बहुत ज्यादा सोच विचार करना अहंकार की निशानी है। जो लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं, वे समाधान को प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि वे केवल बातचीत कर रहे हैं, बहस कर रहे हैं और सोच रहे हैं। उनके पास कोई समाधान नहीं है। सहजयोगियों को आत्मनिरीक्षण करना पड़ेगा, अपने अंदर अपने आप से पूछें कि मैं क्या सोच रहा हूँ? क्यों सोच रहा हूँ? मुझे सोचने की क्या जरूरत है? और आप निर्विचार हो जाएंगे। मन आपको मूर्ख बनाता है, उसे इसकी इजाजत न दें।
परमपूज्य श्री माताजी निर्मलादेवी
०२ मे १९८५
आपका दिन मंगलमय हो
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