Tuesday, 28 August 2018

तत्वों प्रभाव इडा नाड़ी की पकड़ {कमजोरियां} दाई ओर के पतन की खाई तक ले जा सकती है


Note:- यदि आप सहज योग meditation में नये है तो पहले नीचे दिये......  कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि से.... उसे vedio को देखें और नजदी की सहज योग केद्र में जरूर आए। और अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये message box से हमसे पूछ सकतें है |

यह vedio केवल पूराने ( old )साधको के लिए है
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जो लोग बेईमान हैं जो लोग अत्यन्त चालाक  है । चालाकी आप लोगों को दाई ओर के पतन की खाई तक ले जा सकती है ।
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यह स्थिति अत्यन्त दण्डनीय है क्योकि इसके कारण लोगो मे भिन्न प्रकार के शारीरिक रोग हो जाते है ।उनके हाथों और पैरों मे लकवा भी मार सकता है ।उन्हे जिगर के रोग भी हो सकते है ।ऐसी समस्यायें उत्पन्न होने की स्थिति मे जब लोग दाई ओर के विकारो के कारण कष्ट उठाते है तब उन्हे श्री गणेश की पूजा करनी चाहिये ।श्री गणेश जी को स्मरण करने के सुगम तरीका है कि उनके (श्रीमाताजी) के फोटोग्राफ के सम्मुख बैठकर उनसे चैतन्य लहरियाॅ प्राप्त करें स्यंम को संतुलित करने की यह सर्वोत्तम विधि है ।
परम पूज्य श्रीमाताजी
कबैला 25/9/1999

Friday, 17 August 2018

जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। by H.H. Shree mata ji

........ जब चक्रों में दोष हो जाता है तभी आप बीमार पड़ जाते हैं। अब अगर आप बाहर से किसी पेड़ को, उसके फूलों को उसके पतों को दवा दें तो थोड़ी देर के लिये तो वे ठीक हो जायेंगे फिर सत्यानाश हो जाएगा, पर अगर उनकी जड़ में जो चक्र हैं उन चक्रों को अगर आप ठीक कर दें तो बीमार पड़ने की कोई बात ही नहीं। प॰ पू॰ श्रीमाताजी .

......... ध्यान देने से आपको पता लगेगा की आपके अंदर कौन से चक्र की पकड़ है, उसे आपको साफ करना है। इसको प्रत्याहार कहते हैं, माने इसकी सफाई होनी चाहिये। प॰ पू॰ श्रीमाताजी .

......... मध्य के पांचों चक्र मूलतः भौतिक तत्वों के बने हैं तथा पांचों तत्वों से इन चक्रों का शरीर बना है। हमें पूर्ण सावधानी से इन पांचों चक्रों का संचालन करना चाहिये। जिन तत्वों से ये चक्र बने हैं उन्हीं में इनकी अशुद्धियों को निकाल कर इन चक्रों का शुद्धीकरण करना है। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, 18.1.1983

........चक्र कुप्रभावित होने पर सम्बन्धित देवता वहाँ से स्थान त्याग कर देते हैं, अतः उस चक्र का मंत्र उच्चारण करके परम्पूज्य श्रीमाताजी के नाम की शक्ति से उस देवता का आवाहन किया जाता है। उपचार के लिये विपरीत पाश्वॅ का हाथ प्रभावित चक्र पर रखें और प्रभावित पाश्वॅ का हाथ फोटो की ओर फैलायेँ। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, निर्मला योग, जुलाई-अगस्त, 1983 .

........ ऐसा नहीं है कि सहजयोग में आने के बाद आपको कोई बीमारी ही नहीं होती है, कारण यह है कि सहजयोग में आने के बाद जो ध्यान-धारणा और प्रगति आपने करनी होती है, वो आप नहीं करते। फिर भी आपके कष्ट घट जाते हैं। .

....... सहजयोग में आने के बाद एक महीने में ही आप पूरी तरह से सहजयोग को समझ सकते हैं और उसमें उतर भी सकते हैं, पर जिस प्रकार रोज हम लोग स्नान करके अपने शरीर को साफ करते हैं, उसी प्रकार रोज अपने चक्रों को भी आपको साफ करना पड़ेगा। प॰ पू॰ श्रीमाताजी, दिल्ली, 2.3.1991

श्री माँ की ममता को feelकर ने के लिए video को पूरा देखें कुण्डलिनी जागरित अवस्था में आ जाएगी

कैसे प्राप्त करें आत्म साक्षात्कार? कुण्डलिनी जागरण और सहजयोग ध्यान विधि |

इसका उल्लेख गुरु नानक, शंकराचार्य, कबीर और संत ज्ञानेश्वर के प्रवचनों में मिलता है। यह किसी की मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मि...