Wednesday, 11 December 2019

H.H. shree mata ji #राइट साइड पकड़ने से लकवा और दिल का दौरा,हाथ उसका जकड़ जाता है इसे क्लियर कैसे करें


राइट साइड पकड़ने से लकवा और दिल का दौरा,हाथ उसका जकड़ जाता है इसे क्लियर कैसे करें  






*...................अब जिनकी आदत बहुत ज्यादा चिल्लाने की,चीखने की,दूसरो को अपने शब्दों में रखने की...........और अपने शब्दों से दूसरो को दुख देने की आदत होती है,उनकी राइट विशुद्धी पकड़ी जाती है और उससे अनेक रोग उसे हो जाते है l*
*.................राइट साइड पकड़ने स्पान्डिलायटिस होता है........दुनिया भर की दूसरी बिमारी हो सकती है जैसे लकवा और दिल का दौरा,हाथ उसका जकड़ जाता हैI......इससे जुकाम-सर्दी होती है,इतना ही नही जिसे हम कहते है अस्थमा उसका प्रादुर्भाव हो सकता हैI*
*जो आदमी अपने को बडा विद्वान समझते है उनकी हो ये हालत हो सकती है कि वे इतने अधिक विद्वान हो जाते है कि उनकी अपनी बुद्धि वही आपको चलाने लगती है,आपके खिलाफ चलती हैI.......इससे आदमी हठात,तो वो कोई भी काम करते है हठात,पर लेकिन आप अगर कहें अब आप पैर हटाईये तो नही हो सकता क्योंकी उनकी खुद की बुद्धि ही परास्त हो गयी हैI*
*(प.पू.श्रीमाताजी श्री निर्मला देवी 16/3/1984 )

Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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इसे ठीक कैसे करें( क्लियर कैसे करें ):-







Tuesday, 10 December 2019

श्री लक्ष्मी तत्त्व को प्राप्त करें, दिल्ली 15 मार्च 1984, श्री माता जी श्री निर्मला देवी

श्री लक्ष्मी तत्त्व को प्राप्त करें, दिल्ली 15 मार्च 1984, श्री माता जी श्री निर्मला देवी


                         

महालक्ष्मी तत्व
".................आदिशक्ति कि जो तीसरी शक्ति है , त्रिगुणात्मिका वो महालक्ष्मी कि शक्ति है।इसी शक्ति से हम धर्म को धारण करते है।महालक्ष्मी के सम्बन्ध मे हमे ये समझना होगा कि वे क्या करती है और उनकी सहायता क्या है। महालक्ष्मी वाहिका ( सुषुम्ना ) या महालक्ष्मी की शक्तियों ने हमारे अंदर आवश्यक संतुलन,आवश्यक मार्ग का सृजन किया है ताकि कुण्डलिनी उठ सके।बाएं और दायें अनुकंपी को संतुलित किया है और कुण्डलिनी के उत्थान के लिये वे हि खुला मार्ग बनाती है।यह प्रेम एवं करुणा का मार्ग है ,करुणा और प्रेम के माध्यम से वे ये मार्ग बनाती है क्योंकि वे जानती है कि यदि मार्ग खुला न होगा तो कुण्डलिनी न उठ सकेगी।अंततः व्यक्ति उस अवस्था तक पहुँच जाता है जहाँ जिज्ञासा का आरम्भ होता है और आप लोगों मे जब जिज्ञासा जागृत हुई तो आपका महालक्ष्मी तत्व जागृत हो गया एक अन्य कार्य जो ये महालक्ष्मी तत्व करता है वो ये है कि यह कुण्डलिनी शक्ति को भिन्न चक्रों तक जाने का मार्ग बताता है ताकि इन चक्रों के दोष दूर हो सके।ये अत्यंत लचीली शक्ति है जो भिन्न चक्रों मे कुण्डलिनी का पथप्रदर्शन करती है और समझती है कि किस चक्र को कुण्डलिनी कि सहायता कि आवश्यकता है।आपने अवश्य देखा होगा कि किसी भी बाधित चक्र पर जाकर ,उसे ठीक करने के लिये ये किस प्रकार धड़कती है।यह सारा कार्य इसलिए होत है क्योंकि वे करुणा एवं प्रेम से परिपूर्ण है और चाहती है की आप पूर्ण सत्य को प्राप्त करें।पूर्व कर्मों के बहुत से बन्धन एवं समस्याएं हमारे उत्थान मे कठिनाई उत्पन्न करते है।
..................षडरिपु हमारा अन्तरपरिवर्तन ( उत्थान ) असंभव कर देते है।परन्तु महालक्ष्मी तत्व के प्रज्वलित और जागृत हो जाने पर मानव मे अन्तरपरिवर्तन होता है और वह एक भिन्न तत्व का बन जाता है -- आत्मतत्व।प्रकृति के पाश से मुक्त होकर साधक परमेश्वरी लीला का साक्षी एवं अपना स्वामी ( गुरु ) बन जाता है।महालक्ष्मी शक्ति जागृत एवं स्थापित होने के पश्चात् व्यक्ति बात -बात पर परेशान नहि होता ,प्रेम एवं करुणा का आनंद उठाता है।साधक को श्री कृष्ण वर्णित ' स्थितप्रज्ञ ' स्थिति प्राप्त हो जाति है और उसमे 'सामूहिक चेतना ' का एक नया आयाम विकसित हो जाता है। बूँद समुद्र में मिलकर 'पुर्नसमुद्र ' - ' परमेश्वरी प्रेम कि शक्ति ' बन जाति है तथा बहुत से दीप प्रज्वलित करती है।"
---- H.H.SHRI MATAJI ----
महालक्ष्मी पुजा , १० नवम्बर १९९६

Monday, 9 December 2019

हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम दूर करें सहज योग ध्यान विधि से

हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम दूर करें सहज योग ध्यान विधि से
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Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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श्री माताजीने बताया हे की *लो ब्लड प्रेशर हमरी असंतुलित इड़ा नाडी से होता हे.* और *हाई ब्लड प्रेशर असंतुलित पिंगला नाडी से होता हे.* जिन्हे *हाई ब्लड प्रेशर हे उन्होंने नमकपानी में बैठके बायीं बाजु
 दायी और १०८ बार डाले.* फिर उसे कम करते करते ५१ बार, बादमे २१ बार और फिर ७ बार.
*ये ट्रीटमेंट सिर्फ सहजयोगी के लिए उपयुक्त हे जो सेण्टर हमेशा जाते हे.*

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Tuesday, 12 November 2019

सिरदर्द और माइग्रेन दूर होता है, "अल्लाह ओ अकबर बोलने एवं पैगम्बर साहब का नाम लेने से






*सिरदर्द और माइग्रेन दूर होता है, "अल्लाह ओ अकबर बोलने एवं पैगम्बर साहब का नाम लेने से"*
"....अभी एक लड़की आई थी वहाँ दिल्ली में.....उसको बहुत दिन से माइग्रेन था इतना ज़्यादा...। मैने कहा कि भई तुममें कोई कट्टरता है क्या? तो कहती है कि मेरे में तो कोई नहीं है। मैं तो भगवान को बहुत याद करती हूँ। मैने कहा कौन से भगवान को। कहने लगी मैं तो भई हिंदू धर्म वाली हूँ, तो हिंदू धर्म के जितने भी भगवान हैं, उनको सबको मैं मानती हूँ। मैने कहा अच्छा बेटे, तुम ऐसा करो कि यहाँ पर नाभि चक्र पर जनकजी का नाम लो, चाहे तुम दत्तात्रेयजी का नाम लो, वो तुम्हारे आदिगुरू हैं। लिया उसने, कहने लगी, कुछ फरक नहीं पढ़ा। मैने कहा अच्छा तुम अपनी ये ऊँगलियाँ कान में डालकर, अल्लाह-ओ-अकबर कहो, और पैगम्बर साहब का नाम लो। *फौरन उसका सरदर्द चला गया।* उसने कहा कि माँ ये कमाल हो गया। मेरा सरदर्द किस वजह से था? मैने कहा *क्योंकि तुम कट्टर हो। किसी को आप नफरत करेंगे तो सरदर्द होगा ही आपको।* अधिकतर आपमें बीमारियाँ इसीलिए हैं क्योंकि आप किसी ना किसी कारण, किसी ना किसी बहाने नफरत करते हैं। परमात्मा ऐसे आदमी की क्यों मदद करेगा, आप ही बताइये कि आप और नफरत करें? और *अगर आप किसी से नफरत करते हैं, तो परमात्मा आपको और शक्ति देगा या आपको बीमारियां ही देगा।* वो भी आपसे नफरत करता है। नफरत ऐसी चीज है कि मनुष्य के जाती है दूसरी तरफ, तो नफरत ही वापस आती है। *आप गर दूसरे के प्रति प्रेम रखिए, तो प्रेम जाता है और प्रेम आता है।"*
*---परमपूज्य माताजी श्रीनिर्मलादेवी*, सहजयोग संस्‍थापिका। 17.03.1975

Thursday, 31 October 2019

आर्थराइटिस के लिए उपचार# एवं विभिन्न बीमारियों के विभिन्न उपचार सहज योग ध्यान विधि से




*आर्थराइटिस के लिए सहज उपचार*
-अधिकतर बायीं नाभि चक्र के कारण होता है
-बायीं नाभि की कैंडल ट्रीटमेंट करें एक से अधिक बार यदि ज़रूरत हो तो
- जलक्रिया करें
- प्रभावित स्थान व् चक्र को विब्रशन्स दें
- केरोसिन व् अन्य किसी भी तैल(जैसे सरसों,तिल आदि) को बराबर मात्रा में मिलाकर कांच की शीशी में रख लें व् श्रीमाताजी के सामने बोतल को रखकर चैतनयित करके धन्वंतरि साक्षात् व् स्वस्था साक्षात् का मंत्र लेकर श्रीमाताजी का आव्हान करें कि श्रीमाताजी आप ही डॉक्टरों की डॉक्टर हैं कृपया मेरे समस्त रोगों का नाश आप ही कीजिये,मैं आपकी शरणागत हूँ इस चैतनयित तैल को जहाँ दर्द हो लगाकर मालिश करें व् गणेश अथर्वशीर्ष बोलें
-6 दिन तक कम से कम *रोज़ 2 निम्बू *गर्म पानी में निचोड़ कर रोज़ सुबह दोपहर व् रात को खाने के बाद अवश्य लें। *विटामिन-c* की कमी से जॉइंट पेन होता है। यदि ज्यादा खट्टा लगे तो शहद मिला कर पियें।
-ठन्डे पानी से नहाने की आदत डालें ,गर्म पानी से न नहाएं उससे *मस्कुलर अट्रोफी* होजाती है मांसपेशियां कड़क होजाती हैं ,जिससे चल नहीं पाते हैं
-रोज़ थोड़ी एक्सरसाइज *हमेशा* करें
-घुटने पर घेरू लगा सकते हैं वह अच्छा होता है
-बहते पानी में संभव हो तो नहाएं
-जमीन के नीचे पैदा हुए पदार्थ न खाएं
- घुटनों के दर्द के लिए श्री विंध्यवासिनी साक्षात् का मंत्र लें
- अन्य हड्डियों के लिए श्री पार्वती साक्षात् का
- संधि स्थानों के लिए श्री अभेद्या साक्षात् का मंत्र लें
-पीठ में निचली कमर के लिए श्री भगवती साक्षात् का
-रीढ़ की हड्डी केलिए श्री धनुर्धरी साक्षात् का मंत्र लें
-जिस भी स्थान विशेष में बीमारी हो वहाँ उनके अधिष्ठाता देवी देवता का मंत्र लें
*नोट- केरोसिन के तेल की मालिश सबसे बढ़िया उपाय है घेरू के मुकाबले*
*दुनिया की ऐसी कोई बीमारी नहीं जो श्रीमाताजी की करूण कृपा में ठीक न हो सके, अपना ध्यान व् शुद्धिकरण नित्य करें ,सब कल्याणमय होगा जय श्रीमाताजी *
*सन्दर्भ - मेडिकल एनलैटण्ड, मेडिकल a-z, श्री देवी कवच, प्रेस वार्ता कलकत्ता ,भारत 14/10/1986*

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Wednesday, 16 October 2019

देवी देवताओं के नाम का उच्चारण किस क्रम में करें .... (पीटर कॉर्डन, इटरनली इंसपाइरिंग रिकलेक्शन्स ऑफ अवर होली मदर, वॉल्यूम सं0-4, पृ0सं0 71)

देवी देवताओं के नाम का उच्चारण किस क्रम में करें ....
(पीटर कॉर्डन, इटरनली इंसपाइरिंग रिकलेक्शन्स ऑफ अवर होली मदर, वॉल्यूम सं0-4, पृ0सं0 71)

एक बार जब 1980 में श्रीमाताजी ऑस्ट्रेलिया आँईं तो मुझे देवी देवताओं के नामों के उच्चारण के क्रम में कुछ गलतियाँ लगीं। उनमें से एक फर्क था कि लोग हमेशा आज्ञा के मंत्र में श्री मैरी जीसस कहा करते थे। माँ से पूछने पर इसका उत्तर माँ ने हमें इस प्रकार से दिया।

श्रीमाताजी ने कहा कि मैं इसके बारे में आपको अभी बताती हूँ। जब हम श्रीशिव पार्वती कहते हैं तो उसमें श्रीशिव के अतिरिक्त और कोई नहीं होता है अतः श्री शिवजी का नाम पार्वती जी से पहले आता है। श्रीविष्णु जी ने समय-समय पर कई बार अवतार लिये। जब हम श्री लक्ष्मी नारायण का नाम लेते हैं तो पहले लक्ष्मी जी का नाम लेते हैं क्योंकि वे विवाहित दंपत्ति हैं। इसी प्रकार से जब हम श्रीसीता राम का नाम लेते हैं तो भी सीता जी का नाम पहले लिया जाता है। जब श्रीराधा कृष्ण का नाम लिया जाता है तो पहले राधा जी का नाम आता है क्योंकि वे भी विवाहित हैं परंतु जब हम श्रीजीसस मैरी का नाम लेते हैं तो हमेशा पहले श्रीजीसस का नाम लें क्योंकि वे माता एवं पुत्र हैं ..... विवाहित नहीं हैं। जब हम श्रीब्रह्मदेव सरस्वती का नाम लेते हैं तो पहले श्रीब्रह्मदेव का नाम आता है, सरस्वती जी का नहीं क्योंकि सरस्वती उनकी शक्ति हैं पत्नी नहीं। इसके बाद श्रीमाताजी ऑस्ट्रिया गईं तो सभी किताबों में इसी प्रकार से संशोधन कर दिया गया।

Wednesday, 9 October 2019

मन आपको मूर्ख बनाता है, उसे इसकी इजाजत न दें।





मन आपको मूर्ख बनाता है, उसे इसकी इजाजत न दें।

बहुत ज्यादा सोच विचार करना अहंकार की निशानी है। जो लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं, वे समाधान को प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि वे केवल बातचीत कर रहे हैं, बहस कर रहे हैं और सोच रहे हैं। उनके पास कोई समाधान नहीं है। सहजयोगियों को आत्मनिरीक्षण करना पड़ेगा, अपने अंदर अपने आप से पूछें कि मैं क्या सोच रहा हूँ? क्यों सोच रहा हूँ? मुझे सोचने की क्या जरूरत है? और आप निर्विचार हो जाएंगे। मन आपको मूर्ख बनाता है, उसे इसकी इजाजत न दें।
परमपूज्य श्री माताजी निर्मलादेवी
०२ मे १९८५
आपका दिन मंगलमय हो

प्रश्न-उत्तर


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Friday, 4 October 2019

एंटीबॉयोटिक दवाऐं खतरनाक है#मध्य हृदय को ठीक करने के लिये किसी प्रकार की दवा की आवश्यकता नहीं है।

अनाहत चक्र


                               
मध्य हृदय 

         


मध्य हृदय को ठीक करने के लिये किसी प्रकार की दवा की आवश्यकता नहीं है।


एंटीबॉयोटिक दवाऐं खतरनाक है।


        जब हमारा ये केन्द्र अर्थात हमारा मध्य हृदय खराब हो जाता है तो सबसे पहले आपके शरीर की एन्टीबॉडीज कम हो जाती हैं। ऐसी बहुत सारी दवायें हैं, जिनसे हमारे शरीर की एंटीबॉडीज कम होने लगती हैं, लेकिन फिर भी लोग इन दवाओं को लेते रहते हैं, क्योंकि इनको लेते रहने से उनको कुछ समय के लिये अपनी बीमारी में थोड़ा आराम मिलता है। लेकिन इन दवाओं को लेते रहने से आप अन्य रोगों के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि आपके शऱीर में एंटाबॉडीज कम हो जाती हैं और आप अन्य रोगों से नहीं लड़ सकते और आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति क्षीण होने लगती है। ऐसी दवाओं को लेते समय ये भूल जाते हैं कि हम लोग संपूर्ण व्यक्तित्व हैं न कि महज भौतिक शरीर हैं। हमारा भावनात्मक और मानसिक अस्तित्व तो है ही लेकिन इन सबसे ऊपर हमारा आध्यात्मिक अस्तित्व भी है। जब हम इस पहलू को भूल जाते हैं, तो उस समय हम केवल अपने भौतिक शऱीर की चिंता करते रहते हैं और जब हमारा भौतिक शरीर रोगग्रस्त हो जाता है, तो उसको ठीक करने के लिये हम इस पृथ्वी पर उपलब्ध हर इलाज को करने की कोशिश करते हैं। परंतु हमें ये मालूम नहीं होता कि *इन उपचारों को करने से हमारा भावनात्मक पक्ष खराब हो जाता है, और जब हमारा भावनात्मक पक्ष कमजोर हो जाता है तो यह काफी खतरनाक हो सकता है।* जिन दवाओं को हम ले रहे होते हैं वे हमारे शरीर की एंटीबॉडीज को कम कर देती हैं और अंततः हम पागलपन की कगार तक पहुँच जाते हैं।. *इन दवाओं को लेते रहने से पहले तो आपको चक्कर आने लगते हैं .... और अत्यधिक नींद आती है। बहुत ज्यादा सोने से और ढेरों दवायें लेने से आप पागलपन का शिकार हो जाते हैं, क्योंकि आप अवचेतन में धकेल दिये जाते हैं, जहाँ आपके ऊपर बाँई ओर के आक्रमण होने लगते हैं और फिर आप पगला जाते हैं।*
         अतः इन दवाओं को सेवन बहुत ज्यादा खतरनाक होता है।चिकित्सक लोग मानव की पूरी प्रकृति जाने बिना केवल इसके एक ही भाग अर्थात भौतिक (शारीरिक) पक्ष का ही उपचार करते रहते हैं। सहजयोग में हम, जैसा कि उन्होंने आपको अभी बताया, कि मैं बिल्कुल भी कोई दवा नहीं लेती हूँ। मैं...... जैसे कबीर दासजी ने भी कहा है कि मैं तो कोई भी दवा नहीं लेता हूँ। *जो परमब्रह्म परमेश्वर हैं, वही मेरे वैद्य हैं । वे ही मेरा उपचार करते हैं।*  ये सच भी है। अब वह समय आ गया है कि जैसा कबीर  और नानकदेव जी ने कहा है-- शंकराचार्य और ईसामसीह ने कहा है कि *मध्य हृदय को ठीक करने के लिये किसी प्रकार की दवा की आवश्यकता नहीं है।*

*---परमपूज्य श्रीमाताजी श्रीनिर्मला देवी ।* सार्वजनिक कार्यक्रम, 9 फरवरी 1981, नई दिल्ली-भारत।

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श्री माँ की ममता को feelकर ने के लिए video को पूरा देखें कुण्डलिनी जागरित अवस्था में आ जाएगी

कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि |

इसका उल्लेख गुरु नानक, शंकराचार्य, कबीर और संत ज्ञानेश्वर के प्रवचनों में मिलता है। यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मि...