Saturday, 21 April 2018

आखिर यह नाम दान / गुरू मन्त्र है क्या ? क्यों दिया जाता है ? क्यों लेना चाहिए ? कबतक प्रभावी है ?



*नाम दान / गुरू मन्त्र*

आखिर यह नाम दान / गुरू मन्त्र है क्या ?
क्यों दिया जाता है ? क्यों लेना चाहिए ?
कबतक प्रभावी है ?
*सबसे बड़ा सवाल* गुरू मन्त्र किस से लें

हम मे से बोहोत सारे लोग आज यह जानते हैं कि हमारे शरीर में 7 चक्र और 3 नाड़िया होती है .... कुछ एक कुण्डलिनि शक्ति के बारे मे भी जानते हैं ..... जो नहि जानते उनके लिए बता देते हैं

मानव शरीर में परमात्मा द्वारा स्थापित एक सुक्ष्म शरीर भी होता है जिसमे प्रमुख 3  नाड़ियां ईड़ा पिंगला व सुषुम्ना हैं
ईड़ा बायीं तरफ पिंगला दायीं तरफ व सुषुम्ना मध्य में स्थापित की गई (रीढ़ की हड्डी के बीच मे) अब ईस नाड़ी पर 7 चक्र स्थापित हैं क्रमश:
1. मूलाधार चक्र रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से मे
2. स्वाधिष्ठान चक्र कमर में
3. मणिपूर चक्र नाभी में
4. अनहत चक्र हृदय में
5. विशुद्धि चक्र कण्ठ में
6. अगन्य चक्र माथे में
7. सहस्त्रार चक्र सर के तालू भाग में

जैसा कि आपने जाना कि कौन कौन से चक्र व नाड़ियां हमारे शरीर में स्थापित हैं

*अब सवाल यह है कि यह काम क्या करते हैं*

छोटा सा उत्तर दूंगा कि अपनी जद मे आने वाले अंगों को सुचारू रूप से न केवल चलाते है बल्कि नुक्सान की भरपाई तक करते हैं और भी आध्यात्मिक गुण हैं वह कभी बाद में चर्चा करेंगे आज हम नामदान की बात करते हैं

तो आपने नाड़ी , चक्र जान लिए
कुण्डलिनि क्या है ?
कुण्डलिनि परमात्मा की वह शक्ति हेै जो गर्भ मे पल रहे 2 से 3 महीने के भ्रूण में तालू भाग से प्रवेश कर नाड़ियों व चक्रों की स्थापना कर के हृदय में श्री शिव स्वरूप आत्मा को स्थापित कर रीढ़ की हड्डी के सबसे नीचे त्रिकोणाकार अस्थि पर जाकर 3.5 कुण्डल मार कर बैठ जाती है या सो जाती है ईसके पास हमारे सभि जन्मों का लेखा जोखा सुरक्षित रहता है और उसी के मुताबिक हमे आगे के जन्म मिलते हैं
तो यह सोई हुई शक्ति एक वरदान है परमात्मा का यदि यह जाग जाए तो परमीत्मा से जीते जी सम्पर्क जोड़ देती है व न केवल कर्मों से मुक्ति मिल सकती है बल्कि असाध्य रोग समस्याएं ठीक होने लगती हैं
और भी बोहत फायदे होते हैं
यग खुद भी यहि चाहती है कि ईसे जगाया जाए और जिस तालू भाग से यह शरीर में प्रवेश हुई थी उसी दशम द्वार को भेद कर यह परमात्मा से एकाकार हो जाए

ईस क्रिया में कई सारे फायदे भी होते है व कई सारी समस्याएं भी आती है
जैसे कि चक्र की खराबी
हमारे जो चक्र हैें वह देवी देवताओं द्वारा संचालित हैं चक्र मे खराबी या किसी कारणवश जब देवता चक्र से चले जाते हैं तो चक्र बन्द हो जाता है जिसके कारण कुण्डलिनि उस चक्र से निचले स्तर पर रूक जाती है

*नाम दान* एक एसा व्यक्ति जो स्वयं आत्मसाक्षातकारी हो वह आपके चक्रों को देख कर/ महसूस कर के आपको उस चक्र से सम्बन्धित दोवता को प्रसन्न करने वाले शब्द / क्रिया या मन्त्र बता देता है
जिसे आम भाषा में गुरू जी से नाम दान या गुरू मन्त्र लेना कहा जाता है
ईस सब में वह मन्त्र देने वाला व्यक्ति एक सन्देशवाहक की भूमिका निभाता है कि आपको आपके चक्र के देवता का सानिध्य प्राप्त हो व आपकी कुण्डलिनि आप को भवसागर पार करा कर परमात्मा से जोड़ दे

(भवसागर भी हमारे शरीर के अन्दर ही होता है )

तो अब सवाल यह है कि नाम दान कब तक रहे अगर देवता आ गए और आप फिर भी मन्त्र पढ़ते रहे तो फिर तो वे नाराज हो कर चले जाएंगे कि यह तो बस बुलाने मे लगा है और ईसको कोई काम नहि
यह कैसे पता चले कि देवता आए कि नहि या मन्त्र उसी चक्र का दिया गया है जो खराब है
कौनसा चक्र खराब है
यह एक बड़ी उलझन का विषय है क्योंकि आजकल लोग पैसे के लिए कुछ भी कर जाते हैं
तो परख करना आना चाहिए

अब परख करना कैसे सीखें
आसान है
सहजयोग नाम की संस्था हर शहर में हर सप्ताह कम से कम एक *निषुल्क* कुण्डलिनि जागरण , ध्यान योग का कार्यक्रम चलाती है
किसी भी उम्र का महिला या पुरूष वहा जाकर सीख सकता है
वहा जाईये, सीखिये व परख कीजिए

*स्वयं के गुरू बनिए*

SahAj yoga meditation

Friday, 20 April 2018

चक्रो के स्थान/चक्रो की अभिव्यक्ति/चक्रो के नियंत्रित अंग ए वं कार्य/चक्रो मे दोष पैदा होने के कारण/. चक्रो के शासक देव एवं गुण / चक्रो के तत्व


🙏चक्रो के स्थान🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र---- त्रिकोणाकार अस्थि के नीचे, हाथ मे कलाई के पास पैर मे एड़ी
(2)स्वाधिष्ठान चक्र ---- कमर के रीड़ का भाग , हाथ का अंगूठा,पैर की बीच की उँगली
(3) नाभि --- नाभि के पीछे ,हाथ के बीच की उँगली , पैर का अंगूठा
(4) अनहद् चक्र --- छाती का मध्य भाग, स्टनर्म बोन के पीछे , हाथ मे कनिष्ठिका उँगली ,पैर की छोटी ऊँगली
(5) विशुध्दि चक्र --- गर्दन -- गला,हाथ मे तर्जनी , पैर मे अंगूठे के बगल वाली ऊँगली
(6) आज्ञा चक्र ---  मस्तक का मध्य भाग , हाथ मे अनामिका ऊँगली , पैर मे छोटी ऊँगली के पास की ऊँगली
(7) सहस्त्रार चक्र --- तालु-- क्षेत्र , हथेली का मध्य भाग , पैर का तलुवा
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🙏चक्रो की अभिव्यक्ति🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- पेल्विक प्लेक्सस --- चार पंखुड़याँ
(2)स्वाधिष्ठान चक्र ---- महाधमनी चक्र , छः पखुडियाँ
(3) नाभि चक्र --- सूर्य चक्र, दस पंखुडियाँ
(4) अनहद् चक्र ---- कार्डियाक प्लेक्सस , बारह पंखुडियाँ
(5) विशुध्दि चक्र ---- सरवायकल प्लेक्सस, सोलह पंखुडियाँ
(6) आज्ञा चक्र --- पीनियल और पिटयूटरी ग्रन्थी , दो पंखुड़ियाँ
(7) सहस्त्रार चक्र --- लिम्बिक क्षेत्र ,एक हजार पंखुडियाँ
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🙏 चक्रो के नियंत्रित अंग ए
वं कार्य🙏🏼
(1)मूलाधार चक्र --- गर्भाशय , प्रोस्टेट,यौन गतिविधि , उत्सर्जन
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ----- यकृत , आमाशय, प्लीहा, गुदा, लिवर, पैनक्रियाज
(3) नाभि चक्र ---- पेट,आंतडियाँ , लिवर का कुछ भाग, पाचन---' क्रिया
(4)अनहद् चक्र --- ह्रदय, फेफड़ा श्वास क्रिया , बाहरी एवं अंदर के दुष्प्रभावो से लड़ने की क्षमता , बारह वर्ष की उम्र तक शरीर में एंटीबायोटिक पैदा करना
(5) विशुव्दि चक्र ---- जीभ,नाक,कान, दाँत, मुह, आँख, कंठ, हाथ आदि सोलह अंग
(6) आज्ञा चक्र ---- दृष्टि, विचार ,दृष्टि-- तंत्रिका की देखभाल
(7) सहस्त्रार चक्र --- मस्तिष्क संचालन
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🙏🏼चक्रो मे दोष पैदा होने के कारण🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- व्याभिचार , समलैंगिक कामुकता, तंत्र विधा, माता--- पिता व्दारा बच्चो कास्  दुरूपयोग
(2) स्वाधिष्ठान चक्र --- अतिविचार,अतिकर्मी, असंतुलन
(3) कट्टरता, धर्मान्धता , कंजूसी, पारिवारिक कलह,चालबाजी , आलोचनात्मक स्वभाव
(4) अनहद् चक्र --- अमर्यादित जीवन ,स्वार्थ ,माता -- पिता से अलगाव , असुरक्षा की भावना , मोह
(5) विशुध्दि चक्र ---- अपराधी भाव , धूम्रपान, तम्बाकू--- सिगरेट का सेवन, गलत मंत्र जाप, अपवित्र संबंध ,सामुहिकता में अरूचि , कर्कश वाणी
(6) आज्ञा चक्र --- ईश्वर के प्रति घलत धारणा, अहंकार, बंधन,  दूषित नजर, अनाविकृत गुरू के सामने झुकना , गलत पंडितो से माथे पर तिलक लगवाना
(7) सहस्त्रार चक्र --- नास्तिकता , परम पूज्य श्रीमाता जी को न पहचानना
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🙏🏼चक्रो के शासक देव एवं गुण 🙏
(1) मूलाधार चक्र ----
शासक देव ---- श्री गणेश
गुण --- अबोधिता ,पवित्रता , संतुलन , बुध्दि ,चुम्बकीय शक्ति
(2) स्वाधिष्ठान चक्र -----
शासक देव --- श्री ब्रह्रादेव - सरस्वति
गुण --- सृजनात्मकता , सौन्दर्य बोध , कला
(3)नाभि चक्र ------
शासक देव --- श्री लक्ष्मी ---- नारायण
गुण ---- संतोष, औदार्य ,करूणा , गरिमा , उदारता , धार्मिकता , सेवाभाव
(4) शासक देव --- श्री सीता--राम,श्री जगदम्बा,श्री शिव -- पार्वती
गुण --- निडरता, आत्मविश्वास ,सुरक्षा ,प्रेम , कर्तव्य परायणता, धैर्य
(5) शासक देव ---
श्रीराधा --- कृष्ण , श्री विष्णुमाया ,श्री रूकमणि -- विठ्ठल
गुण ---- सामुहिकता , साक्षीभाव, ईश्वरीय चातुर्य , माधुर्य , मिठास
(6) आज्ञा चक्र ---
शासक देव --- श्री जीजस क्राइस्ट, माता मेरी, श्री बुध्द , श्री महावीर
गुण --- क्षमा ,तपस्या, उत्थान
(7) सहस्त्रार चक्र ----
शासक देव --- आदिशक्ति श्री माताजी, श्री कल्की
गुण --- ठण्डी चैतन्य लहरी , निर्विचारता, सभी चक्रो का समन्वय, निरानंद , शांति
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[🙏चक्रो के तत्व 🙏
(1) मूलाधार चक्र------- ' भूमि (पृथ्वी) '
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---'अग्रि '
(3) नाभि चक्र ------ 'जल '
(4) अनहद् चक्र ---- 'वायु '
(5) विशुध्दि चक्र ---- 'आकाश '
(6)आज्ञा चक्र ---- ' प्रकाश '
(7) सहस्त्रार चक्र --- 'परम चैतन्य
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[🙏चक्रो के बीज मंत्र🤝🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र --- 'लं '
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---- ' वं '
(3) नाभि चक्र ---------   ' रं '
(4) अनहद् चक्र ------    ' यं '
(5) विशुध्दि चक्र --------- ' हं '
(6) आज्ञा चक्र ------------'  क्षम '
(7)  सहस्त्रार चक्र --------- 'ऊँ'
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[🙏चक्रो के ग्रह 🙏🏼
(1) मूलाधार चक्र ------ ' मगल'
(2) स्वाधिष्ठान चक्र ---- 'बुध '
(3) नाभि चक्र -----  ' गुरू '
(4) अनहद् चक्र --- ' शुक्र '
(5) विशुध्दि चक्र ----- 'शनि '
(6) आज्ञा चक्र --- 'रवि ' नेपच्यून
(7)सहस्त्रार चक्र ---' प्लूटो '

छठा चक्र जिसे इस्लाम में पुल-सीरत कहा जाता है /देवदूत के साथ पैगम्बर मोहम्मद को मिलने के लिये आये









अध्याय 4
इस्लाम एनलाइटैन्ड ......
क्षमा की शक्ति
(लेखक सहजयोगी जावेद खान)

छठा चक्र जिसे इस्लाम में पुल-सीरत कहा जाता है वह सातवें चक्र में जाकर खुलता है। जब स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं तो साधक को परमानंद की प्राप्ति होती है और जैसा कि पूर्व के अध्यायों में बताया गया है कि परम पिता परमेश्वर का प्रेम उसके अंदर से बहने लगता है। इसका रहस्य केवल (लोगों को और स्वयं को) क्षमा कर देना है। पैगम्बर मोहम्मद ने अपने उदाहरण से क्षमा का सार बताया। उनके इसी क्षमा के गुण के कारण उनके अनुयायियों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होने लगी। वे अपने सभी अनुयायियों को शिक्षा देते थे कि अपने उत्थान के लिये उनको सबको क्षमा करना चाहिये। एक बार पैगम्बर मोहम्मद अल्लाह का संदेश का प्रचार करने के लिये तैफ नाम के गाँव गये जो मक्का के पास एक पहाड़ी स्थान था।

 उस गाँव के मुखिया ने उनको झूठा कहते हुये उनका मज़ाक उड़ाया कि अल्लाह को क्या तुम्हारे अलावा कोई और खुदा का बंदा नहीं मिला पैगम्बर बनाने को। पैगम्बर उसकी बात सुन कर उदास हो गये और वे तैफ गाँव को छोड़ कर चले गये। तैफ के लोगों ने उन पर पत्थर बरसाने के लिये छोटे छोटे बच्चों को भेजा जो उन पर बेरहमी से पत्थर बरसाने लगे। उनके शरीर से खून बहने लगा और वे गाँव छोड़ कर चले आये। वे अल्लाह से प्रार्थना करने लगे और रोने लगे। अल्लाह ने जब ये सब देखा तो वे बहुत खफा हुये। देवदूत गैब्रियल और एक अन्य देवदूत के साथ पैगम्बर मोहम्मद को मिलने के लिये आये। वह दूसरा देवदूत पर्वतों तक को जीत सकता था। 
तैफ गाँव पर्वतों के बीच बसा हुआ था। देवदूतों ने हज़रत मोहम्मद से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम तैफ को पर्वतों के बीच दबाकर चकनाचूर कर दें। उन्होंने उत्तर दिया या मेरे परवरदिगार मैं आपसे इन लोगों की शिकायत करता हूँ। हे दया और करूणा के सागर आप तो गरीबों के और मेरे भी परवरदिगार हो। मैं आपके अलावा और किसके पास जाकर ऐसे लोगों की शिकायत करूँ। अगर आप मुझसे खफा न हों क्योंकि मेरे अंदर वैसी शक्ति ही नहीं है जैसी आपके अंदर है और उन्होंने तैफ के लोगों को क्षमा कर दिया। ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनसे उनकी क्षमाशीलता के बारे में मालूम होता है। 

एक दूसरे उदाहरण के अनुसार जब भी पैगम्बर मोहम्मद एक यहूदी स्त्री के घर के सामने से गुजरा करते थे तो वह उनके ऊपर कूड़ा करकट फेंक देती थी। एक दिन जब वे उसके घर के सामने से गुजर रहे थे लेकिन उस दिन उनके ऊपर उस स्त्री ने कूड़ा नहीं फेंका। वे बड़े हैरान हुये कि क्या बात है? जब उन्होंने इस बारे में पूछताछ शुरू की तो मालूम हुआ कि वह स्त्री तो बीमार है। पैगम्बर तुरंत उस स्त्री को देखने के लिये उसके घर गये। उनको अपने घर पर देख कर उस स्त्री को बहुत शर्मिंदगी का अनुभव हुआ। पैगम्बर मोहम्मद की दयालुता से वह बड़ी प्रभावित हुई। इसके बाद उसने इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया।

मुसलमानों द्वारा लड़े गये पहले युद्ध को बदर का युद्ध कहा जाता है क्योंकि इस युद्ध को बदर के कुँओं के पास लड़ा गया था। इस युद्ध में बड़ा संख्या में उन लोगों पर जीत हासिल की गई जो मोहम्मद साहब के विरोध में थे। इस युद्ध में मुसलमान सेना ने अनेकों लोगों को कैद कर लिया। जब उन कैद लोगों के भाग्य का फैसला किया जा रहा था, उस समय अबू बक्र नाम के शख्स ने राय दी कि चूँकि मुसलमानों और मक्का के बाशिंदों की रगों में एक ही खून बह रहा था अतः मुसलमानों को मक्का के लोगों से कुछ रकम हासिल करके उनको छोड़ देना चाहिये। दूसरी ओर ओमर नाम के शख्स ने कहा कि इन कैदियों ने मुसलमानों पर अनेकों ज़ुल्म ढाये हैं और इन्हीं के कारण पैगम्बर मोहम्मद को देश निकाला दे दिया गया था। अतः उसने अपना फैसला सुनाया कि इन कैदियों को बर्बरता से मार डाला जाय।
अबू बक्र और ओमर की राय मानने वालों की संख्या बराबर थी। पैगम्बर साहब ने अबू बक्र का साथ दिया। उन्होंने आदेश दिया कि सभी कैदियों के साथ मानवता का व्यवहार किया जाना चाहिये। उन्होंने उन सभी कैदियों को रिहा कर दिया। उनका आदेश ऐसा होता था कि मुसलमानों ने कैदियों के प्राणों की रक्षा के लिये अपना खाना भी छोड़ दिया और खुद सूखे छुहारे खा कर जीवित रहे।

उनकी रिहाई के बदले में जो रकम रखी गई वह प्रत्येक कैदी की धन संपत्ति अनुसार निश्चित की गई थी। पैगम्बर साहब के चाचा अब्बास को सबसे ज्यादा रकम देनी पड़ी। जबकि कई लोगों को तो बिना कोई रकम लिये हुये ही छोड़ दिया गया। उनको छोड़ने से पहले एक शर्त रखी गई कि जो भी कैदी पढ़ना लिखना जानते हों वे दो अन्य अनपढ़ मुसलमानों को पढ़ना लिखना सिखायेंगे।


Wednesday, 4 April 2018

भदोही जिला के जंगीगंज में रामदेव पी .जी. कॉलेज में सहजयोग ध्यान का कार्यक्रम हुआ ।इस कार्यक्रम बी. टी .सी और बी.एड.के छात्र छात्राओं एवमं कॉलेज के अध्यापकों ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को महसूस किया।





यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है 


. जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी


पावनता ही हमारे अंदर की सबसे बड़ी शक्ति है।
हमे अपना चित्त इधर उधर व्यर्थ चीजों में नही लगाना चाहिए।उसे सहस्त्रार पर लगाना बहुत आवश्यक है।
By
H.H. Shree mata ji


😆😄😃 Sahaj yoga meditation😆😄😃
😆😄











 भदोही जिला के जंगीगंज में रामदेव पी .जी. कॉलेज में सहजयोग ध्यान का कार्यक्रम हुआ ।इस कार्यक्रम बी. टी .सी और बी.एड.के छात्र छात्राओं एवमं कॉलेज के अध्यापकों ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को महसूस किया।
Self realisation nd meditational program in RAMDEV P.G. COLLEGE  JANGIGANJ DISS.BHADOHI. WITH Sanjay pradhan,,shruti nd kokil Srivastav.
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Contact Address:
International Sahaja Yoga Research & Health Centre,
Plot.1, Sector 8, H.H. Shri Nirmala Devi Marg, CBD, Belapur
Navi Mumbai - 400614.
Tel 91- 022 - 27571341/27576922, between 10 am and 4 pm (India time)
Fax 91 - 022 - 27576795
Email: sahaja_center@vsnl.net
Website: www.sahajahealthcentre.com

गेरू-शीत पित्ती त्वचा रोग हेतु , सिन्दूर - आज्ञा चक्र हेतु /त्वचा पर सफेद पपड़ियाँ नाभि चक्र के कारण होती हैं।








2- बाँया नाभि चक्र
(डॉ0 संदीप राय)
त्वचा पर सफेद पपड़ियाँ नाभि चक्र के कारण होती हैं।

इसके लिये आपको अपनी दाँई नाभि को साफ करना चाहिये। त्वचा की सफेद पपड़ियों के लिये दाँई नाड़ी का स्वच्छ कीजिये। इसका अर्थ है कि आपके लिवर में समस्या है। बाँई नाड़ी को स्वच्छ करने के लिये या शांत रहने के लिये तथा दाँई विशुद्धि को ठीक करने के लिये या मधुर भाषी बनने के लिये आपको क्या करना चाहिये?
जैसा कि मैंने आपको बताया कि कैंडल से बाँई नाभि को ठीक किया जा सकता है। दाँये स्वाधिष्ठान की गर्मी दाँई विशुद्धि पर आती है और ऊपर की ओर जाने लगती है। अतः दाँई नाड़ी को ठंडा करने से दाँई विशुद्धि भी ठीक हो जाती है। इसके लिये श्रीराधाकृष्ण और विठ्ठल रूक्मिमी का मंत्र लिया जा सकता है। इसके लिये श्रीमाताजी से प्रार्थना भी की जा सकती है कि माँ मुझे श्रीकृष्ण की तरह मधुर वाणी दे दीजिये। ये प्रार्थना बहुत उपयोगी है और बहुत सरल भी है। आप हृदय से जो भी प्रार्थना करते हैं श्रीमाताजी उसे अवश्य स्वीकार करती हैं।
त्वचा की सभी परेशानियाँ बाँई नाभि को स्वच्छ करने से ठीक हो जाती हैं। त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिये बाँई नाड़ी को स्वच्छ कीजिये। इसके लिये आप एक कैंडल को अपने सामने रख लीजिये और अपनी बाँई नाभि की उंगली को उसकी लौ के ऊपर रख दीजिये। अपना दाँया हाथ धरती या बाँई नाभि पर रख दीजिये और ध्यान में चले जाँय। आपकी त्वचा की समस्यायें समाप्त हो जायेंगी।यदि आपकी त्वचा पर खुजली आदि हो रही हो तो ये लिवर के कारण हो सकता है। आपके शरीर में लिवर की गर्मी से खुजली हो सकती है। हाइपोथाइरॉयड बाँई विशुद्धि की समस्या के कारण होता है। इसके बाद पेट में गड़गड़ाहट या रंबलिंग होना एक और समस्या है। ये भी भि के कारण होता है। यदि आप फुट सोक करें और नाभि को साफ करें तो ये दूर हो सकती है।

H.H. Shri Mataji about children/कुछ बच्चे एकदम दुबले पतले होते हैं और उनका वजन भी बहुत कम होता है।




1990 Shri Mataji about children, Diwali



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छोटे बच्चों के लिये लिवर ट्रीटमेंट ---->>>
(छोटे बच्चों को सलाह, वियेना ऑस्ट्रिया, 9 जुलाई 1986.)


मैंने ये भी देखा है कि कुछ बच्चे एकदम दुबले पतले होते हैं और उनका वजन भी बहुत कम होता है। अतः हमें तुरंत देखना चाहिये कि क्या बच्चे का लिवर खराब है? हो सकता है कि बच्चे का लिवर अस्पताल में ही खराब हो गया हो क्योंकि ये बच्चे जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी होते हैं और अस्पताल में हो सकता है उस समय कोई हिपेटाइटिस का रोगी भर्ती रहा हो या कोई और रोगी रहा हो। बच्चे इसको कैच कर लेते हैं और उनको जॉन्डिस जैसे रोग हो जाते हैं। ऐसे बच्चों के लिये सबसे अच्छी दवाई मूली के पत्तों को उबालकर उसमें थोड़ा शक्कर डालना है और फिर उसको दवा के रूप में बच्चे को देना है।
बहुत छोटे बच्चों यानी छः महीने से छोटे बच्चों को ये पानी न दें। इस पानी को थोड़ा गरम कर लें और बच्चे को पीने के लिये दें। इसमें गुड़ भी डाल सकते हैं। हो सकता है इसका स्वाद ज्यादा अच्छा न हो परंतु ये दवा छोटे बच्चों और के लिये बहुत अच्छी होती है। यदि आप उऩको बचपन में ये दवा नहीं देंगे तो उऩको हमेशा लिवर की समस्या रहेगी। उनके लिवर को चंद्रमा का मंत्र पढ़कर शांत रखें। अपना बाँया हाथ उनके लिवर पर रखें और उसको शांत या ठंडा करें। मेरे फोटो से चैतन्य ग्रहण करें और देखें कि बच्चे का लिवर शांत हो गया है। जब बच्चों को लिवर खराब हो जाता है तो वे ठीक से दूध नहीं पीते और एकदम कमजोर हो जाते हैं। उनका चेहरा भी पीला पड़ जाता है। जब उनका लिवर इनैक्टिव या सुस्त हो जाता है तो उनके शरीर पर बहुत जल्दी रैशेज या छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। जैसे ही लिवर सुस्त पड़ जाता है तो बच्चों को कैलशियम देना शुरू कर दें। यदि उनके शरीर पर दाने या रैशेज हो जाँय तो उन्हें किसी भी रूप में कैलशियम देना शुरू कर दें। रैशेज होने पर उऩको विटामिन ए और डी भी देना चाहिये।...

Mrs.Earth Shweta Chaudhry और वहाँ उपस्थित सभी teachers,professors ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को आत्मसात किया,और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया।



यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है 

.... मानव की सभी समस्यायेँ उनके चक्रों के कारण हैं। किसी तरह से यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकें तो आपकी सारी समस्यायों का समाधान हो जाएगा। यह इतना साधारण है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, चिकित्सा सम्मेलन, 25.3.93

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वाराणसी में Mrs.Earth 2018  Shweta Chaudhary का एक कार्यक्रम में आना हुआ ।कार्यक्रम बहुत ही अच्छे टॉपिक पर था   IS..... LEAVE NECESSARY DURING PERIODS.? वाराणसी के कई डिग्री कॉलेज की teachers,professor ने इस topic पर अपने अपने विचार रखे।वहाँ सहजयोग ध्यान के माध्यम से इस परिस्थिति में कैसे लाभ मिलेगा इस पर विचार व्यक्त करने के लिए बुलाया गया था।
साथ ही साथ Mrs.Earth Shweta Chaudhry और  वहाँ उपस्थित सभी teachers,professors ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को आत्मसात किया,और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया।
Program organized by  
ALKA GUPTA       (HOD....Political science) U.P. College,Varanasi








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Tuesday, 3 April 2018

Sahaj yoga meditation सूक्ष्म यंत्र के चक्र (शक्ति केंद्र) एक विशेष गति/चक्रों में दोष के कारण





चक्रों में दोष के कारण एवं उनका शुद्धीकरण
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(जिस प्रकार पृथ्वी अपनी धुरी के चारों ओर घूमती है उसी प्रकार हमारे सूक्ष्म यंत्र के चक्र (शक्ति केंद्र) एक विशेष गति से समतल सतह पर दक्षिणावर्त (clock wise) दिशा में अपने-अपने स्थानों पर चक्कर लगाते हैं। ये चक्र स्थूल केन्द्रों (plexuses) का निर्माण करते हैं, जो अपने चारों ओर के अंगों पर नियंत्रण रखते हैं। जब ये चक्र सुचारु रूप से अपनी गति द्वारा अपने अंगों को आवश्यकतानुसार शक्ति प्रदान करते हैं तभी शरीर के सारे अंग अपने निर्धारित कार्य सही तरह से कर पाते हैं। इन चक्रों की शक्ति हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कार्यों में निरंतर खर्च होती रहती है इसलिए चक्रों में शक्ति का सतत प्रवाह होना अत्यन्त आवश्यक है। किसी बाधा या रुकावट के कारण यदि शक्ति का प्रवाह कम हो जाता है तो चक्र अंगों पर नियंत्रण नहीं रख पाते। अंग भी शक्ति के अभाव के कारण क्षीण होने लगते हैं तो उनके निर्धारित कार्य रुक जाते हैं या ठीक प्रकार से नहीं हो पाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप शारीरिक रोग एवं मानसिक, भावनात्मक समस्यायेँ पैदा हो जाती हैं।)
........ मानव की सभी समस्यायेँ उनके चक्रों के कारण हैं। किसी तरह से यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकें तो आपकी सारी समस्यायों का समाधान हो जाएगा। यह इतना साधारण है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, चिकित्सा सम्मेलन, 25.3.93
......... जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
.......... ध्यान देने से आपको पता लगेगा की आपके अंदर कौन से चक्र की पकड़ है, उसे आपको साफ करना है। इसको प्रत्याहार कहते हैं, माने इसकी सफाई होनी चाहिये।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
.......... मध्य के पांचों चक्र मूलतः भौतिक तत्वों के बने हैं तथा पांचों तत्वों से इन चक्रों का शरीर बना है। हमें पूर्ण सावधानी से इन पांचों चक्रों का संचालन करना चाहिये। जिन तत्वों से ये चक्र बने हैं उन्हीं में इनकी अशुद्धियों को निकाल कर इन चक्रों का शुद्धीकरण करना है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, 18.1.1983
........चक्र कुप्रभावित होने पर सम्बन्धित देवता वहाँ से स्थान त्याग कर देते हैं, अतः उस चक्र का मंत्र उच्चारण करके परम्पूज्य श्रीमाताजी के नाम की शक्ति से उस देवता का आवाहन किया जाता है। उपचार के लिये विपरीत पाश्वॅ का हाथ प्रभावित चक्र पर रखें और प्रभावित पाश्वॅ का हाथ फोटो की ओर फैलायेँ।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, निर्मला योग, जुलाई-अगस्त, 1983
......... ऐसा नहीं है कि सहजयोग में आने के बाद आपको कोई बीमारी ही नहीं होती है, कारण यह है कि सहजयोग में आने के बाद जो ध्यान-धारणा और प्रगति आपने करनी होती है, वो आप नहीं करते। फिर भी आपके कष्ट घट जाते हैं।
........ सहजयोग में आने के बाद एक महीने में ही आप पूरी तरह से सहजयोग को समझ सकते हैं और उसमें उतर भी सकते हैं, पर जिस प्रकार रोज हम लोग स्नान करके अपने शरीर को साफ करते हैं, उसी प्रकार रोज अपने चक्रों को भी आपको साफ करना पड़ेगा।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, दिल्ली, 2.3.1991
........यदि आपकी विशुद्धि चक्र में कोई पकड़ है तो अपना दायाँ हाथ फोटो कि ओर करें और बाँया हाथ बाहर कि ओर कर दें। जब आपको लगे कि इसमें चैतन्य लहरियाँ आ रही हैं तब अपना बाँया हाथ फोटो कि ओर कर लें और दायाँ हाथ बाहर कि ओर, आपका पूरा चक्र स्वच्छ हो जाएगा।
अपनी खुली आंखो से यदि आप मेरी फोटो को देखते हैं और अपने दोनों हाथ हथेलियाँ ऊपर की ओर करके फोटो की ओर फैलाते हैं या कभी-कभी आकाश की ओर उठाते हैं, तो आपकी दृष्टि में बहुत सुधार होगा।
पृथ्वी माँ भी, यदि आप अपना सिर पृथ्वी माँ पर रखे, केवल अपना माथा पृथ्वी पर टेक लें और कहें,
“हे पृथ्वी माँ, मैं आपको अपने पैरों से छूता हूँ, इसके लिये मुझे क्षमा करें।“ वो दादी माँ हैं, जो भी कुछ आप उनसे मांगेंगे वो आपको मिल जायेगा। सब आपकी इच्छानुरूप आपको देने के लिये प्रतीक्षा कर रहे हैं।
आप श्री हनुमान और श्री गणेश की सहायता भी माँग सकते हैं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, मुंबई, 22.3.1977

ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।
कुंडलिनी की जागृति, दिव्य ऊर्जा को उन छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति देती है, जो शरीर के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं, 


ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।





...... जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
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ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।





कुंडलिनी की जागृति, दिव्य ऊर्जा को उन छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति देती है, जो शरीर के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं, 


यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है 




,,......जो डीपर मेडिटेशन में आपको करना है वह अपने चित्तवृत्ति का expansion और उसका खिंचाव। यह खिंचाव और expansion जब आप करने लग जायेंगे, तो आपको आश्चर्य होगा कि आपकी गहराई जो है वो बढ़ती है। एक ऐसा सोचिए, गेहूं गर खूब सारा यहाँ फैला दिया, उसका फैलाव ज्यादा हो गया, फिर गेहूं इकठ्ठा करके उसको ऐसे बडा़ कर दिया, उसकी ऊँचाई बढ़ गई कि नहीं बढ़ गयी? तो उसी तरह से जब आपने अपने को सारा का सारा समेट लिया, अपने चित्त को, तो आप देखिये अन्दर की गहराई बढ़ेगी .......अब चित्त कहीं उलझेगा ही नहीं , आप कोशिश करें, चित्त कहीं नहीं उलझेगा। ये deep Meditation में आप प्रयत्न करें। कोई सा भी बड़ा प्रश्न आये, आप उसकी तरफ देखें और देखते ही आपको आश्चर्य होगा कि चित्त वहाँ जाता है और लौट आता है। चित्त कहीं उलझ नहीं सकता ।

प.पू.श्रीमाताजी
मुम्बई, 03/09/1973
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International Sahaja Yoga Research & Health Centre,
Plot.1, Sector 8, H.H. Shri Nirmala Devi Marg, CBD, Belapur
Navi Mumbai - 400614.
Tel 91- 022 - 27571341/27576922, between 10 am and 4 pm (India time)
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Monday, 2 April 2018

डायबिटीज का इलाज केवल सहज योग #डॉक्टर संदीप राय














1- डायबिटीज रोग
(डॉ0 संदीप राय)
डायबिटीज बहुत ही कॉमन रोग है। इस रोग का मुख्य कारण अधिक सोच विचार या बहुत अधिक योजनायें बनाना है। इसका अर्थ है कि आपके दाँये स्वाधिष्ठान में कोई परेशानी है। माँ ने कहा है कि जब आपकी दाँई नाड़ी का बहुत ज्यादा उपयोग होता है तो फिर आपकी बाँई नाड़ी भी पूरी तरह से ड्रेन या एक्जॉस्ट हो जाती है। तब आपकी लेफ्ट नाभि और दाँया स्वाधिष्ठान कैच करने लगते हैं। बहुत अधिक सोचने के कारण आपका आज्ञा भी खराब होने लगता है। अतः आपको I सबको क्लियर करना चाहिये।
डायबिटीज से आपकी आँखे भी कमजोर होने लगती हैं क्योंकि बैक आज्ञा पर आपका स्वाधिष्ठान आज्ञा को घेर लेता है। यदि स्वाधिष्ठान ब्लॉक हो जाता है या अधिक सक्रिय हो जाता है तो ये आज्ञा पर प्रेशर डालता है या यह आज्ञा को संकुचित कर देता है। इसलिये आँखे कमजोर होने लगती हैं और आपको देखने में परेशानी होने लगती है। डायबिटीज से आपका दाँया स्वाधिष्ठान, लेफ्ट नाभि और आज्ञा तीन चक्र प्रभावित होते हैं। अतः इन तीनों चक्रों को साफ कीजिये।




- डॉक्टर्स अपने मरीजों को किस प्रकार से आत्मसाक्षात्कार दें ....
(डॉक्टर संदीप राय)
देखिये मैं न्यूरोलॉजिकल रोगों के अस्पताल में कार्य करता हूँ। मैं किस प्रकार से अपने रोगियों पर सहजयोग तकनीकों का उपयोग करता हूँ। मैं जब अपने रोगियों की जाँच करता हूँ जो मॉडर्न मेडिसिन्स के रोगी होते हैं। मैं उनको बताता हूँ क्या आपको तनाव या स्ट्रैस है वे कहते हैं कि हाँ है ................
.................मै उन्हें बताता हूँ कि हम लोगों ने सहजयोग ध्यान पद्धति पर बहुत सा शोध कार्य किया हुआ है। आप इसको भी आजमा कर देख सकते हैं। मैं भी सहजयोग की पद्धति से ध्यान किया करता हूँ। मुझे ये बहुत ही उपयोगी लगा है।
रोगी मुझसे पूछते हैं कि डॉक्टर आप भी सहजयोग ध्यान किया करते हैं? मैं कहता हूँ..... हाँ मैं भी यही किया करता हूँ। वे कहते हैं कि हम कहाँ जाकर इसके बारें में सीखें। तो या तो आप स्वयं उनको आत्मसाक्षात्कार दें या आप उनको किसी अन्य दिन बुलाकर उन्हें साक्षात्कार दे सकते हैं। कभी-कभी मैं उन सबको एक साथ मिसेज राय के पास भेज देता हूँ क्योंकि वह इसी हॉस्पिटल के बाहरी भाग में काम करती हैं। जब आप उनको आत्मसाक्षात्कार दें तो ज्याद आध्यात्मिकता की बातें न करें। उन्हें थोड़ा बहुत ही बतायें। आप उनसे कह सकते हैं कि यदि आपको तनाव है तो इस संसार में सभी को किसी न किसी प्रकार का तनाव है। इसलिये यदि आप सहजयोग ध्यान करेंगे तो आपके बहुत से रोग स्वयमेव ही ठीक हो जायेंगे। यदि आप किसी अस्पताल में कार्य कर रहे हैं तो उन्हें ये अवश्य बतायें कि आप भी इसी ध्यान पद्धति से ध्यान धारणा किया करते हैं।

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Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

यह vedio केवल पूराने ( old )साधको के लिए है
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Sunday, 1 April 2018

बच्चों को एलर्जी क्यों होती है




Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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बच्चों को एलर्जी क्यों होती है श्री माताजी डॉक्टर से पूछती हैं और वह सही उत्तर देते हैं क्योंकि उसे लेफ्ट नाभि की पकड़ होती है बच्चे शादीशुदा हो तो होते नहीं तो उनके मां के कारण होती है इसका मतलब की उसकी मां को लेफ्ट नाभि की पकड़ है अब लेफ्ट नाभि की पकड़ को कैसे हटाया जाय तो अपने दाएं हाथ को लेफ्ट नाभि में रखिए और बाए हाथ को आग के पास psoriasis लेफ्ट साइड की प्रॉब्लम होती है सुस्त लिवर की प्रॉब्लम होती है जिसके कारण आपको एलर्जी इज होती हैं तो psoriasis के इलाज के लिए अपना बायां हाथ श्री माताजी की तरफ और दाया हाथ धरती मां के ऊपर और गर्म पानी की बोतल पेट के ऊपर या फिर आप जलती हुई मोमबत्तियों से अपने लेबर को बंधन भी दे सकते हैं तो अगर लिवर इन एक्टिव होता है तो हमें तरह तरह की एलर्जी होती हैं और अगर लीवर एक्टिव होता है तो हमें नसिया जैसी बीमारियां होती है एग्जिमा जैसी एलर्जी के लिए आप नीम की पत्तियों का यूज कर सकते हैं अगर आपके शरीर में पर फंगस है तो बाया हाथ श्री माताजी की तरफ और दायां हाथ वहां पर जाकर आपको फंगस है और उनको चीज़ नहीं खाना चाहिए सभी सहयोगियों को फंगस सी चीज़ नहीं खानी चाहिए जिसमें नीला रंग हो किसी भी तरीके के फंगस नहीं खाना चाहिए मशरूम भी गाय के दूध से एलर्जी क्यों होती है उस से लेफ्ट साइड की पकड़ आ जाती है हमें गाय भैंस का दूध नहीं पीना चाहिए

हमें उन जानवरों का दूध पीना चाहिए जो हम से छोटे हो हमें बकरे का दूध पीना चाहिए ब्रोंकियल अस्थमा राइट और लेफ्ट हॉट की पकड़ से होता है

 अगर दिनभर मां-बाप झगड़ते हो या फिर बच्चे को कभी मां-बाप का प्यार नहीं मिला हो या फिर दोनों का निधन हो चुका हो तब उसे ब्रोंकियल अस्थमा होता है लो बीपी ऊपर एक्टिविटी के कारण होता है उसे ज्यादा सोचना नहीं चाहिए और उसे अपने आज्ञा को काबू में करना चाहिए तो अपने आप को जीसस क्राइस्ट के आगे समर्पित कर दो स्पॉन्डिलाइटिस लिफ्ट विशुद्धि के पकड़ से राइट विशुद्धि की पकड़ से या फिर दोनों के पकड़ से होता है अधिक स्क्लेरोसिस मूलाधार और लेफ्ट नबी के पकड़ होता है तो लेफ्ट साइड का ट्रीटमेंट करें और श्री गणेश और गौरी जी का नाम ले लोग ज्यादा देर तक खड़े रहते हैं या फिर बहुत काम करते हैं तो उनको बिस्तर पर लेट कर थोड़ी साइकिलिंग करनी चाहिए 

श्री माँ की ममता को feelकर ने के लिए video को पूरा देखें कुण्डलिनी जागरित अवस्था में आ जाएगी

कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि |

इसका उल्लेख गुरु नानक, शंकराचार्य, कबीर और संत ज्ञानेश्वर के प्रवचनों में मिलता है। यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मि...