Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये...... कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |
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मूलाधार की समस्यायें..........
मेरी राय में महाराष्ट्र एक ऐसा प्रदेश है जहां श्री गणेश तत्व सबसे ज्यादा शक्तिशाली है,
क्योंकि यहां आठ गणेश हैं जो धरती मां के गर्भ से निकले हैं। धऱती मां की तीन शक्तियां
महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली भी यहीं पर हैं...... अतः सारा प्रदेश और यहां की
धऱती भी पूरी तरह से चैतन्य से भरपूर है।
यदि आपको मूलाधार की समस्यायें हैं तो यहां की धऱती पर बैठ जायें मेरा चित्र अपने सामने रख लें, दांया हाथ भूमि पर रखकर श्री गणेश मंत्र कहें या श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें तो आपकी बांयी नाड़ी स्वच्छ हो जायेगी। बांयी नाड़ी स्वच्छ होने का अर्थ है...... सबसे पहले बांया स्वाधिष्ठान ठीक हो जाता है। आपमें से बहुत से लोग पहले कई गुरूओं के पास गये हैं..... इसके ..... उसके पास और इसके कारण आपने कई गलत कार्य भी किये हैं ...... लेकिन यह सब ठीक हो जाता है। इसके अलावा, पश्चिम में महिलाओं द्वारा अबौर्शन करवाना काफी सामान्य बात है . ... संभवतः वह भी खराब मूलाधार के कारण ..... या बांये स्वाधिष्ठान के कारण ... जो भी हो... पूर्व की बातें या कुछ और .. पर हमें उससे परेशान नहीं होना है कि ऐसा क्यों हैं।
अतः जब आप अपनी बांयी नाड़ी पर वाइब्रेशन लेते हैं तो आप अपने मूलाधार को इस प्रकार से साफ करते हैं कि मूलाधार की सारी समस्यायें ठीक हो जाती हैं। हम सब के लिये यह काफी महत्वपूर्ण है .... परंतु ऐसा आप और कहीं नहीं कर सकते हैं... धरती मां तो सभी जगह है ..... पर यह स्थान मूलाधार के लिये सबसे विशेष है जहां आप पूरी तरह से स्वच्छ हो जाते हैं और आप पवित्रता और शुभता से भऱ जाते हैं। श्री गणेश के दो गुण हैं जिन्हें आप इस स्थान पर अपने अंदर सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। धऱती पर अधिक से अधिक बैठें और अपना बांया हाथ सूर्य की ओर करके दांया हाथ धऱती पर रखें। क्या आप ऐसा कर सकते हैं ...... बांया हाथ सूर्य की ओर और दांया हाथ धऱती पर........... अतः इसको आज्ञा से स्वच्छ करने की अपेक्षा आप इसे मूलाधार के माध्यम से स्वच्छ कर सकते हैं। आपके मूलाधार को आप दो ही तरीकों से साफ कर सकते हैं.... एक तो अपने आज्ञा से और दूसरे अपने मूलाधार से। यहां पर आप इसे सरलता से कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि महाराष्ट्र के लोगों का मूलाधार बहुत अच्छा है। उन्हें मूलाधार की कोई समस्यायें नहीं हैं। जिस प्रकार से वे नृत्य करते हैं, जिस प्रकार से वे अबोध हैं... उऩकी आंखें अत्यंत अबोध हैं
. ... उऩमें कोई लालच नहीं ...... वासना नहीं .... उनमें से ये सब गायब हो गया है। वे जैसे निर्विचार समाधि में रह रहे हैं..... आपको उन्हें देखने मात्र से ही लगता है कि मानों कोई देवता धरती पर उतर कर आ गये हों। यह स्थान वैसे ही अत्यंत चैतन्यमय है क्योंकि यहां पर कई संत रह चुके हैं..... उऩ्होंने अपना चैतन्य इस स्थान पर छोड़ा है .... श्री राम औऱ श्री सीता इसी धरती पर नंगे पांव चले हैं। यह बहुत ही चैतन्यमय स्थान है...... देखें धरती कैसे इसे अवशोषित कर रही है।
यहीही कारण है कि यह टूर पश्चिमी सहजयोगियों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है क्यों कि वहां उनकी अबोधिता पर काफी आक्रमण हुये हैं और उसको पुनर्स्थापित करना है और हमे इसके लिये कार्य करना है ..... क्यों कि वहां इस प्रकार के आक्रमण काफी गंभीर किस्म के हैं। वहां पर ये आक्रमण न केवल युवा वर्ग पर है पर वो बच्चों पर भी इस प्रकार के आक्रमण कर रहे हैं ...... हर समय अबोधिता पर खतरा मंडरा रहा है। अतः आपको अबोधिता संपन्न, पवित्र व शक्तिशाली होना चाहिये ... ताकि आप चारों ओर इस पवित्रता को फैला सकें।
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