Thursday, 29 March 2018

मूलाधार की समस्यायें हैं तो यहां की धऱती पर/बांयी नाड़ी स्वच्छ होने का अर्थ है




Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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मूलाधार की समस्यायें..........

मेरी राय में महाराष्ट्र एक ऐसा प्रदेश है जहां श्री गणेश तत्व सबसे ज्यादा शक्तिशाली है,
क्योंकि यहां आठ गणेश हैं जो धरती मां के गर्भ से निकले हैं। धऱती मां की तीन शक्तियां
महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली भी यहीं पर हैं...... अतः सारा प्रदेश और यहां की
धऱती भी पूरी तरह से चैतन्य से भरपूर है।

यदि आपको मूलाधार की समस्यायें हैं तो यहां की धऱती पर बैठ जायें मेरा चित्र अपने सामने रख लें, दांया हाथ भूमि पर रखकर श्री गणेश मंत्र कहें या श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें तो आपकी बांयी नाड़ी स्वच्छ हो जायेगी। बांयी नाड़ी स्वच्छ होने का अर्थ है...... सबसे पहले बांया स्वाधिष्ठान ठीक हो जाता है। आपमें से बहुत से लोग पहले कई गुरूओं के पास गये हैं..... इसके ..... उसके पास और इसके कारण आपने कई गलत कार्य भी किये हैं ...... लेकिन यह सब ठीक हो जाता है। इसके अलावा, पश्चिम में महिलाओं द्वारा अबौर्शन करवाना काफी सामान्य बात है . ... संभवतः वह भी खराब मूलाधार के कारण ..... या बांये स्वाधिष्ठान के कारण ... जो भी हो... पूर्व की बातें या कुछ और .. पर हमें उससे परेशान नहीं होना है कि ऐसा क्यों हैं।


 अतः जब आप अपनी बांयी नाड़ी पर वाइब्रेशन लेते हैं तो आप अपने मूलाधार को इस प्रकार से साफ करते हैं कि मूलाधार की सारी समस्यायें ठीक हो जाती हैं। हम सब के लिये यह काफी महत्वपूर्ण है .... परंतु ऐसा आप और कहीं नहीं कर सकते हैं... धरती मां तो सभी जगह है ..... पर यह स्थान मूलाधार के लिये सबसे विशेष है जहां आप पूरी तरह से स्वच्छ हो जाते हैं और आप पवित्रता और शुभता से भऱ जाते हैं। श्री गणेश के दो गुण हैं जिन्हें आप इस स्थान पर अपने अंदर सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। धऱती पर अधिक से अधिक बैठें और अपना बांया हाथ सूर्य की ओर करके दांया हाथ धऱती पर रखें। क्या आप ऐसा कर सकते हैं ...... बांया हाथ सूर्य की ओर और दांया हाथ धऱती पर........... अतः इसको आज्ञा से स्वच्छ करने की अपेक्षा आप इसे मूलाधार के माध्यम से स्वच्छ कर सकते हैं। आपके मूलाधार को आप दो ही तरीकों से साफ कर सकते हैं.... एक तो अपने आज्ञा से और दूसरे अपने मूलाधार से। यहां पर आप इसे सरलता से कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि महाराष्ट्र के लोगों का मूलाधार बहुत अच्छा है। उन्हें मूलाधार की कोई समस्यायें नहीं हैं। जिस प्रकार से वे नृत्य करते हैं, जिस प्रकार से वे अबोध हैं... उऩकी आंखें अत्यंत अबोध हैं
. ... उऩमें कोई लालच नहीं ...... वासना नहीं .... उनमें से ये सब गायब हो गया है। वे जैसे निर्विचार समाधि में रह रहे हैं..... आपको उन्हें देखने मात्र से ही लगता है कि मानों कोई देवता धरती पर उतर कर आ गये हों। यह स्थान वैसे ही अत्यंत चैतन्यमय है क्योंकि यहां पर कई संत रह चुके हैं..... उऩ्होंने अपना चैतन्य इस स्थान पर छोड़ा है .... श्री राम औऱ श्री सीता इसी धरती पर नंगे पांव चले हैं। यह बहुत ही चैतन्यमय स्थान है...... देखें धरती कैसे इसे अवशोषित कर रही है।


यहीही कारण है कि यह टूर पश्चिमी सहजयोगियों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है क्यों कि वहां उनकी अबोधिता पर काफी आक्रमण हुये हैं और उसको पुनर्स्थापित करना है और हमे इसके लिये कार्य करना है ..... क्यों कि वहां इस प्रकार के आक्रमण काफी गंभीर किस्म के हैं। वहां पर ये आक्रमण न केवल युवा वर्ग पर है पर वो बच्चों पर भी इस प्रकार के आक्रमण कर रहे हैं ...... हर समय अबोधिता पर खतरा मंडरा रहा है। अतः आपको अबोधिता संपन्न, पवित्र व शक्तिशाली होना चाहिये ... ताकि आप चारों ओर इस पवित्रता को फैला सकें।


❤औरंगाबाद (भारत) 7 दिसंबर 1988.❤

Monday, 19 March 2018

परमपूज्य माताजी श्रीनिर्मलादेवी देश के लिए प्रेम होना / ध्यान में प्रगति भाग 1



Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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   *परमपूज्य माताजी श्रीनिर्मलादेवी*
    ध्यान में प्रगति  भाग 1

   
      ......पहली तो ये है कि हमें इसका ज्ञान आ जाना चाहिए। ज्ञान का मतलब बुद्धि से नहीं। किन्तु हमें अंगुलियों में, हाथ में और अन्दर से कुण्डलिनी का पूरी तरह से जागरण होना ये ज्ञान है और जब ये ज्ञान हो जाता है तब और भी ज्ञान होने लग जाता है। बहुत सी बातें जो आप नहीं समझ पाते थे वह आप समझ पा रहे हैं और आप समझने लग जाते हैं कि कौन सत्य है कौन असत्य। इस ज्ञान के द्वारा आप लोगों की कुण्डलिनी भी जागृत कर सकते हैं और उनको समझा सकते हैं। उनसे आप पूरी तरह से एकाग्र हो सकते हैं।
     
  
*---परमपूज्य श्रीमाताजी, दिल्ली, 30 मार्च 1990

Sunday, 18 March 2018

सहस्त्रार खोलने के मन्त्र /H.H. Shri Mataji giving 19 mantras to open Sahasrara, here they are in written form

Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

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🌹Jai Shree Mataji 🌹
Shri Mataji giving 19 mantras to open
Sahasrara, here they are in written form:----
सहस्त्रार खोलने के मन्त्र
1  श्री  महागणेश
2  श्री  महाभैरव
3  श्री  महत्मनस
4  श्री  महत्अहंकार
5  श्री  हिरण्यगर्भ
6  श्री  सत्य
7  श्री  महत् चित्त
8  श्री  आदी शक्ति
9  श्री   विराट
10 श्री  कल्की
11 श्री  सदाशिव
12 श्री  अर्ध मात्रा
13 श्री  बिंदू
14 श्री  वलय
15 श्री  आदी ब्रम्ह तत्व
16 श्री  सर्वस्व
17 श्री  सहस्त्रार स्वामिनि
18 श्री  मोक्ष दायिनि
19 श्री  महायोग दायिनि
By
H.H. Shree mata ji


By
H.H. Shree mata ji

Tuesday, 13 March 2018

सहज धर्म क्या है,

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Sahaj yoga meditation
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मै चाहती हूं कि आप सहजयोग में गहन दिलचस्पी दिखाये और कुंडलिनी का ज्ञान सीखेे
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"..................दीप प्रज्वलित करने का यह अंतिम समय है । इसको होना है और ये होकर ही रहेगा । देखते हैं कि इस योग भूमि पर कितने लोग इस दीप प्रज्वलन को स्वीकार कर पाते हैं । परंतु मेरी बात को सिर्फ सुनकर ही आप इस बात को न मान लें बल्कि आपको इसे ह्दय से जानना है और अपने चैतन्य से जानना है । आप इसे अपनी कुंडलिनी के माध्यम से भी जान सकते हैं । कल मैंने आप सबसे अनुरोध किया था आज भी कर रही हूं कि ," सहज योग को समझने के लिये आपको अत्यधिक बुद्धिमान होने की आवश्यकता नहीं है ।"...आपको केवल एक ' श्रद्धावान ह्रदय ' की आवश्यकता है । यदि आपके पास यह है तो यह कार्यान्वित हो जायेगा । अब समय आ गया है जब कई फूल फल बन जायेंगे । यही वो समय है । मेरे प्रति इतना प्रेम प्रदर्शित करने के लिये मैं आपका बार बार धन्यवाद करती हूं । जब मैं अपने प्रेम के सागर का अनुभव करती हूं और ये प्रेम जब आपके ह्रदय तक पंहुचता है और आपसे होकर ये वापस मुझ तक पंहुचता है । यह पैराबोलिक गति है । जब मेरा यह प्रेम आप तक जाता है और प्रेम के रूप में ही वापस आता है, तो यह मुझे अत्यंत आनंदित करता है । यह अत्यंत प्रेमदायक अनुभव होता है, एक बिल्कुल भिन्न अनुभव जिसे हम शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते । मैं आप सबका इस प्रेम के लिये धन्यवाद करना चाहती हूं । ईश्वर आप सबको आशीर्वादित करें, आप और आपकी चेतना पर परमचैतन्य की वर्षा हो ।
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...................मैं भी बारंबार आपको आशीर्वाद देती हूं । मैं आशा करती हूं कि , "आप सभी सहजयोग में गहन दिलचस्पी दिखायेंगे, इसकी विधियों को सीखेंगे और कुंडलिनी के विषय में संपूर्ण ज्ञान हासिल करेंगे ।" ...यहां पर हमारे बीच कई लोग ऐसे है जो इसके विषय में जानते हैं और आप इस विषय पर उनसे बात भी कर सकते हैं, कार्यक्रमों में भी आप मेरे भाषणों को सुनकर भी इसके विषय में समझ सकते हैं । कृपया नम्र बनें । सबसे पहले इस ईश्वरीय ज्ञान को अपने अंदर सोखें । आपके य़ंत्र को इस योग्य बनायें कि यह किस प्रकार का ज्ञान है । कुछ चीजें इधर उधर से पढ़ लेने मात्र से आपको यह ज्ञान नहीं मिल सकता । अपने संकुचित ह्रदय और अहंकारपूर्ण विचारों पर न जायें, जिससे आप सभी का मजाक बनाते हैं । परमात्मा आप सभी को आशीर्वादित करें ।"

---- H.H.SHRI MATAJI --- सार्वजनिक प्रवचन भारत १९८७


Tuesday, 6 March 2018

मन्त्र वाणी का सार तत्व हैं/कुगुरूओं द्वारा दिये गये मन्त्रों का सबसे बुरा प्रभाव बांयी विशुद्धी पर


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मन्त्र वाणी का सार तत्व हैं
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कुगुरूओं द्वारा दिये गये मन्त्रों का सबसे बुरा प्रभाव बांयी विशुद्धी पर होता है,क्योंकि यह सार तत्व है। मन्त्र व्यक्ति की वाणी का सार
तत्वहै। तो होता क्या है कि यदि आपकी बाँयी विशुद्धी खराब है तो आपके मन्त्र बोलने का भी कोई प्रभाव नहीं होता।बाधित बाँयी
विशुद्धी से बोले गये मन्त्र अधपके होते हैं, बाँयी विशुद्धी की समस्या के कारण मन्त्रों में पूरा चैतन्य नहीं होता।बाँयी विशुद्धी यदि
ठीक हो तो आपके द्वारा कहे गये मन्त्र पूर्ण एवं अत्यन्त प्रभावशाली होते हैं क्योंकि इनमें पूर्णत्व है।इन मन्त्रों का पूरा प्रभाव पड़ता है।                 
       परम पूज्य माताजी, शुडीकैम्प,इंग्लैण्ड, 20,08,1988.

श्री माँ की ममता को feelकर ने के लिए video को पूरा देखें कुण्डलिनी जागरित अवस्था में आ जाएगी

कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि |

इसका उल्लेख गुरु नानक, शंकराचार्य, कबीर और संत ज्ञानेश्वर के प्रवचनों में मिलता है। यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मि...