यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है
.... मानव की सभी समस्यायेँ उनके चक्रों के कारण हैं। किसी तरह से यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकें तो आपकी सारी समस्यायों का समाधान हो जाएगा। यह इतना साधारण है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, चिकित्सा सम्मेलन, 25.3.93
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वाराणसी में Mrs.Earth 2018 Shweta Chaudhary का एक कार्यक्रम में आना हुआ ।कार्यक्रम बहुत ही अच्छे टॉपिक पर था IS..... LEAVE NECESSARY DURING PERIODS.? वाराणसी के कई डिग्री कॉलेज की teachers,professor ने इस topic पर अपने अपने विचार रखे।वहाँ सहजयोग ध्यान के माध्यम से इस परिस्थिति में कैसे लाभ मिलेगा इस पर विचार व्यक्त करने के लिए बुलाया गया था।
साथ ही साथ Mrs.Earth Shweta Chaudhry और वहाँ उपस्थित सभी teachers,professors ने सहजयोग ध्यान के अनुभव को आत्मसात किया,और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त किया।
(जिस प्रकार पृथ्वी अपनी धुरी के चारों ओर घूमती है उसी प्रकार हमारे सूक्ष्म यंत्र के चक्र (शक्ति केंद्र) एक विशेष गति से समतल सतह पर दक्षिणावर्त (clock wise) दिशा में अपने-अपने स्थानों पर चक्कर लगाते हैं। ये चक्र स्थूल केन्द्रों (plexuses) का निर्माण करते हैं, जो अपने चारों ओर के अंगों पर नियंत्रण रखते हैं। जब ये चक्र सुचारु रूप से अपनी गति द्वारा अपने अंगों को आवश्यकतानुसार शक्ति प्रदान करते हैं तभी शरीर के सारे अंग अपने निर्धारित कार्य सही तरह से कर पाते हैं। इन चक्रों की शक्ति हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कार्यों में निरंतर खर्च होती रहती है इसलिए चक्रों में शक्ति का सतत प्रवाह होना अत्यन्त आवश्यक है। किसी बाधा या रुकावट के कारण यदि शक्ति का प्रवाह कम हो जाता है तो चक्र अंगों पर नियंत्रण नहीं रख पाते। अंग भी शक्ति के अभाव के कारण क्षीण होने लगते हैं तो उनके निर्धारित कार्य रुक जाते हैं या ठीक प्रकार से नहीं हो पाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप शारीरिक रोग एवं मानसिक, भावनात्मक समस्यायेँ पैदा हो जाती हैं।)
........ मानव की सभी समस्यायेँ उनके चक्रों के कारण हैं। किसी तरह से यदि आप अपने चक्रों को ठीक कर सकें तो आपकी सारी समस्यायों का समाधान हो जाएगा। यह इतना साधारण है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, चिकित्सा सम्मेलन, 25.3.93
......... जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
.......... ध्यान देने से आपको पता लगेगा की आपके अंदर कौन से चक्र की पकड़ है, उसे आपको साफ करना है। इसको प्रत्याहार कहते हैं, माने इसकी सफाई होनी चाहिये।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
.......... मध्य के पांचों चक्र मूलतः भौतिक तत्वों के बने हैं तथा पांचों तत्वों से इन चक्रों का शरीर बना है। हमें पूर्ण सावधानी से इन पांचों चक्रों का संचालन करना चाहिये। जिन तत्वों से ये चक्र बने हैं उन्हीं में इनकी अशुद्धियों को निकाल कर इन चक्रों का शुद्धीकरण करना है।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, 18.1.1983
........चक्र कुप्रभावित होने पर सम्बन्धित देवता वहाँ से स्थान त्याग कर देते हैं, अतः उस चक्र का मंत्र उच्चारण करके परम्पूज्य श्रीमाताजी के नाम की शक्ति से उस देवता का आवाहन किया जाता है। उपचार के लिये विपरीत पाश्वॅ का हाथ प्रभावित चक्र पर रखें और प्रभावित पाश्वॅ का हाथ फोटो की ओर फैलायेँ।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, निर्मला योग, जुलाई-अगस्त, 1983
......... ऐसा नहीं है कि सहजयोग में आने के बाद आपको कोई बीमारी ही नहीं होती है, कारण यह है कि सहजयोग में आने के बाद जो ध्यान-धारणा और प्रगति आपने करनी होती है, वो आप नहीं करते। फिर भी आपके कष्ट घट जाते हैं।
........ सहजयोग में आने के बाद एक महीने में ही आप पूरी तरह से सहजयोग को समझ सकते हैं और उसमें उतर भी सकते हैं, पर जिस प्रकार रोज हम लोग स्नान करके अपने शरीर को साफ करते हैं, उसी प्रकार रोज अपने चक्रों को भी आपको साफ करना पड़ेगा।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, दिल्ली, 2.3.1991
........यदि आपकी विशुद्धि चक्र में कोई पकड़ है तो अपना दायाँ हाथ फोटो कि ओर करें और बाँया हाथ बाहर कि ओर कर दें। जब आपको लगे कि इसमें चैतन्य लहरियाँ आ रही हैं तब अपना बाँया हाथ फोटो कि ओर कर लें और दायाँ हाथ बाहर कि ओर, आपका पूरा चक्र स्वच्छ हो जाएगा।
अपनी खुली आंखो से यदि आप मेरी फोटो को देखते हैं और अपने दोनों हाथ हथेलियाँ ऊपर की ओर करके फोटो की ओर फैलाते हैं या कभी-कभी आकाश की ओर उठाते हैं, तो आपकी दृष्टि में बहुत सुधार होगा।
पृथ्वी माँ भी, यदि आप अपना सिर पृथ्वी माँ पर रखे, केवल अपना माथा पृथ्वी पर टेक लें और कहें,
“हे पृथ्वी माँ, मैं आपको अपने पैरों से छूता हूँ, इसके लिये मुझे क्षमा करें।“ वो दादी माँ हैं, जो भी कुछ आप उनसे मांगेंगे वो आपको मिल जायेगा। सब आपकी इच्छानुरूप आपको देने के लिये प्रतीक्षा कर रहे हैं।
आप श्री हनुमान और श्री गणेश की सहायता भी माँग सकते हैं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी, मुंबई, 22.3.1977
ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।
कुंडलिनी की जागृति, दिव्य ऊर्जा को उन छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति देती है, जो शरीर के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं,
...... जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं।
प॰ पू॰ श्रीमाताजी
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ये दोनों वीडियो देखें श्री माँ का बहुत ही अनोखा कार्य कैसे श्री माँ ने ग़ाज़ीपुर के रेलवे स्टेशन पर वहां पर मौजूद यात्रियों के लिए कार्य करवाया।
कुंडलिनी की जागृति, दिव्य ऊर्जा को उन छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति देती है, जो शरीर के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं,
यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक भलाई के लिए अमूल्य है। माता निर्मला देवी ने इस तकनीक को 156 से अधिक देशों में लोकप्रिय बनाया है
,,......जो डीपर मेडिटेशन में आपको करना है वह अपने चित्तवृत्ति का expansion और उसका खिंचाव। यह खिंचाव और expansion जब आप करने लग जायेंगे, तो आपको आश्चर्य होगा कि आपकी गहराई जो है वो बढ़ती है। एक ऐसा सोचिए, गेहूं गर खूब सारा यहाँ फैला दिया, उसका फैलाव ज्यादा हो गया, फिर गेहूं इकठ्ठा करके उसको ऐसे बडा़ कर दिया, उसकी ऊँचाई बढ़ गई कि नहीं बढ़ गयी? तो उसी तरह से जब आपने अपने को सारा का सारा समेट लिया, अपने चित्त को, तो आप देखिये अन्दर की गहराई बढ़ेगी .......अब चित्त कहीं उलझेगा ही नहीं , आप कोशिश करें, चित्त कहीं नहीं उलझेगा। ये deep Meditation में आप प्रयत्न करें। कोई सा भी बड़ा प्रश्न आये, आप उसकी तरफ देखें और देखते ही आपको आश्चर्य होगा कि चित्त वहाँ जाता है और लौट आता है। चित्त कहीं उलझ नहीं सकता ।
प.पू.श्रीमाताजी
मुम्बई, 03/09/1973
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Contact Address:
International Sahaja Yoga Research & Health Centre,
1- डायबिटीज रोग
(डॉ0 संदीप राय)
डायबिटीज बहुत ही कॉमन रोग है। इस रोग का मुख्य कारण अधिक सोच विचार या बहुत अधिक योजनायें बनाना है। इसका अर्थ है कि आपके दाँये स्वाधिष्ठान में कोई परेशानी है। माँ ने कहा है कि जब आपकी दाँई नाड़ी का बहुत ज्यादा उपयोग होता है तो फिर आपकी बाँई नाड़ी भी पूरी तरह से ड्रेन या एक्जॉस्ट हो जाती है। तब आपकी लेफ्ट नाभि और दाँया स्वाधिष्ठान कैच करने लगते हैं। बहुत अधिक सोचने के कारण आपका आज्ञा भी खराब होने लगता है। अतः आपको I सबको क्लियर करना चाहिये।
डायबिटीज से आपकी आँखे भी कमजोर होने लगती हैं क्योंकि बैक आज्ञा पर आपका स्वाधिष्ठान आज्ञा को घेर लेता है। यदि स्वाधिष्ठान ब्लॉक हो जाता है या अधिक सक्रिय हो जाता है तो ये आज्ञा पर प्रेशर डालता है या यह आज्ञा को संकुचित कर देता है। इसलिये आँखे कमजोर होने लगती हैं और आपको देखने में परेशानी होने लगती है। डायबिटीज से आपका दाँया स्वाधिष्ठान, लेफ्ट नाभि और आज्ञा तीन चक्र प्रभावित होते हैं। अतः इन तीनों चक्रों को साफ कीजिये।
- डॉक्टर्स अपने मरीजों को किस प्रकार से आत्मसाक्षात्कार दें ....
(डॉक्टर संदीप राय)
देखिये मैं न्यूरोलॉजिकल रोगों के अस्पताल में कार्य करता हूँ। मैं किस प्रकार से अपने रोगियों पर सहजयोग तकनीकों का उपयोग करता हूँ। मैं जब अपने रोगियों की जाँच करता हूँ जो मॉडर्न मेडिसिन्स के रोगी होते हैं। मैं उनको बताता हूँ क्या आपको तनाव या स्ट्रैस है वे कहते हैं कि हाँ है ................
.................मै उन्हें बताता हूँ कि हम लोगों ने सहजयोग ध्यान पद्धति पर बहुत सा शोध कार्य किया हुआ है। आप इसको भी आजमा कर देख सकते हैं। मैं भी सहजयोग की पद्धति से ध्यान किया करता हूँ। मुझे ये बहुत ही उपयोगी लगा है।
रोगी मुझसे पूछते हैं कि डॉक्टर आप भी सहजयोग ध्यान किया करते हैं? मैं कहता हूँ..... हाँ मैं भी यही किया करता हूँ। वे कहते हैं कि हम कहाँ जाकर इसके बारें में सीखें। तो या तो आप स्वयं उनको आत्मसाक्षात्कार दें या आप उनको किसी अन्य दिन बुलाकर उन्हें साक्षात्कार दे सकते हैं। कभी-कभी मैं उन सबको एक साथ मिसेज राय के पास भेज देता हूँ क्योंकि वह इसी हॉस्पिटल के बाहरी भाग में काम करती हैं। जब आप उनको आत्मसाक्षात्कार दें तो ज्याद आध्यात्मिकता की बातें न करें। उन्हें थोड़ा बहुत ही बतायें। आप उनसे कह सकते हैं कि यदि आपको तनाव है तो इस संसार में सभी को किसी न किसी प्रकार का तनाव है। इसलिये यदि आप सहजयोग ध्यान करेंगे तो आपके बहुत से रोग स्वयमेव ही ठीक हो जायेंगे। यदि आप किसी अस्पताल में कार्य कर रहे हैं तो उन्हें ये अवश्य बतायें कि आप भी इसी ध्यान पद्धति से ध्यान धारणा किया करते हैं।
Contact Address:
International Sahaja Yoga Research & Health Centre,
Tel 91- 022 - 27571341/27576922, between 10 am and 4 pm (India time)
Fax 91 - 022 - 27576795
Email: sahaja_center@vsnl.net
Website: www.sahajahealthcentre.com
Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये...... कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |
यह vedio केवल पूराने ( old )साधको के लिए है
please watch this video🎋🎋🎋👇
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Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये...... कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |
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बच्चों को एलर्जी क्यों होती है श्री माताजी डॉक्टर से पूछती हैं और वह सही उत्तर देते हैं क्योंकि उसे लेफ्ट नाभि की पकड़ होती है बच्चे शादीशुदा हो तो होते नहीं तो उनके मां के कारण होती है इसका मतलब की उसकी मां को लेफ्ट नाभि की पकड़ है अब लेफ्ट नाभि की पकड़ को कैसे हटाया जाय तो अपने दाएं हाथ को लेफ्ट नाभि में रखिए और बाए हाथ को आग के पास psoriasis लेफ्ट साइड की प्रॉब्लम होती है सुस्त लिवर की प्रॉब्लम होती है जिसके कारण आपको एलर्जी इज होती हैं तो psoriasis के इलाज के लिए अपना बायां हाथ श्री माताजी की तरफ और दाया हाथ धरती मां के ऊपर और गर्म पानी की बोतल पेट के ऊपर या फिर आप जलती हुई मोमबत्तियों से अपने लेबर को बंधन भी दे सकते हैं तो अगर लिवर इन एक्टिव होता है तो हमें तरह तरह की एलर्जी होती हैं और अगर लीवर एक्टिव होता है तो हमें नसिया जैसी बीमारियां होती है एग्जिमा जैसी एलर्जी के लिए आप नीम की पत्तियों का यूज कर सकते हैं अगर आपके शरीर में पर फंगस है तो बाया हाथ श्री माताजी की तरफ और दायां हाथ वहां पर जाकर आपको फंगस है और उनको चीज़ नहीं खाना चाहिए सभी सहयोगियों को फंगस सी चीज़ नहीं खानी चाहिए जिसमें नीला रंग हो किसी भी तरीके के फंगस नहीं खाना चाहिए मशरूम भी गाय के दूध से एलर्जी क्यों होती है उस से लेफ्ट साइड की पकड़ आ जाती है हमें गाय भैंस का दूध नहीं पीना चाहिए
हमें उन जानवरों का दूध पीना चाहिए जो हम से छोटे हो हमें बकरे का दूध पीना चाहिए ब्रोंकियल अस्थमा राइट और लेफ्ट हॉट की पकड़ से होता है
अगर दिनभर मां-बाप झगड़ते हो या फिर बच्चे को कभी मां-बाप का प्यार नहीं मिला हो या फिर दोनों का निधन हो चुका हो तब उसे ब्रोंकियल अस्थमा होता है लो बीपी ऊपर एक्टिविटी के कारण होता है उसे ज्यादा सोचना नहीं चाहिए और उसे अपने आज्ञा को काबू में करना चाहिए तो अपने आप को जीसस क्राइस्ट के आगे समर्पित कर दो स्पॉन्डिलाइटिस लिफ्ट विशुद्धि के पकड़ से राइट विशुद्धि की पकड़ से या फिर दोनों के पकड़ से होता है अधिक स्क्लेरोसिस मूलाधार और लेफ्ट नबी के पकड़ होता है तो लेफ्ट साइड का ट्रीटमेंट करें और श्री गणेश और गौरी जी का नाम ले लोग ज्यादा देर तक खड़े रहते हैं या फिर बहुत काम करते हैं तो उनको बिस्तर पर लेट कर थोड़ी साइकिलिंग करनी चाहिए