है, वह अंतराल ही ध्यान है। यदि तुम उस अंतराल ही ध्यान है। यदि तुम उस अंतराल में गहरे देखो, तो वह बड़ा होने लगता है।
मन ट्रैफिक से भरी हुई एक सड़क की तरह है; एक कार गुजरती है फिर दूसरी कार गुजरती है फिर दूसरी कार गुजरती है। और तुम कारों से इतने ज्यादा ग्रसित हो कि तुम्हें वह अंतराल तो दिखाई ही नहीं पड़ता जो दो कारों के बीच सदा मौजूद है। वरना तो कारें आपस में टकरा जाएंगी। वे टकराती नहीं; उनके बीच में कुछ है जो उन्हें अलग रखता है। तुम्हारे विचार आपस में नहीं टकराते, एक दूसरे पर नहीं चढ़ते, एक दूसरे में नहीं मिल जाते। वे किसी भी तरह एक दूसरे पर नहीं चढ़ते। हर विचार की अपनी सीमा होता है, हार विचार परिभाष्य होता है। लेकिन विचारों का जुलूस इतना तेज होता है, इतना तीव्र होता है कि अंतराल को तुम तब तक नहीं देख सकते, जब तक कि तुम उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहे हो। उसकी खोज नहीं कर रहे हो।....
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