Friday, 22 December 2017

माफ कर दो, याद रखने में क्या लाभ*

*माफ कर दो, याद रखने में क्या लाभ*

*".......जो कुछ भी हुआ आपके साथ मे उसको मेरे चरणों पर छोड दो। बाकि मै संभालूंगी।* और जो हो चुका उसे भूल जाओ, उसके बारे में चिंता करना, अरे ये हुआ वो हुआ, उसे कैसे सही करें, *वो आदमी ठीक नहीं, ये, वो। बुद्धिमत्ता "माफ" कर देने में है।* ईसा मसीह ने क्षमा के बारे में कहा है," माफ कर दो, याद रखने में क्या लाभ?
.......इसने ये कहा था, उसने ये किया था। बस भूल जाइए, एक बार आप ये सब बेकार भूलना शुरू करेगे, आप देखेंगे कि आपको सिर्फ "अच्छी" बातें याद रहेगी और आप बुरी बातें भूल जायेंगे। आप याद नहीं रखेंगे कि किसने आपकी बेइजजती की, आपको बुरा भला कहा, दुख पहुंचाया या दुर्व्यवहार किया।"

*परमपूज्य श्री माताजी निर्मलादेवी*
*दिसंबर १९९१, ख्रिसमस पूजा*
🌹🌹🌹
ईसामसीह के जन्म के समय एक तारे को देखा गया ....
(श्रीमाताजी निर्मला देवी, 25/12/1999)

आज हम श्री ईसामसीह का जन्मदिन मनाने जा रहे हैं। वे इस धरती पर एक विशेष तरीके से आये क्योंकि उनका जन्म एक कुँवारी माँ के गर्भ से हुआ था। हम लोग इस बात को समझ सकते हैं क्योंकि श्रीगणेश का जन्म भी इसी तरह से हुआ था। जैसा कि हम जानते हैं कि श्रीईसा श्रीगणेश के ही अवतरण हैं .... तो उनके पास के पास जन्म से ही श्रीगणेश की सभी शक्तियाँ मौजूद थीं। श्रीईसामसीह को किसी बाह्य हथियार को लाकर दिखाने की आवश्यकता ही नहीं थी कि उनके पास कौन सी शक्तियाँ थीं लेकिन उनके अंदर सभी शक्तियाँ मौजूद थीं.... फिर भी उन्होंने सहनशीलता और समझदारी दिखाई क्योंकि उनके समय में जिन लोगों के साथ उनको रहना पड़ता था वे आध्यात्मिकता से बिल्कुल अनजान थे। जिन लोगों के साथ वे रहते थे, वे यहूदी लोग थे और उन लोगों को मोज़ेज, अब्राहम जैसे लोग निर्देश देते थे, लेकिन उन लोगों ने अपनी जड़ों को छोड़ दिया था और उन्हें पता ही नहीं था कि वे क्या ढूँढ रहे थे और उस चीज को वे किस प्रकार से ढूँढें? वे लोग साधक भी नहीं थे। वे अपने यहूदी रीति रिवाजों के साथ ही संतुष्ट थे। अन्य धर्मों के लोग भी यही करते हैं। वे किसी बड़ी चीज के लिये साधना नहीं कर रहे थे।

अतः ईसा का जीवन बड़ा ही कठिन था। जब उनका जन्म हुआ तो उस समय एक तारे को देखा गया। तीन लोगों ने इस तारे को देखा और वे उस तारे देखते हुये उस स्थान पर पहुँचे जहाँ पर ईसामसीह का जन्म एक गोशाला में हुआ था। ये एक बहुत ही साधारण स्थान था, जहाँ उन्होंने जन्म लिया। उनका जन्म बड़ी कठिनाइयों में हुआ था लेकिन उनके जन्म के साथ तारे के दिखने से ये दर्शाया गया कि धरती पर किसी महान आत्मा ने जन्म ले लिया है। अभी एक दिन किसी ने मुझसे पूछा कि आपने गणपतिपुले को किस प्रकार से ढूँढा? वास्तव में मुझे तो इसका पता ही नहीं था। महाराष्ट्र में ये कोई बहुत जाना पहचाना स्थान भी नहीं है। यहाँ के लोग अष्टविनायकों के दर्शन के लिये जाते हैं परंतु इस महागणपति के दर्शन के लिये नहीं जाते। उनको इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था।
एक बार मैं रत्नागिरी से आ रही थी तो मैंने इस मंदिर के ऊपर एक बहुत बड़ा तारा देखा लेकिन समस्या ये थी कि उस तारे को किसी और ने नहीं देखा। उस समय कोई सहजयोगी भी इसको देख नहीं पाये। मैंने उनसे कहा कि चलो इस तारे के पीछे चलते हैं।

 ये तारा बहुत ही बड़ा था ..... असाधारण रूप से बड़ा तारा जो किसी सामान्य तारे जैसा बिल्कुल भी नहीं था। ये बहुत बड़ा था और एकदम असाधारण तारा था लेकिन फिर भी किसी ने इसे नहीं देखा। मेरे साथ जो लोग थे उन्होंने कहा कि हम उस तारे को देख नहीं पा रहे हैं। मैंने कहा कोई बात नहीं है। मैंने उनको मुड़ने को कहा और कहा कि चलो अब दूसरी ओर की सड़क पर चलते हैं और हमने इसका पीछा किया। उन लोगों ने मेरी बात मानी और किसी प्रकार का वाद विवाद नहीं किया। हम लोग चलते रहे .... चलते ही रहे। चलते-चलते हमें बहुत देर हो चुकी थी। मैंने कहा कि कोई बात नहीं अभी थोड़ा और चलते हैं। जब हम गणपतिपुले पहुँचे तो भोर हो चुकी थी .... बहुत सुंदर भोर हो चुकी थी। मैं उस नजारे को कभी नहीं भूल सकती। उस भोर के उजाले में हमने एक अत्यंत सुंदर स्थान देखा जहाँ हम लोग अभी खड़े हैं। मैंने उनसे कहा कि हम लोगों को इस जगह पर आना चाहिये .... जहाँ हमें सारे सहजयोगियों को एकत्र करना चाहिये। निसंदेह आप सभी जानते हैं कि कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस स्थान के बारे में पहले ही वर्णन किया है कि इस स्थान पर .... इस भारत के छोर पर विश्व भर से बहुत से लोग आया करेंगे। इसके बारे में भविष्यवाणी कर दी गई थी परंतु मैंने कितने चमत्कारी तरीके से इसको ढूँढा ये भी काफी हैरान करने वाला है .... ठीक उन तीन महान आत्माओं की तरह से जिन्होंने ईसामसीह को ढूँढ लिया था।

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